दिल्ली की पानी की लगातार बढ़ती समस्या
दिल्ली एक बार फिर गंभीर जल संकट से जूझ रही है, जिसकी वजह है यमुना नदी में बढ़ता अमोनिया प्रदूषण। इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है, जहाँ आम आदमी पार्टी (AAP) ने हरियाणा सरकार पर अत्यधिक अमोनिया युक्त पानी यमुना में छोड़ने का आरोप लगाया है, जिससे राजधानी के लाखों लोगों की जल आपूर्ति बाधित हो रही है।
अमोनिया क्या है और यह खतरनाक क्यों है?
अमोनिया एक तीव्र गंध वाली रंगहीन गैस है, जिसका उपयोग उर्वरकों, सफाई उत्पादों और उद्योगों में होता है। जब यह पानी में मिल जाता है और सुरक्षित सीमा से ऊपर चला जाता है, तो यह स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए नुकसानदायक होता है। इसके मुख्य स्रोत हैं: कृषि से बहाव, औद्योगिक अपशिष्ट, और असंसाधित सीवेज। यमुना जैसे नदी तंत्र में इसका प्रवेश जल गुणवत्ता को बिगाड़ता है और शुद्धिकरण की प्रक्रिया को जटिल बना देता है।
दिल्ली की जल आपूर्ति पर प्रभाव
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) केवल 1 ppm (पार्ट पर मिलियन) से कम अमोनिया स्तर वाले पानी को ही प्रभावी रूप से शुद्ध कर सकता है। शीतकाल में जब पानी का प्रवाह कम होता है, तब अमोनिया स्तर बढ़ जाता है, जिससे राजधानी में जल कटौती की नौबत आती है। नतीजा: कई इलाकों में साफ पानी की भारी किल्लत हो जाती है।
रासायनिक उपचार की जटिलता
अमोनिया के उपचार में क्लोरीन का उपयोग होता है, लेकिन यह एक संवेदनशील संतुलन है। 1 ppm अमोनिया नाइट्रोजन को शुद्ध करने के लिए लगभग 11.5 किलोग्राम क्लोरीन प्रति लीटर की जरूरत होती है। कम क्लोरीन से रोगाणु जीवित रह सकते हैं, और ज्यादा अमोनिया होने पर पूरा उपचार प्रणाली विफल हो सकता है। यह रासायनिक संघर्ष रोज़ाना जल संयंत्रों में देखा जाता है।
सरकारी कार्रवाई में देरी
वज़ीराबाद अमोनिया उपचार संयंत्र की घोषणा मार्च 2023 में की गई थी, लेकिन यह अब तक निर्माणाधीन है। दूसरी ओर, हरियाणा सरकार ने भी प्रदूषण के स्रोत पर नियंत्रण के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सीमा पार जल संकट तभी हल हो सकता है जब राज्य–स्तरीय समन्वय और सहयोग बढ़े।
यमुना: जीवन रेखा
यमुना नदी, जो उत्तराखंड के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है, कई राज्यों से बहती हुई प्रयागराज में गंगा से मिलती है। यह भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जो पीने के पानी, सिंचाई, जैव विविधता आदि का प्रमुख स्रोत है।
यमुना की मुख्य सहायक नदियाँ
- टोंस नदी – सबसे बड़ी सहायक नदी, उत्तराखंड से निकलती है
- हिंडन नदी – औद्योगिक प्रदूषण के लिए कुख्यात
- गिरि और चंबल नदियाँ – प्रवाह और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक
ये नदियाँ केवल भौगोलिक धारा नहीं हैं, बल्कि उत्तर भारत की जल और पारिस्थितिकीय स्थिरता का आधार हैं।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
अमोनिया की सुरक्षित सीमा (DJB) | 1 ppm से कम |
क्लोरीन आवश्यकता | 11.5 किलोग्राम प्रति लीटर (1 ppm अमोनिया नाइट्रोजन के लिए) |
यमुना उद्गम | यमुनोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड |
प्रभावित राज्य | उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश |
संगम स्थल | त्रिवेणी संगम, प्रयागराज |
प्रमुख सहायक नदियाँ | टोंस, चंबल, हिंडन, गिरि |
प्रस्तावित उपचार संयंत्र | वज़ीराबाद, दिल्ली (घोषणा – मार्च 2023) |