वन्यजीव संरक्षण के माध्यम से दूरदर्शी नेता को श्रद्धांजलि
डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में, मध्य प्रदेश सरकार ने एक नए वन्यजीव अभयारण्य की घोषणा की है। 258.64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर अभयारण्य’ नाम से स्थापित किया गया है। यह न केवल एक सामाजिक सुधारक को सम्मान देने का प्रतीक है, बल्कि भारत की जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।
यह अभयारण्य कहां स्थित है?
यह अभयारण्य मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है, विशेष रूप से उत्तर सागर वन मंडल के अंतर्गत आता है। यह बंडा और शाहगढ़ तहसीलों में फैला हुआ है, जो अपनी घनी हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। यह इलाका स्थानीय वन्यजीवों के लिए एक आदर्श आवास प्रदान करता है। मध्य भारत की इन हरी–भरी पहाड़ियों में वन्य जीवन पनपने के लिए उपयुक्त वातावरण मौजूद है।
यह अभयारण्य क्यों महत्वपूर्ण है?
मध्य प्रदेश पहले से ही भारत का “टाइगर स्टेट” माना जाता है, जहां कान्हा, बांधवगढ़ और पन्ना जैसे प्रमुख टाइगर रिजर्व स्थित हैं। इस नए अभयारण्य के साथ, राज्य में वन्यजीव अभयारण्यों की संख्या 25 हो गई है। परंतु इसका महत्व केवल पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं है। अंबेडकर के नाम पर इसका नामकरण, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय के मिलन का प्रतीक है।
यह अभयारण्य केवल जानवरों की रक्षा नहीं करता, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करता है, विशेषकर इको–टूरिज्म के माध्यम से। आसपास के ग्रामीण लोग गाइड, होमस्टे ऑपरेटर या ईको–फ्रेंडली व्यवसायी बन सकते हैं, जिससे प्राकृतिक संसाधन और आजीविका आपस में जुड़ती हैं।
इको-टूरिज्म और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
वन्यजीव अभयारण्य हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। जैसे उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट या केरल का पेरियार, इन इलाकों के गांवों के लिए आर्थिक जीवनरेखा बन गए हैं। डॉ. अंबेडकर अभयारण्य के माध्यम से, मध्य प्रदेश भी संरक्षण को आर्थिक विकास का साधन बनाना चाहता है।
इस घोषणा का समय भी बेहद प्रतीकात्मक है — यह अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) से ठीक पहले किया गया। इससे अब डॉ. अंबेडकर का नाम भारत के हरित भविष्य का हिस्सा बनता है, न कि केवल राजनीतिक या सामाजिक स्मृति का।
पर्यावरणविदों द्वारा स्वागत योग्य कदम
पर्यावरण विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय की प्रशंसा की है। इसे उन्होंने पर्यावरणीय जिम्मेदारी और समावेशी शासन का अद्भुत मेल बताया है। अंबेडकर के नाम को अपनाकर, सरकार ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि संरक्षण में सभी की भागीदारी होनी चाहिए, विशेषकर उन लोगों की जो अक्सर उपेक्षित रहते हैं।
जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संकट के इस युग में, ऐसी पहलें आशा की किरण बनती हैं। ये दिखाती हैं कि राज्य सरकारें कैसे विरासत और पर्यावास की रक्षा में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
अभयारण्य का नाम | डॉ. भीमराव अंबेडकर अभयारण्य |
स्थान | सागर जिला, मध्य प्रदेश |
क्षेत्रफल | 258.64 वर्ग किमी |
राज्य में स्थान | मध्य प्रदेश का 25वां वन्यजीव अभयारण्य |
संबंधित अवसर | अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) |
प्रमुख विशेषता | संरक्षण और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना |