क्या है बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था
बहुध्रुवीय विश्व उस अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को कहते हैं जिसमें कई शक्तिशाली देश वैश्विक नीतियों को आकार देते हैं, न कि केवल एक या दो देश। यह शीत युद्ध काल की द्विध्रुवीय व्यवस्था (US बनाम USSR) और उसके बाद की एकध्रुवीय व्यवस्था (US वर्चस्व) से अलग है।
आज अधिकांश देश अपने हितों और मूल्यों के आधार पर लचीले गठबंधन बना रहे हैं, जिससे वैश्विक शक्ति का केंद्रीकरण टूट रहा है।
वैश्विक प्रणाली में परिवर्तन
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित संस्थाएं जैसे कि UN, IMF और World Bank, आज के भू-राजनीतिक संदर्भ में कम प्रासंगिक हो गई हैं।
Static GK Fact: विश्व बैंक की स्थापना 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में हुई थी।
आज BRICS+, SCO, क्वाड जैसे मंचों और न्यू डेवलपमेंट बैंक जैसे विकल्पों का उदय दिखाता है कि दुनिया कठोर गुटों से लचीले मंचों की ओर बढ़ रही है।
बहुध्रुवीयता में भारत की भूमिका
भारत अब गैर–संलग्न नीति के बजाय व्यवहारिक बहु–संरेखण रणनीति अपना रहा है। वह Quad और IPEF जैसे पश्चिमी गठबंधनों का हिस्सा है, तो वहीं SCO और BRICS जैसे यूरेशियन मंचों में भी सक्रिय है।
यह भारत को वैश्विक शक्ति केंद्रों के बीच सेतु के रूप में स्थापित करता है।
Static GK Tip: भारत 2017 में SCO का पूर्ण सदस्य बना।
भारत अब I2U2 और Quad जैसे छोटे मंचों में भी प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है और एशिया में संतुलन बनाते हुए एक बहुध्रुवीय विश्व को बढ़ावा दे रहा है।
भारत के सामने रणनीतिक चुनौतियाँ
हालांकि भारत की स्थिति मजबूत हो रही है, परंतु रूस–यूक्रेन युद्ध के कारण ब्लॉक राजनीति का पुनरुत्थान हुआ है। इससे एक बार फिर दुनिया दो गुटों में बंटती नजर आ रही है — एक ओर अमेरिका–नेतृत्व वाला पश्चिमी गुट, दूसरी ओर चीन–रूस।
यह विभाजन भारत पर दबाव बनाता है कि वह किसी एक पक्ष का समर्थन करे, विशेषकर इंडो–पैसिफिक और यूरेशियन व्यापार में।
इसके अलावा, रूस की घटती रणनीतिक स्वायत्तता और चीन पर बढ़ती निर्भरता भारत की मध्य एशिया में प्रभावशीलता को सीमित करती है।
भारत की कूटनीतिक दिशा
सिंगापुर के विदेश मंत्री ने माना है कि भारत अब वैश्विक व्यवस्था को आकार देने वाला प्रमुख देश बनता जा रहा है। भारत की नीति समानता, संप्रभुता और क्षेत्रीय सहयोग पर आधारित है — जो एक बहुध्रुवीय दुनिया के मूल मूल्य हैं।
लेकिन इस नेतृत्व को बनाए रखने के लिए भारत को भू–राजनीतिक उलझनों से सावधानी से निपटना होगा ताकि उसकी रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रीय हित प्रभावित न हों।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
बहुध्रुवीयता | ऐसी प्रणाली जहां कई शक्तियां वैश्विक मामलों को प्रभावित करती हैं |
भारत की नीति | गैर-संलग्नता से व्यवहारिक बहु-संरेखण की ओर |
प्रमुख मंच | BRICS+, SCO, क्वाड, I2U2, IPEF |
सिंगापुर की टिप्पणी | 2025 में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को सराहा |
ब्रेटन वुड्स प्रणाली | WWII के बाद बनी, अब सवालों के घेरे में |
न्यू डेवलपमेंट बैंक | वर्ल्ड बैंक का विकल्प, BRICS द्वारा स्थापित |
भारत–SCO सदस्यता | 2017 से पूर्ण सदस्य |
ब्लॉक राजनीति पुनरुत्थान | रूस–यूक्रेन युद्ध के कारण द्विध्रुवीयता लौटती हुई |
रूस की रणनीतिक कमजोरी | चीन पर निर्भरता से भारत की यूरेशियन भूमिका सीमित |
भारत का लक्ष्य | वैश्विक और एशियाई संदर्भ में बहुध्रुवीयता को बढ़ावा देना |