भारत में स्टारलिंक को मिला आसमान का रास्ता
भारत के इंटरनेट बुनियादी ढांचे में एक बड़ा कदम उठाते हुए, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की सैटेलाइट इंटरनेट शाखा Starlink को दूरसंचार विभाग (DoT) से GMPCS लाइसेंस मिल गया है। अब स्टारलिंक भारत में अपना परिचालन शुरू कर सकता है और पूरे देश में तेज़ गति वाला सैटेलाइट ब्रॉडबैंड प्रदान कर सकता है। यह लाइसेंस — Global Mobile Personal Communication by Satellite — अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में सैटेलाइट सेवाएं देने की कानूनी अनुमति देता है। इससे पहले OneWeb (भारती एयरटेल द्वारा समर्थित) और Jio Satellite Communications को यह मंजूरी मिल चुकी है।
सैटेलाइट इंटरनेट का बढ़ता महत्व
दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए पारंपरिक इंटरनेट लाइनें व्यावहारिक नहीं होतीं। ऐसे में Low-Earth Orbit (LEO) सैटेलाइट्स से इंटरनेट सीधे अंतरिक्ष से प्रसारित कर पाना तकनीकी क्रांति है। GMPCS की यह मंजूरी केवल कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि सुरक्षा मंजूरियों और डेटा संप्रभुता से संबंधित नियमों को पूरा करने के बाद मिली है। अब स्टारलिंक को परीक्षण स्पेक्ट्रम मिलेगा जिससे वह अपनी तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकेगा।
मौजूदा प्रतिस्पर्धा का सामना
भारत में यह बाज़ार पहले से खाली नहीं है। OneWeb को अगस्त 2021 में लाइसेंस मिला था और Jio Satellite को मार्च 2022 में। ये कंपनियां पहले से अपनी सेवाओं के लिए संरचना तैयार कर रही हैं। वहीं Amazon Project Kuiper को अभी सरकार की हरी झंडी का इंतज़ार है। उपभोक्ताओं के लिए यह प्रतिस्पर्धा अच्छा संकेत है — जिससे मूल्य, सेवा और नवाचार में सुधार होगा।
किन शर्तों पर मिली मंजूरी?
सरकार ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं। स्टारलिंक को कम से कम 20% ज़मीनी तकनीक भारत में बनानी या स्थापित करनी होगी। इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लीगल इंटरसेप्शन अनिवार्य है और उपयोगकर्ता डेटा देश से बाहर नहीं भेजा जा सकता। हब और गेटवे लोकेशनों के लिए भी अलग से सुरक्षा मंजूरी जरूरी होगी।
परीक्षण के बाद ही व्यावसायिक शुरुआत
TRAI ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमत और आवंटन पर सरकार को सुझाव भेजे हैं, लेकिन आधिकारिक स्पेक्ट्रम आवंटन के बाद ही व्यावसायिक सेवा शुरू हो सकेगी। फिलहाल परीक्षण चरण की शुरुआत जल्द ही अपेक्षित है।
डिजिटल इंडिया और अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान
यह कदम डिजिटल इंडिया मिशन के उद्देश्यों के साथ पूरी तरह मेल खाता है। किसानों को मौसम की जानकारी, छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा और दूरदराज क्षेत्रों में संचार सुविधा देने के लिए सैटेलाइट इंटरनेट बेहद कारगर साबित हो सकता है। जैसे मोबाइल फोन ने लैंडलाइन को पीछे छोड़ दिया, वैसे ही यह तकनीक इंटरनेट के स्वरूप को बदल सकती है। साथ ही, भारत की ISRO जैसी संस्थाएं पहले से अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी हैं — ऐसे में निजी कंपनियों को समर्थन देना देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
स्थैतिक उसयन समसामयिक जानकारी तालिका
विषय | विवरण |
GMPCS का पूर्ण रूप | ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट |
Starlink की मूल कंपनी | SpaceX |
Starlink को लाइसेंस प्राप्त वर्ष | 2025 |
भारत में अन्य GMPCS धारक | OneWeb, Jio Satellite Communications |
OneWeb लाइसेंस वर्ष | 2021 |
Jio Satellite लाइसेंस वर्ष | 2022 |
Project Kuiper स्थिति | मंजूरी लंबित |
DoT का पूर्ण रूप | दूरसंचार विभाग |
न्यूनतम ज़मीनी संरचना | 20% स्वदेशी बनाना अनिवार्य |
TRAI का पूर्ण रूप | भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण |