कामिकाज़ी ड्रोन से युद्ध की परिभाषा में क्रांति
भारतीय सेना ने अपनी तकनीकी शक्ति को बढ़ाते हुए First Person View (FPV) वाले कामिकाज़ी ड्रोन को शामिल किया है, जो एंटी-टैंक हथियारों से लैस हैं। ये केवल निगरानी ड्रोन नहीं, बल्कि सटीक लक्ष्यभेदी हथियार हैं जो टकराने पर लक्ष्य को नष्ट कर देते हैं। यह कदम आधुनिक युद्ध रणनीतियों की दिशा में बड़ा बदलाव दर्शाता है।
कामिकाज़ी ड्रोन को खास क्या बनाता है?
कामिकाज़ी ड्रोन, जिन्हें लोटरिंग म्यूनिशन या सुसाइड ड्रोन भी कहा जाता है, मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) दोनों की क्षमताओं का मेल हैं। इन्हें मोबाइल लॉन्चर से दागा जाता है, उड़ान के बाद इसके पंख और पूंछ खुल जाते हैं। सैनिक टैबलेट जैसे उपकरण से वास्तविक समय में First Person View (FPV) के ज़रिए इन्हें नियंत्रित करते हैं। ये ड्रोन 45 मिनट तक हवा में मंडरा सकते हैं और सटीक समय पर हमला करने में सक्षम होते हैं।
युद्ध में सिद्ध, भारत अब तैयार
यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान इन ड्रोन की वैश्विक चर्चा हुई, जहां इन्हें गेम चेंजर माना गया। इसी को देखते हुए भारत ने अगस्त 2024 में Terminal Ballistics Research Laboratory (TBRL), चंडीगढ़ के सहयोग से अपना संस्करण विकसित करना शुरू किया। अब ये ड्रोन भारत की रक्षा रणनीति का हिस्सा हैं, जो टैंकों, बंकरों और बख्तरबंद वाहनों को 115 मील प्रति घंटे की टक्कर पर विस्फोटक वारहेड से नष्ट करने में सक्षम हैं।
कैसे करते हैं काम: सरल लेकिन प्रभावशाली तकनीक
ड्रोन को मोबाइल लॉन्चर में लोड किया जाता है। लॉन्च होते ही इसके पंख खुलते हैं, और यह लक्ष्य स्कैन करना शुरू करता है। सैनिक इसे रियल टाइम में नियंत्रित करते हैं और जैसे ही लक्ष्य निर्धारित होता है, वारहेड को सक्रिय किया जाता है। टक्कर से पहले ड्रोन पंख समेटता है और सटीकता से वार करता है, जिससे साइड डैमेज न्यूनतम होता है।
भारत के लिए रणनीतिक महत्व
भारत की लंबी सीमाएं और विविध भौगोलिक भूभाग ऐसी तकनीक को आवश्यक बनाते हैं। ये ड्रोन हल्के, कम लागत वाले हैं और ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्रों, शहरी युद्ध, तथा टैंक विरोधी अभियानों के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं। ये पारंपरिक मिसाइलों की तरह नहीं हैं—ये आखिरी पल में भी लक्ष्य बदल सकते हैं, जिससे ये बहुत अधिक विश्वसनीय बनते हैं।
Static GK Snapshot (हिंदी में)
विषय | विवरण |
ड्रोन प्रकार | कामिकाज़ी / लोटरिंग म्यूनिशन |
भारतीय विकास साझेदार | टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैब (TBRL), चंडीगढ़ |
शामिल करने का वर्ष | 2025 |
हवा में मंडराने की अवधि | अधिकतम 45 मिनट |
टक्कर के समय गति | 115 मील प्रति घंटा (लगभग 185 किमी/घंटा) |
नियंत्रण प्रणाली | टैबलेट डिवाइस से First Person View (FPV) |
वारहेड प्रकार | एंटी-टैंक, आर्मर-पीयरसिंग |
वैश्विक प्रयोग उदाहरण | यूक्रेन-रूस युद्ध |
भारत में उपयोगिता | टैंक विनाश, बंकर हमले, सीमावर्ती अभियान |