एक्सिओम के साथ भारत का पहला स्पेस बायोलॉजी मिशन
भारत अंतरिक्ष जैविक अनुसंधान में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है क्योंकि वह अगले महीने एक्सिओम मिशन 4 के माध्यम से पोलैंड और हंगरी के साथ मिलकर मानव अंतरिक्ष अभियान में भाग लेगा। यह इन देशों का पिछले 40 वर्षों में पहला सरकारी–समर्थित मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। इस मिशन में चार सदस्यीय दल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर दो सप्ताह तक रहेगा। भारत द्वारा भेजे गए सात वैज्ञानिक प्रयोगों में से इसरो का वॉयेजर टार्डीग्रेड्स प्रोजेक्ट विशेष ध्यान आकर्षित कर रहा है, क्योंकि इसका संबंध खगोल यात्रियों के स्वास्थ्य और अंतरिक्ष अनुकूलन से है।
टार्डीग्रेड्स क्यों हैं विशेष?
टार्डीग्रेड्स, जिन्हें “वॉटर बियर” कहा जाता है, 0.1 से 0.5 मिमी लंबे सूक्ष्म जीव होते हैं। ये पृथ्वी पर सबसे अधिक सहनशील जीवों में गिने जाते हैं। ये अत्यधिक विकिरण, उच्च दबाव, अत्यधिक ठंड और अंतरिक्ष की निर्वात स्थिति तक को सह सकते हैं। ये जीव 600 मिलियन वर्षों से अस्तित्व में हैं और स्पेस एक्सपोजर व मैस एक्स्टिंक्शन जैसी स्थितियों से भी बच निकले हैं। इन विशेषताओं के कारण वे स्पेस बायोलॉजी प्रयोगों के लिए आदर्श माने जाते हैं।
वॉयेजर टार्डीग्रेड्स प्रयोग की जानकारी
इसरो के वॉयेजर टार्डीग्रेड्स प्रयोग का उद्देश्य यह जानना है कि माइक्रोग्रैविटी (सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) में टार्डीग्रेड्स कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। वैज्ञानिक यह अध्ययन करेंगे कि जब ये जीव निष्क्रिय अवस्था से जागते हैं और अंतरिक्ष में प्रजनन करते हैं, तो उनके व्यवहार और अनुवांशिक बदलाव कैसे होते हैं। आईएसएस पर अंडे से निकलने वाले टार्डीग्रेड्स की तुलना पृथ्वी पर पले जीवों से की जाएगी। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान मिल सकता है, विशेषकर दीर्घकालिक मिशनों जैसे गगनयान के लिए।
इसरो के अन्य अंतरिक्ष प्रयोग
टार्डीग्रेड्स के अलावा इसरो के छह अन्य प्रयोग भी इस मिशन में भेजे जा रहे हैं:
- शून्य गुरुत्व में स्क्रीन उपयोग और आंखों की गतिविधि का परीक्षण, जिससे तनाव और फोकस को समझा जाएगा।
- माइक्रोएल्गी को पोषक तत्व के रूप में उपयोग करने की संभावना।
- सायनोबैक्टीरिया की वृद्धि, जिससे भविष्य के स्पेसक्राफ्ट में ऑक्सीजन उत्पादन और जीवन समर्थन प्रणाली को बेहतर बनाया जा सकता है।
- मांसपेशियों के पुनरुत्थान के लिए एक मेटाबोलिक सप्लीमेंट का परीक्षण।
- सलाद बीजों की अंतरिक्ष में पीढ़ी–दर–पीढ़ी वृद्धि का अध्ययन, जो टिकाऊ खाद्य उत्पादन के लिए अहम है।
भविष्य की दिशा में एक कदम
एक्सिओम मिशन 4 में भारत की भागीदारी और वॉयेजर टार्डीग्रेड्स अध्ययन भारत की अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग में बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है। ये प्रयोग केवल वैज्ञानिक शोध नहीं, बल्कि गगनयान मिशन की नींव भी हैं। स्पेस बायोलॉजी, माइक्रोग्रैविटी रिसर्च और वैश्विक साझेदारी के साथ भारत अंतरिक्ष में जीवन विज्ञान और स्वास्थ्य अनुसंधान के भविष्य को आकार दे रहा है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
मिशन का नाम | एक्सिओम मिशन 4 |
सहभागी देश | भारत, पोलैंड, हंगरी, अमेरिका |
प्लेटफ़ॉर्म | अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) |
भारतीय प्रमुख एजेंसी | इसरो |
मुख्य प्रयोग | वॉयेजर टार्डीग्रेड्स परियोजना |
अध्ययन जीव | टार्डीग्रेड्स (“वॉटर बियर”) |
वैज्ञानिक उद्देश्य | माइक्रोग्रैविटी अनुकूलन, डीएनए मरम्मत, स्पेस सर्वाइवल |
भारत के लिए प्रासंगिकता | गगनयान सहयोग, स्पेस बायोलॉजी में नेतृत्व |
अन्य इसरो प्रयोग | माइक्रोएल्गी, सायनोबैक्टीरिया, मांसपेशी सुधार, स्क्रीन उपयोग |
संभावित लॉन्च तिथि | मई 2025 |