भारत की समुद्री दृष्टिकोण का विस्तार
भारत ने अपने समुद्री कूटनीतिक दृष्टिकोण को और सशक्त करते हुए महासागर पहल की शुरुआत की है। यह नीति सागर (SAGAR – Security and Growth for All in the Region) सिद्धांत पर आधारित है और इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी, और सतत विकास को बढ़ावा देना है। इस पहल का एक व्यावहारिक उदाहरण है मालदीव के पोत एमएनडीएफ हुरावे का मुंबई नौसैनिक डॉकयार्ड में सफल मरम्मत, जो भारत की क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा प्रदाता की भूमिका को मजबूत करता है।
हिंद महासागर का सामरिक महत्व
हिंद महासागर वैश्विक व्यापार का प्रमुख केंद्र है, जहाँ से भारत की 80% कच्चे तेल की आपूर्ति और 95% व्यापार गुजरता है। मालक्का जलडमरूमध्य जैसे चोकपॉइंट समुद्री डकैती, तस्करी और शक्ति संघर्षों के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र बनाते हैं। ऐसे में भारत ने स्वयं को एक स्थिर शक्ति के रूप में स्थापित किया है, जो कूटनीति और नौसेनिक उपस्थिति के माध्यम से साझा समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
नौसेना सहयोग और निगरानी को बढ़ावा
महासागर नीति के तहत भारत ने IOR देशों के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों को सघन किया है।
- IOS SAGAR और AIKEYME (अफ्रीका–भारत समुद्री पहल) जैसे मंचों के माध्यम से भारत हर साल 20 से अधिक अभ्यास आयोजित करता है।
- IFC-IOR (Information Fusion Centre – Indian Ocean Region) और NMDA (National Maritime Domain Awareness) जैसे ढाँचे भारत की रियल–टाइम निगरानी और प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करते हैं, जिसमें व्हाइट शिपिंग समझौतों से डेटा साझा करना शामिल है।
ब्लू इकोनॉमी और सतत विकास लक्ष्य
भारत की नई समुद्री नीति सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पर्यावरणीय और आर्थिक स्थिरता भी शामिल है।
- ब्लू इकोनॉमी के तहत समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, महासागर ऊर्जा और सतत मछली पालन जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- सागरमाला परियोजना के माध्यम से बंदरगाह अवसंरचना को आधुनिक बनाया जा रहा है, जिससे तटीय रोजगार और हरित शिपिंग को बल मिलता है।
राजनयिक चुनौतियाँ और समाधान
हालाँकि भारत की समुद्री महत्वाकांक्षाएँ उच्च स्तर पर हैं, फिर भी इसमें कुछ बाधाएँ हैं:
- जहाज़ों के लिए आयात पर निर्भरता और सीमित घरेलू निर्माण।
- पड़ोसी देशों के साथ राजनीतिक मतभेद, जो सहयोग की गति को धीमा करते हैं।
फिर भी, भारत ने IORA, BIMSTEC, ASEAN जैसी क्षेत्रीय संस्थाओं से साझेदारी और ITEC कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षण देकर क्षेत्रीय क्षमताओं को सुदृढ़ किया है।
आगे की दिशा
महासागर पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत एक समावेशी और विश्वसनीय समुद्री भागीदार कैसे बना रहता है। इसमें जलवायु परिवर्तन, अवैध मछली पकड़ना जैसे गैर–पारंपरिक खतरों से निपटना और स्थानीय तटीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना शामिल है।
सुरक्षा और सहयोग में संतुलन बनाकर भारत हिंद महासागर क्षेत्र के भविष्य को आकार देने की ओर अग्रसर है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
MAHASAGAR का पूर्ण रूप | Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth for All in the Region |
आधारित है | SAGAR सिद्धांत |
प्रमुख संस्था | Information Fusion Centre – Indian Ocean Region (IFC-IOR) |
सामरिक चोकपॉइंट | मालक्का जलडमरूमध्य |
ब्लू इकोनॉमी लक्ष्यों | समुद्री जैव-प्रौद्योगिकी, सतत मछली पालन, महासागर ऊर्जा |
सागरमाला का उद्देश्य | बंदरगाह आधुनिकीकरण, तटीय विकास |
नौसेना अभ्यास | IOS SAGAR, AIKEYME, 20+ वार्षिक अभ्यास |
सहयोग का उदाहरण | MNDF हुरावे (मालदीव) का मरम्मत, मुंबई नौसैनिक अड्डा |