कैंसर मामलों में चिंताजनक वृद्धि
भारत अब सिर्फ जीवनशैली के कारण नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण के कारण भी कैंसर संकट का सामना कर रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, देश में कैंसर के मामले 2022 में 1.46 मिलियन से बढ़कर 2025 तक 1.57 मिलियन हो सकते हैं। भारत में गैर–संक्रामक बीमारियों से मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण अब कैंसर बन गया है। हर नौ भारतीयों में से एक को जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना है। फेफड़ों का कैंसर अब केवल धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं रहा।
फेफड़ों के कैंसर का बदलता स्वरूप
पहले फेफड़ों का कैंसर मुख्यतः धूम्रपान से जुड़ा माना जाता था, लेकिन अब लगभग 30% मरीज नॉन–स्मोकर होते हैं। चेन्नई के आंकड़े बताते हैं कि पहले 40% नॉन–स्मोकर मरीज थे, जो अब 55% से अधिक हो गए हैं। नॉन-स्मोकर आमतौर पर एडेनोकार्सिनोमा से पीड़ित होते हैं, जबकि स्मोकर में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा पाया जाता है। यह परिवर्तन बताता है कि वायु की गुणवत्ता भी एक महत्वपूर्ण कारक बन चुकी है।
प्रदूषण से बढ़ता खतरा
वायु प्रदूषण और फेफड़ों के कैंसर के बीच संबंध अब प्रमाणित हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायु प्रदूषण को “Group 1 Carcinogen” यानी निश्चित रूप से कैंसर कारक घोषित किया है। 2024 में भारत दुनिया का 5वां सबसे प्रदूषित देश रहा। सबसे खतरनाक कण है PM 2.5, जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं। भारत में इसके स्तर WHO की सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।
निदान और इलाज की चुनौतियाँ
भारत में एक बड़ी समस्या है देर से कैंसर की पहचान। इसके लक्षण – जैसे खांसी या सांस की तकलीफ – अक्सर टीबी जैसे लगते हैं, जिससे गलत निदान हो जाता है। जब तक कैंसर की सही पहचान होती है, तब तक यह अंतिम चरण में पहुँच चुका होता है। जबकि शहरों में आधुनिक जांच सुविधाएँ हैं, ग्रामीण भारत, जहाँ 70% से अधिक आबादी रहती है, वहाँ अभी भी इलाज की सुविधा बेहद सीमित है।
समाधान और भविष्य की आशा
विशेषज्ञों के अनुसार, समाधान एक बहु–आयामी रणनीति में है – जैसे वायु गुणवत्ता में सुधार, प्रारंभिक लक्षणों के प्रति जागरूकता, और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग। उत्तर–पूर्व भारत, जहाँ अभी वायु की गुणवत्ता बेहतर है, रोकथाम मॉडल के रूप में सामने आ सकता है। इनडोर और आउटडोर प्रदूषण को कम करना जरूरी है। इसके लिए स्वच्छ ईंधन (जैसे एलपीजी), पेड़ लगाना और उत्सर्जन पर नियंत्रण आवश्यक कदम हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
कैंसर मामलों का अनुमान (ICMR) | 2025 तक 1.57 मिलियन |
प्रमुख गैर-संक्रामक रोग | कैंसर (दूसरा सबसे बड़ा कारण) |
फेफड़ों का कैंसर (नॉन-स्मोकर) | कुल मामलों में 30% तक |
PM 2.5 प्रदूषण (भारत 2024) | WHO सीमा से अधिक; 5वां सबसे प्रदूषित देश |
WHO वर्गीकरण | Group 1 Carcinogen (कैंसर कारक) |
आम कैंसर प्रकार | एडेनोकार्सिनोमा (नॉन-स्मोकर), स्क्वैमस (स्मोकर) |
निदान समस्या | टीबी जैसी गलत पहचान, ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर |
बेहतर वायु गुणवत्ता वाला क्षेत्र | उत्तर-पूर्व भारत |
स्थिर GK तथ्य | 70% से अधिक भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं |
स्वच्छ ईंधन योजना | प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (LPG को बढ़ावा) |