जनजातीय भारत के लिए स्वास्थ्य असमानता को पाटना
20 जनवरी 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसे जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। यह सम्मेलन धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का हिस्सा था और इसका उद्देश्य भारत के आदिवासी समुदायों के सामने आने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान हेतु व्यावहारिक रणनीतियाँ विकसित करना था।
पहचान से सुधार तक की यात्रा
सम्मेलन में केवल समस्याओं को उजागर करने के बजाय स्थानीय, सांस्कृतिक और व्यवहारिक समाधानों पर ज़ोर दिया गया। विशेषज्ञों ने जनजातीय चिकित्सा परंपराओं के एकीकरण, समुदाय-आधारित मॉडल और अनुसंधान पर आधारित नीतियों की आवश्यकता बताई। विचार यह रहा कि आधुनिक चिकित्सा और पारंपरिक ज्ञान मिलकर भरोसेमंद स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करें।
सहभागिता और समन्वय के माध्यम से प्रभाव
इस आयोजन में MoTA, MoHFW, AIIMS और कई गैर–सरकारी संस्थाओं ने सक्रिय भागीदारी की। एक महत्वपूर्ण निर्णय ओडिशा के एक जनजातीय ब्लॉक को पायलट परियोजना बनाना था, जहाँ नई स्वास्थ्य तकनीकों और अनुसंधान को लागू किया जाएगा। इससे तैयार मॉडल को देशभर के अन्य जनजातीय क्षेत्रों में अपनाया जा सकेगा।
क्रांतिकारी घोषणाएँ
सम्मेलन की एक मुख्य उपलब्धि AIIMS दिल्ली में भगवान बिरसा मुंडा पीठ की स्थापना रही, जो जनजातीय रक्त संबंधी रोगों पर अनुसंधान और उपचार को समर्पित होगी। साथ ही, देश के 14 राज्यों में 15 ‘सेंटर ऑफ कम्पीटेंस (CoCs)’ की स्थापना की गई, जिनका लक्ष्य सिकल सेल एनीमिया की जल्द पहचान, किफायती उपचार और जागरूकता फैलाना है।
सिकल सेल एनीमिया से मुकाबला
सिकल सेल रोग भारत के पूर्वी और मध्य जनजातीय क्षेत्रों में एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है। यह लाल रक्त कणों के विकृति के कारण होता है, जिससे तीव्र दर्द, अंग क्षति और अस्पताल में भर्ती की ज़रूरत पड़ती है। नए CoC केंद्रों से सरकार की रणनीति रोग की रोकथाम और शुरुआती पहचान की ओर स्थानांतरित हो रही है।
संस्कृति का सम्मान और जनजातीय युवाओं को सहयोग
सम्मेलन में पारंपरिक जनजातीय चिकित्सकों की भूमिका को स्वीकार किया गया। योजना है कि इन्हें प्रशिक्षण देकर औपचारिक स्वास्थ्य तंत्र में जोड़ा जाए, जिससे भरोसे और पहुंच में सुधार हो। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य और किशोर देखभाल जैसे मुद्दों पर भी विशेष बल दिया गया।
सतत बदलाव के लिए रूपरेखा
अंततः सम्मेलन ने एक व्यापक कार्य योजना प्रस्तुत की, जिसमें टेलीमेडिसिन, समुदाय आधारित भागीदारी और सांस्कृतिक सम्मान को आधार स्तंभ माना गया। यह रणनीति केवल आधारभूत ढांचे को बेहतर करने तक सीमित नहीं है, बल्कि जनजातीय समुदायों को समावेशिता और स्वाभिमान के साथ जोड़ने की दिशा में भी कार्य करती है।
Static GK Snapshot
विषय | तथ्य |
भारत में जनजातीय आबादी | कुल जनसंख्या का 8.6% |
आम जनजातीय रोग | सिकल सेल एनीमिया |
प्रमुख अभियान | धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान |
सम्मेलन स्थान | भारत मंडपम, नई दिल्ली |
नई पहल | AIIMS में भगवान बिरसा मुंडा चेयर की स्थापना |
स्वास्थ्य मॉडल | पारंपरिक जनजातीय चिकित्सकों का एकीकरण |