जल समझौते की पृष्ठभूमि
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) 1960 में हस्ताक्षरित हुई थी, जिसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई। इस संधि के तहत, भारत को पूर्वी नदियों—सतलुज, ब्यास और रावी पर पूर्ण अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों—सिंधु, झेलम और चिनाब की व्यवस्था दी गई। यह समझौता दोनों देशों की कृषि, बिजली और जल आपूर्ति आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था। यह संधि युद्धों के दौरान भी बनी रही और विश्व की सबसे सफल जल-साझा संधियों में से एक मानी जाती है।
विवादास्पद परियोजनाएं
जम्मू–कश्मीर में स्थित रैटल और किशनगंगा जलविद्युत परियोजनाएं वर्तमान विवाद का केंद्र हैं। पाकिस्तान का दावा है कि ये परियोजनाएं संधि की धाराओं का उल्लंघन करती हैं और नीचे की ओर जल प्रवाह को प्रभावित करती हैं। वहीं भारत का तर्क है कि ये परियोजनाएं संधि के तकनीकी नियमों के अनुरूप हैं। इसी विवाद को सुलझाने के लिए 2022 में वर्ल्ड बैंक ने मिशेल लीनो नामक एक न्यूट्रल एक्सपर्ट की नियुक्ति की थी।
भारत का नया रुख
जून 2025 में भारत ने इस विवाद समाधान प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग की। भारत चाहता है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक संधि को ‘अस्थायी रूप से रोका’ जाए। भारत इससे पहले भी जल कूटनीति के संकेत दे चुका है, लेकिन इस बार संदेश स्पष्ट है—जल चर्चा से पहले सुरक्षा मुद्दों पर पाकिस्तान की कार्रवाई आवश्यक है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने भारत की मांग को खारिज कर दिया। पाकिस्तान का कहना है कि सिंधु जल संधि एक वैधानिक और बाध्यकारी समझौता है, जिसे रोका नहीं जा सकता। सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर उसकी निर्भरता कृषि उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर पंजाब और सिंध प्रांतों में।
व्यापक परिप्रेक्ष्य
भारत द्वारा नदियों के पानी को अन्य राज्यों की ओर मोड़ने या हाइड्रो परियोजनाओं में फ्लशिंग गतिविधियां करने की संभावना से पाकिस्तान में चिंता बढ़ी है। इससे न केवल क्षेत्रीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है, बल्कि भविष्य की ट्रांसबाउंडरी जल संधियों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
वैश्विक निगरानी का महत्व
वर्ल्ड बैंक द्वारा नियुक्त न्यूट्रल एक्सपर्ट की उपस्थिति यह दर्शाती है कि ऐसे द्विपक्षीय समझौतों में अंतरराष्ट्रीय निगरानी कितनी महत्वपूर्ण है। उनकी रिपोर्ट न केवल वर्तमान विवाद, बल्कि भविष्य की जल नीति वार्ताओं को भी प्रभावित कर सकती है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
संधि वर्ष | 1960 |
मध्यस्थ संस्था | विश्व बैंक |
भारत को आवंटित नदियाँ | सतलुज, ब्यास, रावी |
पाकिस्तान को आवंटित नदियाँ | सिंधु, झेलम, चिनाब |
विवादित परियोजनाएं | रैटल और किशनगंगा |
न्यूट्रल एक्सपर्ट | मिशेल लीनो |
विवाद निवारण प्रणाली | न्यूट्रल एक्सपर्ट या पंचाट |
भारत की वर्तमान कार्रवाई | संधि को स्थगित करने का अनुरोध |
पाकिस्तान का रुख | विरोध और पूर्ण अनुपालन की मांग |
स्टैटिक GK तथ्य | सिंधु नदी तिब्बत से निकलकर भारत और फिर पाकिस्तान जाती है |