जुलाई 20, 2025 12:42 अपराह्न

भारत की सांस्कृतिक विरासत की वापसी में तेजी: तस्करी की प्राचीन वस्तुएँ लौट रही हैं

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India’s Push to Reclaim Smuggled Antiquities Gains Momentum

भारत की सांस्कृतिक धरोहर घर लौट रही है

2014 से अब तक भारत ने 642 तस्करी की गई प्राचीन वस्तुएँ वापस लाई हैं, जो कि एक असाधारण उपलब्धि है। 2014 से पहले केवल 13 वस्तुएँ ही वापस लाई जा सकी थीं। यह कूटनीतिक प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का परिणाम है, जिससे भारत अब अपनी संस्कृति को फिर से प्राप्त करने में सक्रिय हो चुका है।

अमेरिका बना सबसे बड़ा सहयोगी देश

2020 से 2024 के बीच, भारत को 610 सांस्कृतिक वस्तुएँ वापस मिलीं, जिनमें से 297 वस्तुएँ केवल वर्ष 2024 में लौटाई गईं। इनमें से 588 वस्तुएँ अमेरिका से वापस आईं। इसका श्रेय भारत-अमेरिका के बीच हुए सांस्कृतिक संपत्ति समझौते (Cultural Property Agreement) को जाता है, जिसका उद्देश्य भारतीय प्राचीन वस्तुओं की अवैध तस्करी पर रोक लगाना है।

टास्क फोर्स और कानूनी ढाँचे से मिला आधार

सरकार ने हेरिटेज रिकवरी टास्क फोर्स का गठन किया, जिसमें राजनयिकों और कानूनी विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। यह समूह वस्तुओं की पहचान, सत्यापन और पुनः प्राप्ति का कार्य करता है। इनकी भूमिका केवल खोज तक सीमित नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रियाओं में भी सक्रिय भागीदारी शामिल है।

जनसहयोग से वित्तीय आधार को मजबूत किया जा रहा है

हाल ही में एक संसदीय समिति ने ‘हेरिटेज रि-पैट्रिएशन फंड’ स्थापित करने की सिफारिश की है, जिससे निजी नागरिक भी योगदान दे सकें। यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल, सरकार पर आर्थिक भार को कम करेगा और कानूनी लड़ाइयों, वस्तुओं की खरीद और उनके रख-रखाव परिवहन में सहायता करेगा।

अन्य वैश्विक समझौतों के लिए आदर्श मॉडल

अमेरिका के साथ समझौते की सफलता से प्रेरित होकर भारत अब यूके, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों के साथ भी सांस्कृतिक संपत्ति समझौते करने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका इन वार्ताओं में निर्णायक हो सकती है।

केवल संख्याओं की बात नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जीवन

यह केवल आँकड़ों की बात नहीं है। हर लौटी हुई मूर्ति, पत्थर की नक्काशी या प्राचीन पांडुलिपि, भारत के गौरवशाली अतीत की कहानी कहती है। इन वस्तुओं की वापसी से भारतीय नागरिक उन्हें फिर से देख सकते हैं, अध्ययन कर सकते हैं और उन्हें अपना कह सकते हैं, बजाय इसके कि वे विदेशों के संग्रहालयों में धूल खाती रहें।

Static GK Snapshot (हिंदी में)

विषय विवरण
कुल लौटी प्राचीन वस्तुएँ (2014–2025) 642
2014 से पहले लौटी वस्तुएँ 13
अमेरिका से मिली वस्तुएँ (2020–2024) 588
वर्ष 2024 में प्राप्त वस्तुएँ 297
प्रमुख सहयोगी देश अमेरिका
सांस्कृतिक संपत्ति समझौता भारत-अमेरिका (तस्करी रोकथाम के लिए)
गठित विशेष समूह हेरिटेज रिकवरी टास्क फोर्स
प्रस्तावित निधि मॉडल हेरिटेज रि-पैट्रिएशन फंड (PPP मॉडल)
निधि का उपयोग कानूनी शुल्क, वस्तु खरीद, परिवहन, संरक्षण

 

India’s Push to Reclaim Smuggled Antiquities Gains Momentum
  1. भारत ने 2014 से 2025 के बीच कुल 642 प्राचीन वस्तुएँ वापस मंगाई हैं, जो एक बड़ी सांस्कृतिक उपलब्धि है।
  2. 2014 से पहले केवल 13 वस्तुएँ ही भारत लौटी थीं, जिससे हाल की प्रगति स्पष्ट होती है।
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत की धरोहर वापसी मुहिम में सबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा है।
  4. 2020 से 2024 के बीच, भारत को 610 प्राचीन वस्तुएँ मिलीं, जिनमें 588 केवल अमेरिका से थीं।
  5. 2024 में ही 297 वस्तुएँ विदेशों से भारत लौटीं – अब तक की सर्वाधिक संख्या
  6. अमेरिका के साथ एकसांस्कृतिक संपत्ति समझौता (CPA)’ अवैध विरासत व्यापार को रोकने के लिए किया गया।
  7. भारत सरकार ने हेरिटेज रिकवरी टास्क फोर्स गठित की, जो तस्करी की गई वस्तुओं को ट्रैक करती है।
  8. इस टास्क फोर्स में राजनयिक और कानूनी विशेषज्ञ शामिल हैं जो पुनर्प्राप्ति पर केंद्रित हैं।
  9. टीम सत्यापन, अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रिया और सहयोग समन्वय संभालती है।
  10. सरकार ने हेरिटेज रिपैट्रिएशन फंड का प्रस्ताव दिया है, जिससे जनसहभागिता को बढ़ावा मिलेगा।
  11. इस फंड से निजी दानदाता भी वापसी अभियान में सहयोग कर सकते हैं
  12. फंड का उपयोग कानूनी खर्च, वस्तु की खरीद और परिवहन लागत के लिए किया जाएगा।
  13. भारत, यूके, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों के साथ भी ऐसे ही समझौते करने की योजना बना रहा है।
  14. यह पहल भारत की वैश्विक सांस्कृतिक कूटनीति में बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
  15. प्रत्येक लौटी हुई वस्तु, भारत के संस्कृतिक और आध्यात्मिक इतिहास को पुनर्जीवित करती है।
  16. लौटी वस्तुओं में कांस्य मूर्तियाँ, पत्थर के स्तंभ और प्राचीन हस्तलिपियाँ शामिल हैं।
  17. अब ये वस्तुएँ जनता के लिए प्रदर्शनी और शैक्षणिक शोध के लिए उपलब्ध हैं।
  18. अमेरिका के साथ किया गया CPA, अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों के लिए मॉडल बन चुका है।
  19. यह कदम धरोहर संरक्षण और राष्ट्रीय पहचान के पुनर्निर्माण में सहायक है।
  20. यह पूरी मुहिम भारत के विरासत संरक्षण और विश्व पटल पर प्रस्तुति के व्यापक उद्देश्य के अनुरूप है।

Q1. भारत ने 2014 के बाद से कितनी पुरावस्तुएँ वापस मंगवाई हैं?


Q2. 2020 से 2024 के बीच किस देश ने भारत को सबसे अधिक पुरावस्तुएँ लौटाई हैं?


Q3. भारत की पुरावस्तु पुनर्प्राप्ति की देखरेख करने वाले कार्यबल का नाम क्या है?


Q4. धरोहर वापसी प्रयासों को समर्थन देने के लिए कौन-सा फंडिंग मॉडल प्रस्तावित किया गया है?


Q5. अमेरिका से भारत की तस्करी की गई पुरावस्तुओं की वापसी को किस समझौते ने संभव बनाया?


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