हालिया कानूनी व्याख्या में NCLAT का निर्णय
हाल ही में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने यह निर्णय सुनाया कि दिवालियापन और ऋण शोधन संहिता (IBC), 2016 धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 पर प्राथमिकता नहीं पा सकती। यह फैसला स्पष्ट करता है कि वित्तीय अपराधों जैसे मनी लॉन्ड्रिंग को दिवालिया प्रक्रिया के दौरान भी सजा से मुक्त नहीं किया जा सकता। यह निर्णय एक अपील के दौरान आया, जिसमें परिसमापक ने IBC के अंतर्गत PMLA को दरकिनार करने की दलील दी थी।
NCLAT क्या है?
NCLAT (National Company Law Appellate Tribunal) की स्थापना कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 410 के तहत की गई थी। यह NCLT (National Company Law Tribunal) के निर्णयों के खिलाफ प्रधान अपीलीय निकाय के रूप में कार्य करता है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और यह पूरे भारत में कॉर्पोरेट कानून की व्याख्या में एकरूपता सुनिश्चित करता है।
व्यापक अपीलीय अधिकार
NCLAT केवल NCLT से संबंधित अपीलें नहीं सुनता, बल्कि यह निम्नलिखित निकायों से संबंधित मामलों की भी सुनवाई करता है:
- दिवालियापन और ऋण शोधन बोर्ड (IBBI)
- प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI)
- राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA)
इससे NCLAT भारत की कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रणाली का केंद्रीय स्तंभ बन जाता है।
शक्तियाँ और क्षेत्राधिकार
NCLAT को किसी भी नियामक निकाय या ट्रिब्यूनल के निर्णय को स्थिर रखने, संशोधित करने या खारिज करने का अधिकार है। इसके फैसलों के खिलाफ सीधे सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है, जिससे यह संवैधानिक न्याय और प्रशासनिक न्याय का सेतु बन जाता है।
Static GK Fact: NCLAT की स्थापना 1 जून 2016 को Companies (Amendment) Act, 2015 के तहत की गई थी।
अन्य कानूनों के साथ समन्वय
हालिया निर्णय से यह स्पष्ट हुआ है कि भले ही NCLAT मुख्य रूप से IBC और कंपनी अधिनियम के तहत कार्य करता हो, परंतु PMLA जैसे क्षेत्रीय कानूनों को तब वरीयता दी जा सकती है, जब राष्ट्रीय वित्तीय अखंडता दांव पर हो।
Static GK Tip: PMLA (2002) को 2005 में लागू किया गया था, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग को रोका जा सके और अवैध संपत्ति को जब्त किया जा सके।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रासंगिकता
NCLAT अक्सर उच्च–प्रोफ़ाइल दिवालिया मामलों और कॉर्पोरेट विलय विवादों के कारण चर्चा में रहता है। इसके निर्णयों का प्रभाव बड़ी कंपनियों और नीति निर्माण दोनों पर पड़ता है। UPSC, TNPSC, SSC और बैंकिंग जैसी परीक्षाओं की आर्थिक विकास, शासन और कॉर्पोरेट सुधार से जुड़ी विषयों के लिए NCLAT की समझ आवश्यक है।
Static Usthadian Current Affairs Table (हिंदी संस्करण)
विषय | विवरण |
NCLAT का पूर्ण नाम | National Company Law Appellate Tribunal |
स्थापित अधिनियम | कंपनी अधिनियम, 2013 (धारा 410) |
स्थापना तिथि | 1 जून 2016 |
मुख्य पीठ | नई दिल्ली |
अपीलें सुनी जाती हैं | NCLT, IBBI, CCI, NFRA से |
हालिया निर्णय | IBC, PMLA को ओवरराइड नहीं कर सकता |
सर्वोच्च न्यायालय में अपील | संभव है |
भूमिका | कॉर्पोरेट और दिवालिया मामलों की अपील संस्था |
संबंधित कानून | IBC 2016, कंपनी अधिनियम 2013, PMLA 2002 |
PMLA लागू हुआ | वर्ष 2005 से |