कड़े नियम, लेकिन धीमी प्रगति
भारत ने 2015 में कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स के लिए सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) उत्सर्जन मानक तय किए। इसमें FGD तकनीक का उपयोग अनिवार्य किया गया था ताकि दो साल में उत्सर्जन कम किया जा सके। लेकिन 10 साल और कई बार डेडलाइन बढ़ने के बाद भी 90% से अधिक संयंत्रों ने इसका पालन नहीं किया।
Static GK Fact: भारत दुनिया में सबसे अधिक SO₂ उत्सर्जन करने वाला देश है, जिसका कारण इसकी कोयला-निर्भर विद्युत व्यवस्था है।
डेडलाइन अब 2027 तक बढ़ी
जुलाई 2025 में पर्यावरण मंत्रालय ने FGD स्थापना की समयसीमा को दिसंबर 2024 से बढ़ाकर दिसंबर 2027 कर दिया है, खासकर शहरी और उच्च प्रदूषण क्षेत्रों के संयंत्रों के लिए, जिनमें NCR भी शामिल है। अपेक्षाकृत स्वच्छ क्षेत्रों के संयंत्रों को कुछ शर्तों के साथ छूट दी गई है।
सरकार ने इस निर्णय को वैज्ञानिक अध्ययनों, महामारी से उत्पन्न देरी और तकनीकी–आर्थिक बाधाओं के आधार पर उचित ठहराया है। विद्युत मंत्रालय ने भी इस लचीलेपन का समर्थन किया।
वैज्ञानिक समुदाय ने जताई चिंता
Centre for Research on Energy and Clean Air (CREA) ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया। CREA के अनुसार वायुमंडलीय आंकड़ों के आधार पर नियमों में ढील देना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गलत है, क्योंकि SO₂ नियंत्रण का मूल्यांकन चिमनी (stack) उत्सर्जन से किया जाता है।
NEERI, NIAS और IIT दिल्ली के शोध बताते हैं कि FGD से PM2.5 और सल्फेट एरोसोल में उल्लेखनीय कमी आती है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हैं।
स्वास्थ्य जोखिम और प्रदूषण
SO₂ वायुमंडल में PM2.5 जैसे सूक्ष्म कणों में परिवर्तित हो जाता है, जो फेफड़े और हृदय रोगों का प्रमुख कारण हैं। WHO ने PM2.5 को ग्रुप 1 कैंसरजन घोषित किया है। लंबे समय तक इसके संपर्क में आने से हर साल हजारों समयपूर्व मौतें होती हैं।
Static GK Fact: The Lancet Commission के अनुसार, भारत में 2021 में वायु प्रदूषण के कारण 16 लाख से अधिक समयपूर्व मौतें हुई थीं।
FGD तकनीक के फायदे
IIT दिल्ली के अनुसार, FGD तकनीक से 10–20% तक PM2.5 में कमी लाई जा सकती है और स्रोत से 200 किमी तक वायु गुणवत्ता में सुधार संभव है। हालांकि कुछ रिपोर्टों में शहरी डेटा के आधार पर FGD को रोकने की सिफारिश की गई, जिसे CREA ने सीमित दृष्टिकोण बताते हुए खारिज किया।
लागत और संचालन पर तर्क
NTPC ने 20 GW क्षमता में FGD लगाया है और 47 GW पर कार्य कर रहा है, वह भी नियमित रखरखाव के दौरान, बिना अतिरिक्त बंदी के। इससे यह सिद्ध होता है कि FGD संचालन में बाधा नहीं डालता।
Static GK Tip: NTPC, भारत की सबसे बड़ी थर्मल पावर कंपनी है और यह एक महारत्न सार्वजनिक उपक्रम है।
सीमाओं से पार प्रदूषण
कोयला संयंत्र स्थानीय के साथ–साथ अन्य राज्यों के वायुमंडल को भी प्रभावित करते हैं, क्योंकि SO₂ के कण हवा के साथ अन्य क्षेत्रों में फैलते हैं, जिससे अंतर–राज्यीय प्रदूषण होता है। विशेषज्ञों ने इसे वाहन क्षेत्र में BS-VI मानकों को लागू करने जैसी आवश्यकता बताया।
आगे की राह
भारत अगले कुछ वर्षों में 80–100 GW नई कोयला आधारित क्षमता जोड़ने की योजना बना रहा है। ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण नियमों को सख्ती से लागू करना अनिवार्य है। FGD से मामूली CO₂ वृद्धि होती है, लेकिन यह स्वास्थ्य और पर्यावरण लागत की तुलना में नगण्य है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
SO₂ मानक शुरू हुए | 2015 |
नवीनतम डेडलाइन | दिसंबर 2027 |
आवश्यक तकनीक | फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) |
विरोध जताने वाली संस्था | CREA |
प्रमुख कंपनी | NTPC |
स्वास्थ्य प्रभाव | PM2.5 से जुड़ी बीमारियां |
शोध संस्थान | IIT दिल्ली |
NCR में स्थिति | 2027 तक FGD अनिवार्य |
भारत का SO₂ रैंक | विश्व में सबसे अधिक उत्सर्जक |
प्रस्तावित नई कोयला क्षमता | 80–100 GW |