जुलाई 19, 2025 6:28 अपराह्न

राजस्थान में बर्ड फ्लू का प्रकोप: प्रवासी कुरजां पक्षी और संकटग्रस्त प्रजातियाँ संकट में

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Avian Flu Hits Rajasthan: Migratory Cranes and Endangered Species at Risk

जैसलमेर में पक्षियों की रहस्यमयी मौतों में वृद्धि

जनवरी 2025 में राजस्थान के जैसलमेर जिले से बड़ी संख्या में डेमोइसेल क्रेन्स की मौत की खबरें सामने आईं। 20 जनवरी तक मृत पक्षियों की संख्या 33 तक पहुँच गई, जिससे वन्यजीव अधिकारियों में चिंता फैल गई। जांच के बाद इन पक्षियों में H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस की पुष्टि हुई, जिससे एक संभावित महामारी का डर बढ़ गया है, जो क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित कर सकती है।

लम्बी दूरी तय करने वाले पक्षियों पर जानलेवा खतरा

कुरजान सारस हर साल 4,000 किलोमीटर की लंबी उड़ान भरकर मंगोलिया, कज़ाखस्तान और चीन जैसे मध्य एशियाई देशों से राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में शीतकालीन प्रवास के लिए आते हैं। वे लाठी और देगराय ओरन जैसे स्थानों में छह महीने तक निवास करते हैं। लेकिन इस बार संक्रमण, करंट से मौत और पर्यावरणीय तनाव जैसे जोखिमों के कारण उनका प्रवास संकट में आ गया है।

पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टि से सारस का महत्व

ये खूबसूरत पक्षी न केवल आकर्षक काया और उड़ान क्षमता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनका प्रजनन क्षेत्र ब्लैक सी से लेकर पूर्वोत्तर चीन तक फैला हुआ है। इनकी राजस्थान में उपस्थिति पारिस्थितिकीय और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन वर्तमान मौतों की वृद्धि से इनकी जनसंख्या और स्वास्थ्य को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

वैज्ञानिक परीक्षण और पुष्ट प्रकोप

17 जनवरी को बनकासर गांव में 14 सारस मृत पाए गए, जिसके बाद तुरंत नमूने लिए गए। इन्हें राष्ट्रीय उच्चसुरक्षा पशु रोग संस्थान (National Institute of High-Security Animal Diseases) भेजा गया, जहाँ H591 उपप्रकार वाले H5N1 वायरस की पुष्टि हुई। इसके बाद सरकार ने त्वरित नियंत्रण उपाय अपनाए।

साल दर साल बढ़ती मौतों की प्रवृत्ति

यह घटना कोई पहली नहीं है। 2022 में 6, 2023 में 11 और 2024 में 9 कुरजान की मौतें दर्ज की गई थीं। विशेषज्ञ इन मौतों के पीछे विषाक्त जलाशयों, कीटनाशकयुक्त अनाज, और जलवायु परिवर्तन को कारण मानते हैं। यह प्रवृत्ति भारत के शुष्क क्षेत्रों में प्रवासी पक्षियों की चिरकालिक संवेदनशीलता को दर्शाती है।

सरकार द्वारा नियंत्रण के प्रयास

राजस्थान सरकार ने त्वरित प्रतिक्रिया टीमों (QRTs) को सक्रिय किया है ताकि प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित किया जा सके और मृत पक्षियों का सुरक्षित रूप से निस्तारण किया जा सके। पास के जलस्रोतों और चारा स्थलों को भी रासायनिक रूप से स्टरलाइज़ किया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण और आवास क्षरण जैसे मूल कारणों को संबोधित किए बिना यह समस्या बार-बार लौट सकती है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए चिंता

यह स्थिति ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए और भी खतरनाक बन गई है। राजस्थान का राजकीय पक्षी पहले से ही गंभीर रूप से संकटग्रस्त है, और अब फ्लू संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है। इस खतरे को देखते हुए साम और रामदेवरा स्थित प्रजनन केंद्रों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। यह स्थिति बताती है कि सक्रिय संरक्षण और रोग निगरानी कितनी जरूरी हो गई है।

Static GK Snapshot

तथ्य विवरण
प्रवास दूरी डेमोइसेल क्रेन्स 4,000 किमी मध्य एशिया से राजस्थान तक उड़ती हैं
पहली दर्ज मौत (2025) 11 जनवरी; 17 जनवरी को प्रकोप की पुष्टि
पहचाना गया वायरस H5N1 स्ट्रेन (H591 उपप्रकार)
संकटग्रस्त प्रजाति ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (राजस्थान का राज्य पक्षी)
परीक्षण संस्था राष्ट्रीय उच्च-सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भारत

 

Avian Flu Hits Rajasthan: Migratory Cranes and Endangered Species at Risk
  1. जनवरी 2025 में राजस्थान में बर्ड फ्लू (H5N1) के प्रकोप से कई कुरजां (Demoiselle) सारसों की मृत्यु हुई।
  2. जैसलमेर में 33 कुरजां पक्षियों की मौत की पुष्टि हुई, जिससे वन्यजीव विशेषज्ञों में चिंता बढ़ी।
  3. वैज्ञानिक परीक्षण में H5N1 के उपप्रकार H591 वायरस की पुष्टि की गई।
  4. कुरजां पक्षी मंगोलिया, कज़ाकिस्तान और चीन से 4,000 किमी की दूरी तय कर राजस्थान आते हैं।
  5. लाठी और डेगराय ओरण जैसे क्षेत्र इन प्रवासी पक्षियों के मौसमी आवास हैं।
  6. 17 जनवरी को बांकलसर गाँव में पहली बड़ी घटना में 14 पक्षियों की मौत हुई।
  7. नमूने हाईसिक्योरिटी एनिमल डिजीज संस्थान में जांचे गए।
  8. राजस्थान का राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भी इस वायरस के कारण गंभीर खतरे में है।
  9. साम और रामदेवरा स्थित प्रजनन केंद्रों को एहतियात के तौर पर अस्थायी रूप से बंद किया गया।
  10. प्रशासन ने शव प्रबंधन और संक्रमण रोकने के लिए क्विक रिस्पांस टीमें (QRTs) तैनात कीं।
  11. प्रभावित क्षेत्रों के जल स्रोतों और भोजन स्थलों को रासायनिक रूप से निष्फल किया जा रहा है।
  12. बीते वर्षों में मौतों में वृद्धि दर्ज हुई: 2022 में 6, 2023 में 11 और 2024 में 9 पक्षी मरे।
  13. विषैली जलधाराएं, कीटनाशकों से दूषित अनाज और जलवायु तनाव प्रमुख कारण माने गए।
  14. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि प्रदूषण और आवास क्षरण के चलते ऐसी महामारियाँ दोहराई जा सकती हैं।
  15. कुरजां पक्षी राजस्थान में पारिस्थितिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
  16. ये पक्षी काला सागर क्षेत्र से पूर्वोत्तर चीन होते हुए भारत के शुष्क क्षेत्रों में सर्दियों में आते हैं।
  17. फ्लू का यह प्रकोप जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को प्रभावित करता है।
  18. इलेक्ट्रोक्यूशन और पर्यावरणीय तनाव इन प्रवासी पक्षियों के लिए अन्य जोखिम हैं।
  19. यह घटना वन्यजीव रोग निगरानी और रोकथाम प्रणाली की आवश्यकता को उजागर करती है।
  20. इस संकट ने सक्रिय संरक्षण और एवियन फ्लू निगरानी प्रणाली की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

 

Q1. जनवरी 2025 में राजस्थान में डेमोइसेल क्रेनों की हालिया मौत का मुख्य कारण क्या है?


Q2. राजस्थान में डेमोइसेल क्रेनों को स्थानीय रूप से किस नाम से जाना जाता है?


Q3. एवियन फ्लू के प्रकोप से राजस्थान में कौन-सी अति संकटग्रस्त पक्षी प्रजाति सबसे अधिक जोखिम में है?


Q4. किस संस्थान ने क्रेन के नमूनों में H5N1 वायरस की पुष्टि की?


Q5. डेमोइसेल क्रेन सर्दियों के दौरान राजस्थान में किस क्षेत्र से प्रवास करती हैं?


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Daily Current Affairs January 23

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