यह प्रस्ताव भारत के लिए क्यों है राष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण
भारत की वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मान्यता दिलाने की दिशा में एक अहम कदम के रूप में, कर्नाटक के लकुंडी स्मारकों को यूनेस्को की टेंटेटिव वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया गया है। INTACH (भारतीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर ट्रस्ट) और कर्नाटक सरकार मिलकर अंतिम प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। ये स्मारक पश्चिमी चालुक्य वंश की स्थापत्य और कलात्मक उत्कृष्टता को दर्शाते हैं, जिन्होंने उत्तर और दक्षिण भारतीय शैलियों का समन्वय कर एक नई शैली विकसित की।
लकुंडी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
गदग ज़िले में स्थित लकुंडी, 10वीं से 12वीं सदी के बीच कल्याण चालुक्यों के शासनकाल में एक प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र था। इस काल में मंदिर निर्माण, मूर्तिकला और जल प्रबंधन में उल्लेखनीय प्रगति हुई। विशेष रूप से यहां की बावड़ियाँ (स्टेपवेल्स), जो अक्सर मंदिरों से भी विशाल होती थीं, स्थानीय जल संरचना की पराकाष्ठा को दर्शाती हैं। लकुंडी शैली ने कर्नाटक और आसपास के क्षेत्रों के मंदिर स्थापत्य को व्यापक रूप से प्रभावित किया।
यूनेस्को मापदंडों को पूरा करती स्थापत्य विशेषताएं
लकुंडी के मंदिर वेसर शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जो नागर, द्रविड़ और भूमिजा शैलियों का अद्वितीय मिश्रण है। यह शैली सांस्कृतिक आदान–प्रदान और स्थापत्य नवाचार का प्रमाण है। कासी विश्वेश्वर, मणिकेश्वर, ब्रह्म जिनालय (1007 ई.) और मुसुकिन बावी जैसे स्मारक, चालुक्य काल के तकनीकी, कलात्मक और आध्यात्मिक योगदान को दर्शाते हैं। यह स्थापत्य यूनेस्को की संस्कृतिक महत्व की कसौटियों को स्पष्ट रूप से पूरा करता है।
विरासत समूह में शामिल अन्य महत्वपूर्ण मंदिर
लकुंडी के अलावा, इस प्रस्ताव में आसपास के ऐतिहासिक एवं स्थापत्य दृष्टि से महत्वपूर्ण मंदिरों को भी शामिल किया गया है, जैसे:
- डोड्डाबासप्पा मंदिर (डांबळ)
- त्रिकूटेश्वर मंदिर (गदग)
- महादेव मंदिर (इटागी)
- श्री मल्लिकार्जुन मंदिर (कुरुवट्टी)
ये मंदिर मध्यकालीन कर्नाटक के धार्मिक स्थापत्य और नगर नियोजन की समग्रता को दर्शाते हैं और यूनेस्को मान्यता के लिए एक ठोस दावा पेश करते हैं।
आगे की प्रक्रिया और कर्नाटक के अन्य प्रस्तावित स्थल
कर्नाटक पुरातत्व विभाग और INTACH फिलहाल प्रस्ताव की समीक्षा और दस्तावेज़ीकरण में जुटे हैं। यदि यह साइट टेंटेटिव सूची में स्वीकार हो जाती है, तो 1 वर्ष बाद पूर्ण नामांकन डोजियर जमा किया जाएगा। कर्नाटक के अन्य स्थल जो पहले से यूनेस्को टेंटेटिव सूची में हैं, उनमें शामिल हैं:
श्रीरंगपट्टण, बादामी, ऐहोल, हीरे बेनकल, और डेक्कन सल्तनत स्मारक। यह प्रयास कर्नाटक की संस्कृतिक समृद्धि को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने की दिशा में एक और कदम है।
Static GK परीक्षा-संक्षेप सारणी
विषय | विवरण |
प्रस्ताव वर्ष | 2025 (टेंटेटिव सूची में प्रविष्टि हेतु प्रस्तावित) |
प्रस्तावक संस्थाएँ | INTACH और कर्नाटक पुरातत्व विभाग |
स्थान | लकुंडी, गदग ज़िला, कर्नाटक |
संबंधित वंश | कल्याण चालुक्य (पश्चिमी चालुक्य) – 10वीं–12वीं सदी CE |
प्रमुख स्मारक | कासी विश्वेश्वर, मणिकेश्वर, ब्रह्म जिनालय, मुसुकिन बावी |
स्थापत्य शैली | वेसर शैली (नागर + द्रविड़ + भूमिजा समन्वय) |
यूनेस्को मानदंड पूरा करता है | सांस्कृतिक आदान-प्रदान, स्थापत्य महत्व |
अगला कदम | 1 वर्ष बाद पूर्ण नामांकन डोजियर की प्रस्तुति |
अन्य टेंटेटिव साइटें | बादामी, ऐहोल, श्रीरंगपट्टण, हीरे बेनकल, डेक्कन सल्तनत स्मारक |