भारत के रासायनिक उद्योग के सामने निर्णायक मोड़
नीति आयोग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसका शीर्षक है “Chemical Industry: Powering India’s Participation in Global Value Chains”। इसमें यह लक्ष्य रखा गया है कि भारत का रासायनिक क्षेत्र वर्ष 2040 तक USD 1 ट्रिलियन तक पहुंचे।
फिलहाल, भारत का योगदान वैश्विक रासायनिक मूल्य श्रृंखला (GVC) में केवल 3.5% है, जबकि भारत दुनिया का छठवाँ सबसे बड़ा रासायनिक उत्पादक देश है।
संरचनात्मक बदलावों से विकास की संभावना
यदि राजकोषीय और गैर–राजकोषीय हस्तक्षेप सही समय पर किए जाएं, तो भारत 2040 तक GVC हिस्सेदारी 12% तक बढ़ा सकता है। इसके लिए उद्योग में इंफ्रास्ट्रक्चर, नीति, और मानव संसाधन में बड़ा बदलाव आवश्यक है।
Static GK तथ्य: भारत का वर्तमान रासायनिक उद्योग 220 अरब डॉलर से अधिक का है और यह 20 लाख से अधिक नौकरियाँ प्रदान करता है।
प्रमुख बाधाएँ जो विकास को रोकती हैं
2023 में भारत का रासायनिक व्यापार घाटा USD 31 अरब था, जिसका मुख्य कारण आयातित कच्चे माल पर निर्भरता है।
अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश 0.7% है, जो कि वैश्विक औसत 2.3% से बहुत कम है।
इसके अलावा, 30% कुशल जनशक्ति की कमी भी उद्योग की उत्पादन क्षमता को प्रभावित कर रही है।
Static GK टिप: भारत मेथनॉल, फिनोल, एसिटिक एसिड जैसे प्रमुख कच्चे रसायनों का आयात करता है।
अवसंरचना और नियामकीय अड़चनें
भारत का रासायनिक क्षेत्र लॉजिस्टिक्स की कमी, जटिल नियमों और असंगठित आपूर्ति श्रृंखलाओं से जूझ रहा है।
तेज़ पर्यावरणीय स्वीकृति, सरलीकृत नियम और उद्योग अनुकूल नीतियाँ विदेशी निवेश को आकर्षित करने में सहायक होंगी।
रणनीतिक सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता
नीति आयोग की रिपोर्ट में Viability Gap Funding (VGF) जैसी वित्तीय सहायता की सिफारिश की गई है, जिससे बड़े पैमाने पर रासायनिक परियोजनाओं को समर्थन मिले।
केमिकल हब्स यानी औद्योगिक क्लस्टर्स की तरह विशेष केंद्र विकसित करने से प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।
Opex सब्सिडी भी उन रसायनों पर दी जानी चाहिए जिनका आयात अधिक और निर्यात की संभावना भी उच्च है।
Static GK तथ्य: भारत के कुल रासायनिक उत्पादन का 60% से अधिक गुजरात में होता है, जिसकी वजह है वहां की पेट्रोकेमिकल सुविधाएं और पोर्ट कनेक्टिविटी।
वैश्विक जुड़ाव के लिए मुक्त व्यापार समझौते
नीति आयोग ने प्रमुख निर्यात बाजारों के साथ FTAs (Free Trade Agreements) को प्राथमिकता देने की बात कही है, जिससे कच्चे माल की आपूर्ति और निर्यात बाजार तक पहुंच आसान हो सके।
निष्कर्ष
यदि भारत समयबद्ध नीति क्रियान्वयन और लक्षित निवेश को अपनाता है, तो रासायनिक उद्योग न केवल तेज़ी से विकसित होगा बल्कि यह भारत की वैश्विक व्यापार रणनीति का एक प्रमुख स्तंभ भी बन सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
वर्तमान GVC हिस्सेदारी | 3.5% |
GVC लक्ष्य (2040 तक) | 12% |
रिपोर्ट जारीकर्ता | नीति आयोग |
2040 का लक्ष्य | USD 1 ट्रिलियन रासायनिक उद्योग |
वैश्विक रैंक (उत्पादन में) | छठा स्थान |
2023 व्यापार घाटा | USD 31 अरब |
भारत में R&D निवेश | 0.7% |
वैश्विक औसत R&D निवेश | 2.3% |
कुशल जनशक्ति की कमी | 30% |
प्रमुख उत्पादक राज्य | गुजरात |