केरल की वरिष्ठ नागरिक-केन्द्रित प्रशासन में अग्रणी भूमिका
भारत में पहली बार, केरल ने 2025 में केरल राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग विधेयक पारित करने के बाद एक समर्पित वरिष्ठ नागरिक आयोग की स्थापना की है। यह ऐतिहासिक कदम केरल की प्रगतिशील सामाजिक नीति को दर्शाता है और इसका उद्देश्य वृद्धजनों की गरिमा, अधिकारों और सक्रिय भागीदारी को सुरक्षित करना है। यह अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय मिसाल प्रस्तुत करता है।
वरिष्ठ नागरिक आयोग को क्या बनाता है विशिष्ट?
यह आयोग एक वैधानिक निकाय है जिसे विशेष रूप से राज्य विधेयक के माध्यम से वृद्धजनों की सेवा हेतु स्थापित किया गया है। सामान्य कल्याण विभागों से अलग, यह आयोग केवल वरिष्ठ नागरिकों की चिंताओं—जैसे शिकायतें, नीतिगत सुझाव, और परामर्श सेवाएं—पर केंद्रित है। यह सरकार और वृद्ध समुदाय के बीच एक सक्रिय निगरानी एवं संपर्क की भूमिका निभाता है।
आयोग की शक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ
आयोग को नीतिगत सुझाव देने, जागरूकता अभियान चलाने, और उत्पीड़न या उपेक्षा के मामलों में कानूनी सहायता प्रदान करने का अधिकार है। यह सक्रिय बुढ़ापा (Active Aging) को प्रोत्साहित करता है, जिसमें समुदाय की भागीदारी और कौशल-साझाकरण को बढ़ावा मिलता है। साथ ही यह आयोग एक शिकायत निवारण प्रणाली, हेल्पलाइन और राज्य सरकार को आवधिक रिपोर्ट प्रदान करता है।
राष्ट्रीय महत्व और नीतिगत उपयोगिता
जैसे-जैसे भारत एक वृद्ध समाज की ओर अग्रसर हो रहा है, केरल का यह मॉडल विकेन्द्रीकृत और स्थानीयकृत दृष्टिकोण के रूप में उभरता है। जहां राष्ट्रीय स्तर पर माता–पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण–पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 लागू है, वहीं यह आयोग स्थानीय अनुपालन और क्रियान्वयन सुनिश्चित करता है। यह पहल एसडीजी 3 (सुगठित स्वास्थ्य) और एसडीजी 10 (असमानता में कमी) को समर्थन देती है और अन्य राज्यों द्वारा अपनाई जा सकने वाली एक आदर्श प्रणाली बनती है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान सारांश (STATIC GK SNAPSHOT – हिंदी में)
विषय | विवरण |
आयोग शुरू करने वाला पहला राज्य | केरल |
सक्षम कानून | केरल राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग विधेयक, 2025 |
प्रमुख उद्देश्य | वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा, सशक्तिकरण और समावेश |
कानूनी स्थिति | वैधानिक आयोग (Statutory Commission) |
मुख्य कार्य | शिकायत निवारण, कानूनी सहायता, नीति सुझाव, जागरूकता अभियान |
राष्ट्रीय जुड़ाव | माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007 का अनुपूरक |
परीक्षा प्रासंगिकता | सामाजिक न्याय, कल्याण योजनाएं, राज्य व्यवस्था (UPSC, TNPSC, SSC) |