भार्गवास्त्र परीक्षण ने भारत को वैश्विक एंटी-ड्रोन मानचित्र पर रखा
भारत ने भार्गवास्त्र के सफल परीक्षण के साथ एक बड़ी रणनीतिक उपलब्धि हासिल की है। यह स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणाली खासतौर पर ड्रोन स्वार्म (संगठित ड्रोन समूह) के खतरों से निपटने के लिए बनाई गई है। इसे सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने विकसित किया है। इस प्रणाली में हार्ड–किल माइक्रो रॉकेट्स और सॉफ्ट–किल इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग तकनीकों का संयोजन है, जिससे यह बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रदान करती है। यह परीक्षण भारत की तकनीकी क्षमता और सीमा सुरक्षा की तत्परता का प्रमाण है।
ड्रोन स्वार्म क्यों बनते हैं खतरनाक?
ड्रोन स्वार्म सिर्फ उड़ते यंत्र नहीं होते—ये एआई–संचालित समन्वित हमले होते हैं जो रडार को भ्रमित करते हैं, रक्षा प्रणाली को भारी बना देते हैं, और सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुछ ड्रोन विस्फोटक ले जाते हैं जबकि अन्य छलावा (decoy) की भूमिका निभाते हैं। पाकिस्तान द्वारा तुर्की के कामिकाज़े ड्रोन के उपयोग की खबरें इस खतरे को और गंभीर बनाती हैं। भार्गवास्त्र को ऐसे तेज गति वाले, समन्वित हवाई खतरों से निपटने के लिए विकसित किया गया है।
भार्गवास्त्र कैसे करता है काम?
भार्गवास्त्र दोहरे बचाव तंत्र के साथ आता है:
- हार्ड–किल प्रणाली में माइक्रो रॉकेट होते हैं, जो 5 किमी की सीमा में 20 मीटर की जानलेवा क्षमता के साथ विस्फोट करते हैं। इसके साथ गाइडेड माइक्रो मिसाइलें सटीक लक्ष्य पर हमला करती हैं।
- सॉफ्ट–किल प्रणाली में जैमिंग और स्पूफिंग तकनीक शामिल है, जो ड्रोन को भ्रमित करके उनकी दिशा बदल देती है या क्रैश करा देती है।
यह प्रणाली 6 से 10 किमी तक रडार कवरेज, साथ ही ईओ/आईआर (Electro-Optical/Infrared) सेंसर से लैस है, जिससे यह कम ऊँचाई पर उड़ रहे छिपे हुए ड्रोन को भी पहचान सकती है। यह मोबाइल और मॉड्यूलर है, जिसे रेगिस्तान, पहाड़, या लद्दाख जैसे ऊँचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है।
रणनीतिक बढ़त और रक्षा तत्परता
भार्गवास्त्र का परीक्षण तकनीकी सफलता से कहीं बढ़कर है—यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह प्रणाली सीमा चौकियों या एयरबेस पर ड्रोन हमलों से निपटने में तेज प्रतिक्रिया की क्षमता प्रदान करती है। यह नेटवर्क–सेंट्रिक वॉरफेयर में भी एकीकृत की जा सकती है, जिससे रियल–टाइम में खतरे की जानकारी साझा करना संभव होता है। आज के युग में जब ड्रोन युद्ध का संतुलन बदल सकते हैं, भारत के पास भार्गवास्त्र जैसा हथियार होना एक रणनीतिक बढ़त है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
प्रणाली का नाम | भार्गवास्त्र |
विकसित करने वाला | सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) |
उद्देश्य | शत्रु ड्रोन स्वार्म को निष्क्रिय करना |
हार्ड-किल सीमा | 2.5 किमी; 20 मीटर घातक क्षेत्र |
सॉफ्ट-किल विशेषताएँ | जैमिंग, स्पूफिंग द्वारा दिशा भटकाना |
पहचान प्रणाली | रडार (6–10 किमी), EO/IR सेंसर सक्षम |
तैनाती क्षेत्र | सभी प्रकार की स्थलाकृति में; मोबाइल और मॉड्यूलर |
महत्व | भारत की एंटी-ड्रोन युद्ध क्षमता को सशक्त बनाता है |
तुलनीय वैश्विक खतरे | पाकिस्तान द्वारा तुर्की ड्रोन का उपयोग |
स्थैतिक जानकारी | भारत का पहला स्वदेशी ड्रोन स्वार्म रोधी प्रणाली परीक्षण – 2025 |