15 वर्षों बाद एक जरूरी अपडेट
भारत ने 15 वर्षों में पहली बार मोटापे के दिशा–निर्देशों को अपडेट किया है। अब केवल बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) पर निर्भर नहीं रहा जाएगा। कमर की माप और कमर–से–ऊंचाई अनुपात (W-HtR) को भी स्वास्थ्य मूल्यांकन के प्रमुख मापदंडों में शामिल किया गया है। यह बदलाव चिकित्सा विशेषज्ञों की उस राय को मान्यता देता है कि बीएमआई अकेले स्वास्थ्य का सही पैमाना नहीं है। यह नए दिशा-निर्देश नेशनल डायबिटीज, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन जैसे संस्थानों ने जारी किए हैं।
क्यों बीएमआई पर्याप्त नहीं है
बीएमआई यानी वजन (किलोग्राम) और ऊंचाई (मीटर²) के आधार पर गणना की जाती है। लेकिन इसमें वसा और मांसपेशियों में फर्क नहीं किया जा सकता। एक मसलदार खिलाड़ी को अधिक बीएमआई होने पर ‘अस्वस्थ’ माना जा सकता है, जबकि किसी व्यक्ति में कम मांसपेशियों लेकिन अधिक पेट की चर्बी होने पर वह छूट सकता है। साथ ही, यह यह नहीं बताता कि वसा शरीर के किस हिस्से में जमा है, जो स्वास्थ्य के लिए अहम होता है। इसलिए अब भारत में मोटापे की सीमा बीएमआई > 23 kg/m² कर दी गई है और इसके साथ पेट की चर्बी की माप भी जरूरी होगी।
कमर और ऊंचाई के अनुपात की भूमिका
अब से कमर की माप और W-HtR पर भी ध्यान दिया जाएगा। वजह? पेट की चर्बी सामान्य शरीर की चर्बी से अधिक खतरनाक होती है। यह डायबिटीज, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी है। एक सामान्य बीएमआई वाला व्यक्ति भी अगर ऊंचाई के मुकाबले उसकी कमर अधिक हो, तो वह खतरे में हो सकता है। इसलिए अब केवल वजन नहीं, वसा का वितरण भी महत्वपूर्ण है।
मोटापा अब दो चरणों में वर्गीकृत
भारत के नए दिशा-निर्देश मोटापे को दो चरणों में विभाजित करते हैं:
- चरण 1 मोटापा: बीएमआई 23 से अधिक लेकिन कोई गंभीर लक्षण नहीं।
- चरण 2 मोटापा: उच्च बीएमआई + पेट की चर्बी + संबंधित बीमारियाँ (जैसे डायबिटीज)।
इससे डॉक्टर रोगियों का इलाज उनकी हालत के अनुसार कर सकते हैं—हल्के मामलों में लाइफस्टाइल सुधार, जबकि गंभीर मामलों में दवा या सर्जरी की सलाह दी जा सकती है।
इलाज अब होगा व्यक्ति-आधारित
अब सभी के लिए एक जैसी सलाह नहीं चलेगी। चरण 1 में स्वस्थ आहार, व्यायाम और जीवनशैली में बदलाव से सुधार लाया जा सकता है। लेकिन चरण 2 में कैलोरी नियंत्रण, चिकित्सकीय देखरेख और विशेष इलाज की जरूरत होगी। अब हर मरीज को व्यक्तिगत योजना मिलेगी।
नंबर से आगे बढ़कर पूरे स्वास्थ्य पर ध्यान
डॉक्टरों से कहा गया है कि वे केवल आंकड़े ना देखें, बल्कि पूरे स्वास्थ्य का मूल्यांकन करें—जैसे मेडिकल इतिहास, हार्मोनल समस्याएं, और बुनियादी जांचें। मकसद है मरीज के समग्र स्वास्थ्य को सुधारना, सिर्फ बीएमआई नहीं।
नीति और स्वास्थ्य प्रणाली पर असर
यह बदलाव सिर्फ नंबरों का नहीं, बेहतर स्वास्थ्य नीति का प्रतीक है। इससे सरकार संसाधनों को सही दिशा में लगा सकेगी और विशेषज्ञों (डायटिशियन, फिटनेस कोच आदि) को शामिल करके समूह आधारित समाधान प्रदान कर सकेगी।
स्टैटिक जीके स्नैपशॉट (प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु)
विषय | तथ्य |
बीएमआई वर्गीकरण | कम वजन 30 |
नया मोटापा सीमा (भारत) | बीएमआई > 23 kg/m² |
चरण 1 मोटापा | उच्च बीएमआई लेकिन कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या नहीं |
चरण 2 मोटापा | उच्च बीएमआई + पेट की चर्बी + बीमारियाँ |
कमर की माप | अब स्वास्थ्य जोखिम मापन का अहम हिस्सा |
निष्कर्ष: स्वस्थ भारत की ओर
भारत के नए मोटापा दिशा-निर्देश आधुनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुरूप हैं। ये न केवल वसा की स्थिति पर ध्यान देते हैं, बल्कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य योजनाएं भी सुनिश्चित करते हैं। यह लाइफस्टाइल बीमारियों से निपटने के लिए एक मजबूत शुरुआत है और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यह एक अहम विषय बन गया है।