भाषाई तकनीक में भारत की नई प्रतिबद्धता
भारत ने यूनिकोड कंसोर्टियम में “सपोर्टिंग मेंबर” के रूप में पुनः सदस्यता ली है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के माध्यम से की गई है। यह कदम डिजिटल टेक्स्ट मानकीकरण और बहुभाषीय कंप्यूटिंग के वैश्विक विमर्श में भारत की भागीदारी को और मज़बूत करता है।
यूनिकोड कंसोर्टियम क्या करता है?
यूनिकोड कंसोर्टियम एक गैर-लाभकारी संस्था है जो यूनिकोड मानक को तैयार और बनाए रखती है। यह मानक दुनिया की सभी लिपियों के अक्षरों को दर्शाने की सुविधा देता है, जिससे सभी डिवाइसों और प्लेटफॉर्म्स पर एकरूपता से टेक्स्ट दिखाना संभव होता है।
Static GK तथ्य: यूनिकोड मानक की पहली रिलीज़ 1991 में हुई थी, और अब यह 150 से अधिक आधुनिक और ऐतिहासिक लिपियों को कवर करता है।
भारत की प्रारंभिक भागीदारी
भारत की यूनिकोड से भागीदारी 2000 में शुरू हुई थी, जब TDIL (Technology Development for Indian Languages) कार्यक्रम के तहत इसे डिजिटल दुनिया से जोड़ा गया। इसका उद्देश्य भारतीय भाषाओं को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना था।
Static GK टिप: TDIL कार्यक्रम, MeitY की एक पुरानी पहल है जो देवनागरी, तमिल, तेलुगु, बांग्ला जैसी भाषाओं के लिए कंप्यूटिंग टूल्स के विकास को बढ़ावा देती है।
नई सदस्यता की मुख्य बातें
Supporting Member के रूप में, भारत हर साल $20,000 (लगभग ₹17 लाख) का सदस्यता शुल्क देता है। इसके तहत MeitY को Unicode Technical Committee में आधा वोट मिलता है, जो नए अक्षरों और इमोजी मानकों पर निर्णय लेती है।
Static GK तथ्य: यूनिकोड तकनीकी समिति वह प्रमुख निकाय है जो नए लिपि संकेतों, इमोजी और भाषा सुधार प्रस्तावों को मंजूरी देती है।
भागीदारी की चुनौतियाँ
भारत की भागीदारी फिर से सक्रिय इसलिए की गई है क्योंकि पहले की निष्क्रियता की आलोचना हुई थी। उदाहरण के लिए, तमिल वर्चुअल अकादमी, जो 2003 से सदस्य है, 2016 से सक्रिय नहीं रही है, जिससे भारत की यूनिकोड में प्रभावशीलता कम हुई।
भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व
भारत अब उन दो सरकारों में से एक है जिनके पास यूनिकोड में वोटिंग अधिकार हैं। यह भारत को स्वदेशी भाषाओं, लिपियों, इमोजी और तकनीकी सुधारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शामिल कराने का अवसर देता है। इससे क्षेत्रीय भाषाओं की डिजिटल उपस्थिति को मज़बूती मिलेगी।
आगे की दिशा
इस पहल से राज्य सरकारें और शैक्षणिक संस्थान भी यूनिकोड कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। यह भारत की डिजिटल माध्यमों से भाषाई विविधता के संरक्षण के लक्ष्य के अनुरूप है।
Static GK टिप: भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं और 120 से अधिक प्रमुख भाषाएं हैं, इसलिए डिजिटल प्रतिनिधित्व सुलभता और समावेशन के लिए बेहद जरूरी है।
Static Usthadian Current Affairs Table (Hindi)
विषय | विवरण |
दोबारा सदस्यता ली गई संस्था | यूनिकोड कंसोर्टियम |
सदस्यता स्थिति | Supporting Member |
निगरानी संस्था | इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) |
वार्षिक शुल्क | $20,000 (लगभग ₹17 लाख) |
वोटिंग अधिकार | तकनीकी समिति में आधा वोट |
प्रारंभिक भागीदारी वर्ष | 2000 |
प्रमुख कार्यक्रम | भारतीय भाषाओं के लिए TDIL |
चिंता का विषय | तमिल वर्चुअल अकादमी (2016 से निष्क्रिय) |
महत्त्व | भारतीय लिपियों को वैश्विक मानकों में स्थान दिलाना |
वैश्विक भूमिका | वोटिंग अधिकार रखने वाली दो सरकारों में एक |