क्यों ज़रूरी हैं क्रिटिकल मिनरल्स
क्रिटिकल मिनरल्स आधुनिक उद्योगों की रीढ़ हैं। ये नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा तकनीकों को शक्ति देते हैं। वैश्विक मांग तेजी से बढ़ रही है और देश इनकी स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने की होड़ में हैं। भारत और जापान दोनों आयात पर निर्भर हैं, इसलिए दीर्घकालिक संसाधन सुरक्षा के लिए सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
स्थिर जीके तथ्य: रेयर अर्थ मिनरल्स पवन टर्बाइन और इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग होने वाले मैग्नेट्स के लिए अनिवार्य हैं।
समझौते की प्रमुख बातें
15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन (टोक्यो) में दोनों देशों ने क्रिटिकल मिनरल्स पर सहयोग ज्ञापन (MoC) पर हस्ताक्षर किए। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं—
- भारत और अन्य साझेदार देशों में संयुक्त खनन और अन्वेषण परियोजनाएँ
- नीतिगत और नियामक संवाद
- सतत डीप–सी माइनिंग प्रथाएँ
- आपूर्ति स्थिरता हेतु रिज़र्व का निर्माण
- प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी और नवाचार पर संयुक्त कार्य
यह समझौता प्रमुख निर्यातकों पर अत्यधिक निर्भरता को घटाएगा और दोनों देशों को वैश्विक तकनीकी दौड़ में मज़बूती देगा।
निवेश और स्टार्टअप्स पर ध्यान
समझौता जापान की भारत में अगले दशक में 10 ट्रिलियन येन निवेश प्रतिबद्धता से जुड़ा है। इसका एक बड़ा हिस्सा स्टार्टअप्स और एमएसएमई को समर्थन देगा, ताकि वे खनिज प्रोसेसिंग और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में नवाचार के वाहक बन सकें।
स्थिर जीके तथ्य: जापान भारत के शीर्ष पाँच निवेशकों में से एक है।
अगले दशक का रोडमैप
भारत और जापान ने एक 10-वर्षीय दृष्टि दस्तावेज़ तैयार किया है, जिसमें आठ स्तंभों पर सहयोग होगा—निवेश, नवाचार, ऊर्जा लचीलापन, पर्यावरणीय स्थिरता, उन्नत प्रौद्योगिकी, मोबिलिटी, स्वास्थ्य सेवा और राज्य-स्तरीय भागीदारी। मिनरल समझौता इन्हीं स्तंभों से मेल खाता है और इंडो–पैसिफिक ढांचे में उनकी साझेदारी को और गहरा करता है।
व्यापक रणनीतिक महत्व
यह सहयोग स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण और आर्थिक लचीलापन की साझा दृष्टि को मजबूत करता है। यह दोनों देशों की वैश्विक वैल्यू चेन में भूमिका को बढ़ाता है और क्वाड जैसे मंचों की पहलों को सहारा देता है। विशेषज्ञता और संसाधनों को मिलाकर भारत और जापान खुद को सतत तकनीक के वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
स्थिर जीके टिप: भारत ने 2019 में खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) की स्थापना की थी, ताकि विदेशों से क्रिटिकल मिनरल्स की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
आयोजन | भारत-जापान ने क्रिटिकल मिनरल्स पर MoC पर हस्ताक्षर किए |
शिखर सम्मेलन | 15वां भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन, टोक्यो |
नेता | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी नेतृत्व |
फोकस | सप्लाई चेन रेज़िलिएंस, स्वच्छ ऊर्जा, तकनीकी सहयोग |
निवेश लक्ष्य | जापान का 10 ट्रिलियन येन निवेश (अगले 10 वर्ष) |
रणनीतिक क्षेत्र | खनन, अन्वेषण, डीप-सी माइनिंग, स्टॉकपाइलिंग, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर |
रेयर अर्थ महत्व | बैटरियों, सेमीकंडक्टर, सौर ऊर्जा और रक्षा में अहम |
जापान की भूमिका | 2000 से भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा निवेशक |
रोडमैप | 8 स्तंभों पर सहयोग (निवेश, नवाचार, ऊर्जा, पर्यावरण आदि) |
प्रमुख एजेंसी | KABIL (2019 में स्थापित) |