जैसलमेर में पक्षियों की रहस्यमयी मौतों में वृद्धि
जनवरी 2025 में राजस्थान के जैसलमेर जिले से बड़ी संख्या में डेमोइसेल क्रेन्स की मौत की खबरें सामने आईं। 20 जनवरी तक मृत पक्षियों की संख्या 33 तक पहुँच गई, जिससे वन्यजीव अधिकारियों में चिंता फैल गई। जांच के बाद इन पक्षियों में H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस की पुष्टि हुई, जिससे एक संभावित महामारी का डर बढ़ गया है, जो क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित कर सकती है।
लम्बी दूरी तय करने वाले पक्षियों पर जानलेवा खतरा
कुरजान सारस हर साल 4,000 किलोमीटर की लंबी उड़ान भरकर मंगोलिया, कज़ाखस्तान और चीन जैसे मध्य एशियाई देशों से राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में शीतकालीन प्रवास के लिए आते हैं। वे लाठी और देगराय ओरन जैसे स्थानों में छह महीने तक निवास करते हैं। लेकिन इस बार संक्रमण, करंट से मौत और पर्यावरणीय तनाव जैसे जोखिमों के कारण उनका प्रवास संकट में आ गया है।
पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टि से सारस का महत्व
ये खूबसूरत पक्षी न केवल आकर्षक काया और उड़ान क्षमता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनका प्रजनन क्षेत्र ब्लैक सी से लेकर पूर्वोत्तर चीन तक फैला हुआ है। इनकी राजस्थान में उपस्थिति पारिस्थितिकीय और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन वर्तमान मौतों की वृद्धि से इनकी जनसंख्या और स्वास्थ्य को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
वैज्ञानिक परीक्षण और पुष्ट प्रकोप
17 जनवरी को बनकासर गांव में 14 सारस मृत पाए गए, जिसके बाद तुरंत नमूने लिए गए। इन्हें राष्ट्रीय उच्च–सुरक्षा पशु रोग संस्थान (National Institute of High-Security Animal Diseases) भेजा गया, जहाँ H591 उपप्रकार वाले H5N1 वायरस की पुष्टि हुई। इसके बाद सरकार ने त्वरित नियंत्रण उपाय अपनाए।
साल दर साल बढ़ती मौतों की प्रवृत्ति
यह घटना कोई पहली नहीं है। 2022 में 6, 2023 में 11 और 2024 में 9 कुरजान की मौतें दर्ज की गई थीं। विशेषज्ञ इन मौतों के पीछे विषाक्त जलाशयों, कीटनाशकयुक्त अनाज, और जलवायु परिवर्तन को कारण मानते हैं। यह प्रवृत्ति भारत के शुष्क क्षेत्रों में प्रवासी पक्षियों की चिरकालिक संवेदनशीलता को दर्शाती है।
सरकार द्वारा नियंत्रण के प्रयास
राजस्थान सरकार ने त्वरित प्रतिक्रिया टीमों (QRTs) को सक्रिय किया है ताकि प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित किया जा सके और मृत पक्षियों का सुरक्षित रूप से निस्तारण किया जा सके। पास के जलस्रोतों और चारा स्थलों को भी रासायनिक रूप से स्टरलाइज़ किया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण और आवास क्षरण जैसे मूल कारणों को संबोधित किए बिना यह समस्या बार-बार लौट सकती है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए चिंता
यह स्थिति ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए और भी खतरनाक बन गई है। राजस्थान का राजकीय पक्षी पहले से ही गंभीर रूप से संकटग्रस्त है, और अब फ्लू संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है। इस खतरे को देखते हुए साम और रामदेवरा स्थित प्रजनन केंद्रों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। यह स्थिति बताती है कि सक्रिय संरक्षण और रोग निगरानी कितनी जरूरी हो गई है।
Static GK Snapshot
तथ्य | विवरण |
प्रवास दूरी | डेमोइसेल क्रेन्स 4,000 किमी मध्य एशिया से राजस्थान तक उड़ती हैं |
पहली दर्ज मौत (2025) | 11 जनवरी; 17 जनवरी को प्रकोप की पुष्टि |
पहचाना गया वायरस | H5N1 स्ट्रेन (H591 उपप्रकार) |
संकटग्रस्त प्रजाति | ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (राजस्थान का राज्य पक्षी) |
परीक्षण संस्था | राष्ट्रीय उच्च-सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भारत |