जुलाई 18, 2025 10:37 पूर्वाह्न

भारत में कैंसर और वायु प्रदूषण: बढ़ता खतरा

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Cancer and Air Pollution Rising Threat in India

कैंसर मामलों में चिंताजनक वृद्धि

भारत अब सिर्फ जीवनशैली के कारण नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण के कारण भी कैंसर संकट का सामना कर रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, देश में कैंसर के मामले 2022 में 1.46 मिलियन से बढ़कर 2025 तक 1.57 मिलियन हो सकते हैं। भारत में गैरसंक्रामक बीमारियों से मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण अब कैंसर बन गया है। हर नौ भारतीयों में से एक को जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना है। फेफड़ों का कैंसर अब केवल धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं रहा।

फेफड़ों के कैंसर का बदलता स्वरूप

पहले फेफड़ों का कैंसर मुख्यतः धूम्रपान से जुड़ा माना जाता था, लेकिन अब लगभग 30% मरीज नॉनस्मोकर होते हैं। चेन्नई के आंकड़े बताते हैं कि पहले 40% नॉनस्मोकर मरीज थे, जो अब 55% से अधिक हो गए हैं। नॉन-स्मोकर आमतौर पर एडेनोकार्सिनोमा से पीड़ित होते हैं, जबकि स्मोकर में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा पाया जाता है। यह परिवर्तन बताता है कि वायु की गुणवत्ता भी एक महत्वपूर्ण कारक बन चुकी है।

प्रदूषण से बढ़ता खतरा

वायु प्रदूषण और फेफड़ों के कैंसर के बीच संबंध अब प्रमाणित हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायु प्रदूषण को “Group 1 Carcinogen” यानी निश्चित रूप से कैंसर कारक घोषित किया है। 2024 में भारत दुनिया का 5वां सबसे प्रदूषित देश रहा। सबसे खतरनाक कण है PM 2.5, जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं। भारत में इसके स्तर WHO की सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ रहा है

निदान और इलाज की चुनौतियाँ

भारत में एक बड़ी समस्या है देर से कैंसर की पहचान। इसके लक्षण – जैसे खांसी या सांस की तकलीफ – अक्सर टीबी जैसे लगते हैं, जिससे गलत निदान हो जाता है। जब तक कैंसर की सही पहचान होती है, तब तक यह अंतिम चरण में पहुँच चुका होता है। जबकि शहरों में आधुनिक जांच सुविधाएँ हैं, ग्रामीण भारत, जहाँ 70% से अधिक आबादी रहती है, वहाँ अभी भी इलाज की सुविधा बेहद सीमित है।

समाधान और भविष्य की आशा

विशेषज्ञों के अनुसार, समाधान एक बहुआयामी रणनीति में है – जैसे वायु गुणवत्ता में सुधार, प्रारंभिक लक्षणों के प्रति जागरूकता, और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग। उत्तरपूर्व भारत, जहाँ अभी वायु की गुणवत्ता बेहतर है, रोकथाम मॉडल के रूप में सामने आ सकता है। इनडोर और आउटडोर प्रदूषण को कम करना जरूरी है। इसके लिए स्वच्छ ईंधन (जैसे एलपीजी), पेड़ लगाना और उत्सर्जन पर नियंत्रण आवश्यक कदम हैं।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
कैंसर मामलों का अनुमान (ICMR) 2025 तक 1.57 मिलियन
प्रमुख गैर-संक्रामक रोग कैंसर (दूसरा सबसे बड़ा कारण)
फेफड़ों का कैंसर (नॉन-स्मोकर) कुल मामलों में 30% तक
PM 2.5 प्रदूषण (भारत 2024) WHO सीमा से अधिक; 5वां सबसे प्रदूषित देश
WHO वर्गीकरण Group 1 Carcinogen (कैंसर कारक)
आम कैंसर प्रकार एडेनोकार्सिनोमा (नॉन-स्मोकर), स्क्वैमस (स्मोकर)
निदान समस्या टीबी जैसी गलत पहचान, ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर
बेहतर वायु गुणवत्ता वाला क्षेत्र उत्तर-पूर्व भारत
स्थिर GK तथ्य 70% से अधिक भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं
स्वच्छ ईंधन योजना प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (LPG को बढ़ावा)

 

Cancer and Air Pollution Rising Threat in India
  1. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, भारत में कैंसर के मामले 2022 के46 मिलियन से बढ़कर 2025 तक 1.57 मिलियन हो सकते हैं।
  2. कैंसर, भारत में गैरसंक्रामक रोगों से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
  3. हर 9 में से 1 भारतीय के जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना जताई गई है।
  4. अब लंग कैंसर धूम्रपान करने वालों को भी तेजी से प्रभावित कर रहा है, ऐसे मामलों की संख्या 30% तक देखी गई है।
  5. चेन्नई के आंकड़ों के अनुसार, नॉनस्मोकर फेफड़ों के कैंसर के मामले 40% से बढ़कर 55% हो चुके हैं।
  6. एडिनोकार्सिनोमा धूम्रपान न करने वालों में आम है, जबकि धूम्रपान करने वालों में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा अधिक पाया जाता है।
  7. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायु प्रदूषण को ग्रुप 1 कार्सिनोजन (कैंसर का प्रमाणित कारण) के रूप में वर्गीकृत किया है।
  8. 2024 में भारत विश्व का पाँचवाँ सबसे प्रदूषित देश रहा।
  9. PM 2.5 कणों का स्तर WHO की सुरक्षित सीमा से अधिक है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
  10. PM 2.5 सूक्ष्म कण फेफड़ों की गहराई तक जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
  11. अब वायु प्रदूषण धूम्रपान से अधिक फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण बन चुका है।
  12. लंग कैंसर के लक्षण टीबी जैसे होने के कारण कई बार गलत निदान हो जाता है।
  13. देर से निदान भारत में कैंसर से कम जीवन प्रत्याशा का प्रमुख कारण है।
  14. ग्रामीण भारत में जांच और इलाज की सुविधाओं की कमी गंभीर चिंता का विषय है।
  15. जबकि भारत की 70% से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, कैंसर देखभाल केंद्र अधिकतर शहरों में केंद्रित हैं।
  16. उत्तरपूर्व भारत, जहाँ हवा अपेक्षाकृत स्वच्छ है, रोकथाम के लिए एक मॉडल क्षेत्र हो सकता है।
  17. स्वच्छ ईंधनों (जैसे एलपीजी) को बढ़ावा देना घरेलू वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करता है।
  18. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी उपलब्धता सुनिश्चित करने की प्रमुख सरकारी योजना है।
  19. पेड़ लगाना और उत्सर्जन नियंत्रण जैसे उपाय बाहरी प्रदूषण कम करने के लिए आवश्यक हैं।
  20. जागरूकता, स्वच्छ वायु और समय पर पहचान—इन तीन स्तंभों पर आधारित बहुआयामी रणनीति ही कैंसर से निपटने का एकमात्र रास्ता है।

Q1. ICMR के अनुसार, भारत में वर्ष 2025 तक कितने कैंसर मामलों की संभावना है?


Q2. भारत में गैर-धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के किस प्रकार के कैंसर के मामले अधिक पाए जाते हैं?


Q3. WHO ने वायु प्रदूषण को कैंसर से संबंधित किस समूह में वर्गीकृत किया है?


Q4. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में फेफड़ों के कैंसर का निदान देर से होने का एक प्रमुख कारण क्या है?


Q5. भारत का कौन-सा क्षेत्र वायु की बेहतर गुणवत्ता और निवारक कार्रवाई की संभावनाओं के लिए जाना जाता है?


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Daily Current Affairs June 6

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