पहलगाम हमले के बाद भारत की वित्तीय प्रतिक्रिया
पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई (ज्यादातर पर्यटक), के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी वित्तीय और कूटनीतिक कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। इसमें प्रमुख कदम पाकिस्तान को FATF की ग्रे सूची में दोबारा शामिल करने की सिफारिश है, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी का सामना करना पड़ेगा। इसका उद्देश्य पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रणाली तक पहुंच सीमित कर, उसे आतंकी वित्तपोषण नेटवर्कों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य करना है।
FATF क्या है: वैश्विक वित्तीय प्रहरी संस्था
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना 1989 में G7 पेरिस शिखर सम्मेलन में की गई थी। यह संस्था मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण पर निगरानी रखने का कार्य करती है। 9/11 हमलों के बाद, इसका कार्यक्षेत्र आतंकी वित्त को रोकना भी बना। 2012 से, यह विनाशकारी हथियारों के वित्तपोषण (WMDs) पर भी निगरानी करने लगी है। भारत 2006 में FATF का पर्यवेक्षक बना और 2010 में पूर्ण सदस्य बना, जिससे उसे वैश्विक वित्तीय सुरक्षा मानकों को प्रभावित करने का अधिकार मिला।
पाकिस्तान के लिए ग्रे सूची में शामिल होने का मतलब
FATF की ग्रे सूची में आना, किसी देश को “अतिरिक्त निगरानी” में लाता है। पाकिस्तान अक्टूबर 2022 में इस सूची से बाहर हुआ था, जब उसने AML/CFT सुधारों का वादा किया था। लेकिन ग्रे सूची में वापसी, उसकी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। इससे विदेशी निवेश में गिरावट, और आईएमएफ जैसे वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई आती है। पहले से ही आर्थिक संकट झेल रहा पाकिस्तान यदि दोबारा ग्रे सूची में शामिल होता है, तो उसकी वित्तीय पुनर्प्राप्ति खतरे में पड़ सकती है।
FATF की कूटनीतिक भूमिका और भारत की रणनीति
FATF की रिपोर्टिंग केवल तकनीकी नहीं होती, इसमें राजनयिक प्रभाव भी शामिल होता है। जो देश FATF मानकों का पालन नहीं करते, वे अंतरराष्ट्रीय अलगाव और छवि हानि का सामना करते हैं। भारत अब FATF के अन्य सदस्य देशों से समर्थन जुटाने में सक्रिय है, ताकि पाकिस्तान को दोबारा सूचीबद्ध करने के लिए सहमति बनाई जा सके। यह कदम यह दर्शाता है कि भारत वित्तीय जवाबदेही को आतंकवाद विरोधी रणनीति से जोड़ रहा है।
क्षेत्रीय स्थिरता और रणनीतिक प्रभाव
पाकिस्तान को FATF निगरानी में लाने का प्रयास, भारत की व्यापक भू–राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। यह दर्शाता है कि भारत अब बहुपक्षीय मंचों और आर्थिक उपायों के माध्यम से सीमा पार खतरों का सामना कर रहा है। आने वाला FATF पूर्ण अधिवेशन, यह तय करेगा कि पाकिस्तान के वित्तीय कदम वैश्विक मानकों के अनुरूप हैं या नहीं। इस निर्णय से क्षेत्रीय राजनय और सुरक्षा परिदृश्य को नया आकार मिल सकता है।
Static GK परीक्षा-संक्षेप सारणी
विषय | विवरण |
FATF स्थापना वर्ष | 1989 (G7 पेरिस सम्मेलन में) |
भारत की FATF सदस्यता | 2006 से पर्यवेक्षक, 2010 से पूर्ण सदस्य |
पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से हटाया गया | अक्टूबर 2022 |
FATF विस्तारित कार्यक्षेत्र (WMD) | अप्रैल 2012 |
मुख्य कानूनी ध्यान | मनी लॉन्ड्रिंग रोध (AML) और आतंक वित्तपोषण नियंत्रण (CFT) |
ग्रे सूची का प्रभाव | अतिरिक्त निगरानी, निवेश में गिरावट, IMF ऋण जटिलताएं |
पहलगाम आतंकी हमला | अप्रैल 2025, 26 मृत (अधिकांश पर्यटक) |
भारत की वर्तमान मांग | पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में दोबारा शामिल करने का प्रस्ताव |