जुलाई 18, 2025 1:10 अपराह्न

भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में रचा इतिहास: ISRO की सैटेलाइट डॉकिंग सफलता

करेंट अफेयर्स: भारत ने सैटेलाइट डॉकिंग माइलस्टोन हासिल किया: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक बड़ा कदम, इसरो स्पैडेक्स डॉकिंग 2024, सैटेलाइट डॉकिंग इंडिया, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2028, चंद्रयान-4 डॉकिंग मिशन, पेटल-आधारित डॉकिंग सिस्टम, अंतर्राष्ट्रीय डॉकिंग सिस्टम मानक (आईडीएसएस), ग्लोबल स्पेस रेस इंडिया

India Achieves Satellite Docking Milestone: A Giant Step in Space Technology

ISRO की ऐतिहासिक छलांग

भारत ने अंतरिक्ष तकनीक में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पहली बार भारत ने दो उपग्रहों के बीच सफल डॉकिंग की प्रक्रिया पूरी की है। इसके साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है। यह उपलब्धि सिर्फ तकनीकी नहीं है, यह भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्र मिशन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का रास्ता भी खोलती है।

डॉकिंग क्या है और क्यों जरूरी है?

डॉकिंग का अर्थ है दो उपग्रहों या यानों का अंतरिक्ष में मिलकर जुड़ना। यह कार्य ज़मीन पर दो तेज़ गाड़ियों को जोड़ने जैसा है, पर अंतरिक्ष में वे हज़ारों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रहे होते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष स्टेशनों के निर्माण और दीर्घकालीन अभियानों के लिए अत्यंत आवश्यक होती है।

SpaDeX मिशन: भारत की पहली डॉकिंग सफलता

इसरो ने इस मिशन का नाम SpaDeX (Space Docking Experiment) रखा। यह 30 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ था, जिसमें दो उपग्रह — SDX01 (Chaser) और SDX02 (Target) को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा गया। 475 किमी की ऊंचाई से शुरू होकर, यह यान 5 किमी दूरी से धीरे-धीरे 3 मीटर की दूरी तक आए और 16 जनवरी 2025 को सफलतापूर्वक डॉकिंग की गई।

डॉकिंग की वैज्ञानिक प्रक्रिया

इस प्रक्रिया में उपग्रहों को 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और अंततः 3 मीटर की दूरी से एक-दूसरे की ओर नियंत्रित गति से लाया गया। ISRO ने इसमें पंखुड़ी आधारित डॉकिंग प्रणाली और IDSS (International Docking System Standard) का पालन किया ताकि भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय यानों से भी जुड़ाव संभव हो।

चुनौतियाँ और सफलता

मिशन में कुछ तकनीकी कठिनाइयाँ, जैसे यानों का बहकना और संरेखण की समस्याएं आईं। लेकिन ISRO ने सटीक सिमुलेशन और सुधार करके इनका समाधान निकाला। यही इसकी खास बात है — वास्तविक समय में समस्याओं का समाधान करना और सफलता पाना।

आगे की दिशा: स्पेस स्टेशन और चंद्रयान

SpaDeX की सफलता भारत के भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” (2028) के लिए नींव रखती है, जो 5 मॉड्यूल्स से मिलकर बनेगा। यह तकनीक चंद्रयान-4 मिशन, जो चंद्रमा से सैंपल वापस लाने की योजना है, में भी काम आएगी। मानवयुक्त मिशनों के लिए भी यह तकनीक भविष्य का रास्ता तय करती है।

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विषय तथ्य
डॉकिंग तकनीक अपनाने वाले देश भारत चौथा देश (अमेरिका, रूस, चीन के बाद)
विश्व की पहली डॉकिंग 1966: नासा का Gemini VIII और Agena
SpaDeX लॉन्च तिथि 30 दिसंबर 2024
डॉकिंग उपग्रह SDX01 (Chaser), SDX02 (Target)
डॉकिंग तकनीक पंखुड़ी आधारित प्रणाली, IDSS मानक
भविष्य की योजना भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2028)
आगामी मिशन चंद्रयान-4 चंद्र सैंपल वापसी मिशन

भारत की यह सफलता एक संकेत है कि अब हम केवल रॉकेट भेजने वाले देश नहीं हैं, बल्कि विकसित अंतरिक्ष तकनीक में अग्रणी बन चुके हैं। ISRO की यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण विषय है।

India Achieves Satellite Docking Milestone: A Giant Step in Space Technology
  1. भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद, उपग्रह डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।
  2. यह उपलब्धि इसरो के स्पाडेक्स (Space Docking Experiment) मिशन के तहत हासिल की गई।
  3. स्पाडेक्स मिशन 30 दिसंबर 2024 को दो उपग्रहों—SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट)—के साथ लॉन्च हुआ।
  4. डॉकिंग प्रक्रिया 475 किमी की निम्न पृथ्वी कक्षा में सम्पन्न हुई।
  5. दोनों उपग्रह 16 जनवरी 2025 को सफलतापूर्वक डॉक हुए, यह ISRO के लिए ऐतिहासिक क्षण रहा।
  6. डॉकिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें दो अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में आपस में जुड़कर एक साथ कार्य करते हैं।
  7. डॉकिंग चरणबद्ध रूप से की गई—5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर, और 3 मीटर की दूरी तय की गई।
  8. भारत ने पंखुड़ी आधारित डॉकिंग प्रणाली का उपयोग किया, जो IDSS (International Docking System Standard) पर आधारित है।
  9. यह तकनीक भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशनों, चंद्र मिशनों और उपग्रह सेवा कार्यों को संभव बनाएगी।
  10. ड्रिफ्ट और असंतुलन के कारण तकनीकी चुनौतियाँ आईं, लेकिन ISRO ने सटीक सिमुलेशन के जरिए समाधान किया।
  11. यह प्रयोग 2028 तक बनने वाले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की आधारशिला है।
  12. प्रस्तावित भारतीय स्टेशन में 5 मॉड्यूलर इकाइयाँ होंगी, जो डॉकिंग प्रणाली से जुड़ेंगी।
  13. चंद्रयान-4 मिशन में भी लूनर सैंपल रिटर्न के लिए डॉकिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
  14. नासा का Gemini VIII और Agena मिशन, 1966 में पहला सफल अंतरिक्ष डॉकिंग था।
  15. भारत की यह सफलता, मानव अंतरिक्ष उड़ान (Human Spaceflight) के क्षेत्र में संभावनाओं को बढ़ाती है।
  16. भाशिनी डॉकिंग तकनीक, ISRO को अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिशनों में भागीदारी के लिए तैयार करेगी।
  17. यह उपलब्धि दिखाती है कि भारत अब केवल लॉन्च नहीं बल्कि दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों पर केंद्रित है।
  18. डॉकिंग, रीफ्यूलिंग, मरम्मत और मॉड्यूलर अंतरिक्ष संरचना के लिए आवश्यक है।
  19. ISRO ने वास्तविक समय की चुनौती से निपटते हुए अपनी आपातकालीन क्षमता साबित की।
  20. स्पाडेक्स मिशन, भारत को स्पेस सुपरपावर की दिशा में ले जाने वाला एक मील का पत्थर है।

Q1. 2024 में किस भारतीय संगठन ने अपना पहला सफल उपग्रह डॉकिंग (satellite docking) पूरा किया?


Q2. भारत के उपग्रह डॉकिंग प्रयोग का नाम क्या है?


Q3. स्पाडेक्स डॉकिंग कब सफलतापूर्वक पूरी हुई?


Q4. स्पाडेक्स डॉकिंग में कौन-कौन से दो उपग्रह शामिल थे?


Q5. स्पाडेक्स डॉकिंग किस कक्षा की ऊँचाई (altitude) पर की गई थी?


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