स्मारक को सूची से हटाना वास्तव में क्या दर्शाता है?
जब किसी स्मारक को डीलिस्ट (सूची से हटाया) किया जाता है, तो इसका अर्थ है कि वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारकों की सूची से हटा दिया गया है। इसका यह भी अर्थ है कि सरकार द्वारा उस पर नियमित रखरखाव, संरक्षण प्रयास या कानूनी सुरक्षा नहीं दी जाएगी। प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम (AMASR Act), 1958 के तहत, यदि कोई स्मारक राष्ट्रीय महत्व का नहीं माना जाता है, तो केंद्र सरकार उसे सूची से हटा सकती है। हालांकि, यह निर्णय लोकतांत्रिक बहस और राजनीतिक संवेदनशीलता को जन्म दे सकता है।
एएमएएसआर अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता क्यों है?
AMASR अधिनियम को भारत की विशाल सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए बनाया गया था। यह पुरातात्विक खुदाई नियमों और संरक्षित स्मारकों के पास निर्माण पर प्रतिबंध की व्यवस्था करता है। 2010 के संशोधन में ‘राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA)’ की स्थापना की गई, ताकि स्मारकों के पास निर्माण गतिविधियों की निगरानी की जा सके। हालांकि, यह अधिनियम छोटे मंदिरों और बड़े किलों जैसे सभी स्मारकों पर एक जैसे नियम लागू करता है, जो कि हर स्मारक की आवश्यकताओं के अनुसार उपयुक्त नहीं है। साथ ही, ASI के पास स्टाफ की भारी कमी और सीमित बजट होने से चुनौतियाँ और बढ़ जाती हैं।
हालिया गतिविधियाँ और बढ़ती आलोचनाएँ
भारत में वर्तमान में 3,698 एएसआई संरक्षित स्मारक हैं। हाल ही में, 18 स्मारकों को डीलिस्ट किया गया, क्योंकि वे अनुपलब्ध (Untraceable) पाए गए। एक चर्चित मामला औरंगजेब की कब्र से जुड़ा है, जो राजनीतिक दबाव और विरोध के कारण चर्चा में है। एक संसदीय समिति ने अब सिफारिश की है कि डीलिस्टिंग नियमों में सुधार के लिए एक स्वतंत्र पैनल का गठन किया जाए। यह पैनल स्पष्ट दिशानिर्देश, पारदर्शिता और जन भागीदारी सुनिश्चित करेगा, ताकि किसी भी ऐतिहासिक स्थल को बिना न्यायसंगत प्रक्रिया के सूची से न हटाया जाए।
भारत अपने विरासत प्रबंधन को कैसे सुधार सकता है?
इन कमियों को दूर करने के लिए समिति ने कुछ ठोस सुझाव दिए हैं।
- सबसे पहले, प्रत्येक स्मारक की स्थिति को रीयल-टाइम में ट्रैक करने के लिए जीआईएस आधारित डिजिटल सूची तैयार करना।
- दूसरा, हर दो वर्षों में सभी स्मारकों का ऑडिट किया जाए।
- तीसरा, संरक्षित स्मारकों को क्षति पहुंचाने या अतिक्रमण करने वालों पर कड़ी कानूनी सजा का प्रावधान किया जाए।
इन सुधारों से ASI को अवैध गतिविधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने की शक्ति मिल सकेगी।
भारत के स्मारकों का भविष्य क्या होगा?
स्मारकों की रक्षा करना केवल बाड़ या सुरक्षा कर्मियों की बात नहीं है—यह हमारे इतिहास के प्रति सम्मान है। निरंतर शहरीकरण और विकास योजनाओं के चलते, कई पुराने ढांचे खतरे में हैं। समाधान है कि हम तकनीक, कानून और जनभागीदारी को मिलाकर काम करें। यदि नीतियाँ बेहतर बनाई जाएँ और ASI को पर्याप्त संसाधन और स्टाफ मिले, तो भारत आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रख सकता है—even एक छोटा मंदिर भी एक भूली-बिसरी सभ्यता की कहानी सुना सकता है।
Static GK Snapshot (हिंदी में)
विषय | विवरण |
शासकीय कानून | प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम (AMASR), 1958 |
संशोधन वर्ष (NMA की स्थापना) | 2010 |
कुल संरक्षित स्मारक (ASI) | 3,698 (2025 तक) |
हाल में डीलिस्ट किए स्मारक | 18 (अनुपलब्ध घोषित) |
निर्माण स्वीकृति के लिए संस्था | राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) |
संबंधित मंत्रालय | भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय |
हालिया सिफारिश | डीलिस्टिंग के लिए स्वतंत्र पैनल की स्थापना |
डिजिटल सूची सुझाव | GIS आधारित मॉनिटरिंग और रीयल-टाइम ऑडिट |
परीक्षा उपयोगिता | UPSC, TNPSC, SSC, बैंकिंग, राज्य लोक सेवा आयोग |