सहकारी क्षेत्र का पुनर्गठन
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 भारत की सहकारी व्यवस्था को एक नई दिशा देती है, जो 2002 की नीति का स्थान लेती है। इसका उद्देश्य एक गतिशील और समावेशी सहकारी पारिस्थितिकी का निर्माण करना है, जो आर्थिक और सामाजिक विकास, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, को गति दे सके। इस नीति का मुख्य लक्ष्य 2034 तक सहकारी क्षेत्र के जीडीपी योगदान को तीन गुना बढ़ाना है, साथ ही सदस्यता और पहुंच का विस्तार भी सुनिश्चित करना है।
छह रणनीतिक स्तंभों पर आधारित ढांचा
यह नीति छह प्रमुख विषयों पर आधारित है:
- सहकारी जड़ों को सशक्त करना
- क्षेत्र में नवाचार लाना
- भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी
- समावेशन को बढ़ावा
- ग्रामीण पहुंच का विस्तार
- युवाओं की भागीदारी
इन स्तंभों का उद्देश्य सहकारिता को लचीला, नवोन्मेषी और समय के अनुकूल बनाना है।
समावेशी विकास के स्पष्ट लक्ष्य
नीति में निर्धारित कुछ प्रमुख लक्ष्य हैं:
- सहकारी संस्थाओं की संख्या को 3 लाख से 10.7 लाख से अधिक करना
- 50 करोड़ निष्क्रिय या भाग न लेने वाले व्यक्तियों को सक्रिय सदस्य बनाना
- फरवरी 2026 तक 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS) स्थापित करना
Static GK Fact: PACS भारत की ग्रामीण ऋण प्रणाली की रीढ़ हैं, जो किसानों को अल्पकालिक ऋण और कृषि इनपुट प्रदान करती हैं।
कानूनी अद्यतन और प्रशिक्षण सुविधा
पुराने विधायी ढांचे को पहचानते हुए, नई नीति में महत्वपूर्ण कानूनी संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। अब सहकारी बैंकों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम के तहत लाया जाएगा, जिसमें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) सहायक भूमिका निभाएगा। एक विशेष पहल के रूप में, त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी, जो नेतृत्व प्रशिक्षण, शासन मानक और संस्थागत विकास पर केंद्रित होगा।
Static GK Tip: भारत में दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संरचनाओं में से एक है, जिसमें 8.5 लाख से अधिक पंजीकृत सहकारी समितियाँ हैं।
व्यापक परामर्श प्रक्रिया से तैयार नीति
इस नीति का मसौदा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में बनी 48-सदस्यीय समिति द्वारा तैयार किया गया। इसमें 17 राष्ट्रीय बैठकें और 4 क्षेत्रीय परामर्श आयोजित किए गए, जिसमें 648 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए। यह प्रक्रिया जमीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए की गई।
उभरते क्षेत्रों में विस्तार
यह नीति सहकारी समितियों को परंपरागत क्षेत्रों से बाहर उभरते क्षेत्रों की ओर ले जाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जैसे:
- ईको–टूरिज्म और साझा परिवहन
- माइक्रो–बीमा और वित्तीय उत्पाद
- नवीन और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएं
इसका उद्देश्य ग्रामीण रोजगार बढ़ाना और सहकारी तंत्र को भविष्य के लिए तैयार करना है।
Static GK Tip: सहकारिता मंत्रालय, 2021 में स्थापित, इस क्षेत्र को नीतिगत और प्रशासनिक समर्थन प्रदान करता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
नई नीति का शुभारंभ | 2025 |
प्रतिस्थापित नीति | 2002 की सहकारी नीति |
जीडीपी में योगदान लक्ष्य | 2034 तक तीन गुना वृद्धि |
PACS विस्तार लक्ष्य | फरवरी 2026 तक 2 लाख इकाइयाँ |
सहकारी समितियों की नई संख्या | 10.7 लाख से अधिक |
सदस्य सक्रियण लक्ष्य | 50 करोड़ निष्क्रिय व्यक्तियों को जोड़ना |
कानूनी सुधार | बैंकिंग विनियमन अधिनियम + RBI निगरानी |
प्रशिक्षण विश्वविद्यालय | त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय |
रणनीतिक स्तंभ | छह, युवाओं और नवाचार पर जोर |
समिति प्रमुख | सुरेश प्रभु |