आधुनिक सेना के लिए आधुनिक तोपें
भारत अपनी तोप प्रणाली को आधुनिक बना रहा है ताकि बदलते युद्ध के स्वरूपों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके। दशकों तक बोफोर्स तोप भारतीय सेना की रीढ़ रही, खासकर कारगिल युद्ध में इसके प्रदर्शन की प्रशंसा हुई थी। अब ध्यान केंद्रित है स्वदेशी तोपों जैसे धनुष और एटीएजीएस पर, जो तकनीकी रूप से उन्नत और आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक हैं।
भारत को नई तोपों की ज़रूरत क्यों पड़ी?
भूतकाल में भारत को आयात में देरी, बोफोर्स घोटाले (1987) जैसी भ्रष्टाचार समस्याओं, और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता के कारण तोप प्रणाली में गंभीर कमजोरियों का सामना करना पड़ा। धनुष और एटीएजीएस जैसी स्वदेशी पहल ने इस स्थिति को बदल दिया है और भारत ने अब अपने दम पर समाधान तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
बोफोर्स की विरासत
बोफोर्स FH-77B तोप स्वीडन से 1980 के दशक में आई थी और कारगिल युद्ध (1999) में इसकी सटीकता ने इतिहास रच दिया।
• यह 155 मिमी गोले चलाती है
• 30 किमी तक मार करने में सक्षम है
• इसमें 6–8 सैनिकों की टीम लगती है
• यह पहाड़ी इलाकों में बेहतर प्रदर्शन करती है
हालांकि यह अब पुरानी हो रही है, लेकिन भारतीय सेना में अभी भी सीमित रूप से उपयोग में है।
धनुष: पहला स्वदेशी होवित्ज़र
धनुष भारत का पहला पूरी तरह से देश में विकसित किया गया होवित्ज़र है, जिसे आयुध निर्माणी बोर्ड ने तैयार किया। यह बोफोर्स पर आधारित है लेकिन तकनीकी रूप से ज़्यादा उन्नत है।
• 38 किमी की मारक क्षमता
• डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम
• ऊँचाई वाले क्षेत्रों में प्रभावी उपयोग
• भारतीय सेना में शामिल किया जा चुका है
यह भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का स्वाभिमानी उदाहरण है।
एटीएजीएस: भारत की सबसे शक्तिशाली तोप
एडवांस टोअड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) भारत की सबसे आधुनिक और ताकतवर तोप है। इसे DRDO, टाटा और भारत फोर्ज ने मिलकर बनाया है।
• 48 किमी से अधिक की मारक क्षमता
• स्वचालित लोडिंग सिस्टम
• जीपीएस और डिजिटल टारगेटिंग सिस्टम
• तेज़ और सटीक हमले करने में सक्षम
हालांकि इसका वज़न ज्यादा है, जिससे इसे ढलान वाले इलाकों में प्रयोग करना मुश्किल है। फिर भी, इसकी ताकत और आधुनिकता इसे भविष्य का हथियार बनाती है।
तीनों तोपों की तुलना
तोप का नाम | प्रमुख विशेषताएँ | वर्तमान स्थिति |
बोफोर्स | 30 किमी रेंज, अर्ध-स्वचालित, कारगिल में सिद्ध | अभी भी सीमित उपयोग में |
धनुष | 38 किमी रेंज, डिजिटल सिस्टम, स्वदेशी | पूरी तरह से ऑपरेशनल |
ATAGS | 48+ किमी रेंज, पूरी तरह स्वचालित, GPS टारगेटिंग | परीक्षण के दौर में |
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
अब भारत के पास ऐसी आधुनिक तोपें हैं जो सीमाओं को पार किए बिना दुश्मन पर हमले कर सकती हैं। इससे रक्षा क्षमता, रणनीतिक प्रतिक्रिया समय और सटीकता तीनों में सुधार होता है। साथ ही, धनुष और एटीएजीएस जैसे हथियार यह दर्शाते हैं कि भारत अब विश्वस्तरीय सैन्य तकनीक खुद विकसित कर सकता है।
स्थैतिक ‘Usthadian’ करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
बोफोर्स की उत्पत्ति | स्वीडन, 1980 के दशक में अधिग्रहण |
कारगिल युद्ध वर्ष | 1999 |
गोला प्रकार | 155 मिमी नाटो मानक |
DRDO पूरा नाम | रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन |
धनुष निर्माता | आयुध निर्माणी बोर्ड |
ATAGS निर्माता | DRDO, टाटा, भारत फोर्ज |
मेक इन इंडिया शुरुआत | 2014 |
तोप रेंज तुलना | ATAGS > धनुष > बोफोर्स |
आत्मनिर्भर भारत योजना | मई 2020 |
बोफोर्स घोटाले का वर्ष | 1987 |