राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट को क्यों भेजा गया संदर्भ?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मई 2025 में अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट को एक संवैधानिक प्रश्न भेजा। यह प्रश्न हाल के वर्षों में राज्यपालों या राष्ट्रपति द्वारा राज्य विधेयकों पर सहमति देने में देरी को लेकर उत्पन्न हुआ है। मुख्य सवाल यह है: क्या सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत अपनी पूर्ण न्याय की शक्ति का उपयोग कर साफ़ समयसीमा या प्रक्रिया तय कर सकता है कि कब और कैसे इन विधेयकों पर सहमति दी जानी चाहिए?
अनुच्छेद 201 की न्यायिक समीक्षा पर बहस
इस संदर्भ में यह भी पूछा गया है कि क्या राष्ट्रपति की अनुच्छेद 201 के तहत सहमति देना न्यायिक समीक्षा योग्य (Justiciable) है? अब तक सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न पीठों ने इस पर परस्पर विरोधी निर्णय दिए हैं—कुछ का कहना है कि अदालतें इस निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं, जबकि कुछ ने असाधारण विलंब को संविधानिक उत्तरदायित्व के उल्लंघन के रूप में देखा है। यह विरोधाभास राष्ट्रपति को सीधे सर्वोच्च न्यायालय से मार्गदर्शन मांगने को प्रेरित करता है।
14 सवाल जो संविधान की व्याख्या तय करेंगे
राष्ट्रपति द्वारा कुल 14 महत्वपूर्ण प्रश्न सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए हैं। इनमें शामिल हैं—राज्यपाल या राष्ट्रपति अधिकतम कितने समय तक किसी विधेयक को रोक सकते हैं, क्या संवैधानिक पदों का दुरुपयोग रोकने के लिए कोई कानूनी ढांचा बन सकता है, और क्या सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत बाध्यकारी दिशानिर्देश जारी कर सकता है। यह भारत के संघीय ढांचे और न्यायिक सक्रियता पर एक नई बहस को जन्म देता है।
संघीय विवाद या मौलिक अधिकार का उल्लंघन?
एक और महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि जब राज्य सरकारें ऐसे मामलों को अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में ले जाती हैं, तो क्या यह उचित है? अनुच्छेद 131 विशेष रूप से राज्य और केंद्र के बीच विवादों के लिए है, लेकिन हाल के मामलों में—जैसे पंजाब और तमिलनाडु द्वारा राज्यपाल की भूमिका पर सवाल—अनुच्छेद 32 का उपयोग किया गया। राष्ट्रपति ने पूछा है कि क्या यह संघीय संरचना की अवहेलना है, क्योंकि ये मुद्दे व्यक्ति के अधिकार नहीं, बल्कि संघीय संबंधों के हैं।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
प्रयोग किया गया संवैधानिक प्रावधान | अनुच्छेद 143 – राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट को संदर्भ |
संदर्भ देने वाले | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू |
संदर्भ तिथि | मई 2025 |
मुख्य कानूनी मुद्दा | अनुच्छेद 142 की सीमा, विधेयकों पर सहमति की समयसीमा |
पूछे गए प्रश्नों की संख्या | 14 |
संबद्ध अनुच्छेद | अनुच्छेद 201 – विधेयक पर सहमति |
संघीय क्षेत्राधिकार विवाद | अनुच्छेद 131 बनाम अनुच्छेद 32 |
न्यायिकता का प्रश्न | राष्ट्रपति की सहमति पर परस्पर विरोधी निर्णय |
संभावित प्रभाव | विधेयकों पर राष्ट्रपति और राज्यपाल की भूमिका को स्पष्ट करेगा |