भारत की जलीय पहचान पर मंडरा रहा खतरा
गंगेटिक डॉल्फिन, जिसे “गंगा की बाघिन” भी कहा जाता है, अब खतरनाक रासायनिक प्रदूषण की नई चुनौती का सामना कर रही है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एंडोक्राइन–डिसरप्टिंग केमिकल्स (EDCs) मछलियों में पाए गए हैं, जिन्हें डॉल्फिन खाती हैं। ये रसायन उनके हार्मोनल और प्रजनन तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं। ये प्रदूषक उद्योगों, कीटनाशकों, और भारी धातुओं से आते हैं, जो कृषि और गैर–शोधित अपशिष्टों के जरिए नदियों में मिलते हैं।
पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व
गंगा डॉल्फिन (Platanista gangetica) सिर्फ संकटग्रस्त प्रजाति ही नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय जलीय पशु और असम की राज्य जलीय पशु भी है। 1801 में खोजी गई यह नेत्रहीन मीठे पानी की डॉल्फिन अपनी शिकार प्रणाली के लिए अल्ट्रासोनिक इकोलोकेशन का उपयोग करती है और “सुसु” जैसी आवाज निकालने के लिए जानी जाती है। यह कभी गंगा–ब्रह्मपुत्र–मेघना तंत्र में भारत, नेपाल और बांग्लादेश में फैली थी, परंतु अब इसकी संख्या और सीमा दोनों ही गंभीर रूप से घट गई हैं।
गिरती संख्या और रासायनिक बोझ
प्रोजेक्ट डॉल्फिन की 2020 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 6,327 गंगेटिक डॉल्फिन बची हैं। लेकिन 1957 के मुकाबले आबादी में 50% और क्षेत्रफल में 25% गिरावट देखी गई है। WII की रिपोर्ट में DDT, लिंडेन, DEHP, DnBP, आर्सेनिक, मरकरी और कैडमियम जैसे रसायन मछलियों में पाए गए, जो जलचक्र में प्रवेश कर डॉल्फिन तक पहुंचते हैं, और लंबी अवधि के पारिस्थितिक जोखिम उत्पन्न करते हैं।
संरक्षण प्रयास और राष्ट्रीय परियोजनाएँ
गंगेटिक डॉल्फिन को IUCN द्वारा संकटग्रस्त, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I, और CITES व CMS की परिशिष्ट I में शामिल किया गया है। भारत सरकार ने प्रोजेक्ट डॉल्फिन के तहत नदी व समुद्री डॉल्फिन की सुरक्षा का अभियान शुरू किया है। बिहार का विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य एकमात्र संरक्षित क्षेत्र है। साथ ही, 5 अक्टूबर को गंगा डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान
कानूनी संरक्षण के बावजूद, रासायनिक प्रदूषण, शिकार, मछली पकड़ने के जाल, और बांधों व जहाजों की ध्वनि प्रदूषण से डॉल्फिन खतरे में हैं। WII ने नदी सफाई, प्रदूषण नियंत्रण और जल प्रबंधन को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया है। गंगेटिक डॉल्फिन का संरक्षण पूरे नदी पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह जल की सेहत का प्रमुख संकेतक है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
प्रजाति का नाम | Platanista gangetica (गंगेटिक डॉल्फिन) |
राष्ट्रीय दर्जा | भारत का राष्ट्रीय जलीय पशु (2009) |
राज्य दर्जा | असम की राज्य जलीय पशु |
भारत में जनसंख्या | 6,327 (प्रोजेक्ट डॉल्फिन 2020 के अनुसार) |
IUCN स्थिति | संकटग्रस्त (Endangered) |
कानूनी सुरक्षा (भारत) | वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 – अनुसूची I |
वैश्विक संरक्षण | CITES और CMS – परिशिष्ट I |
मुख्य आवास क्षेत्र | गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना नदी प्रणालियाँ |
प्रमुख अभयारण्य | विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य, बिहार |
राष्ट्रीय दिवस | गंगा डॉल्फिन दिवस – 5 अक्टूबर |
मुख्य खतरे | EDCs, मछली जाल, शिकार, आवास हानि, औद्योगिक प्रदूषण |