जुलाई 19, 2025 10:30 अपराह्न

भारत–अमेरिका सहयोग: पनडुब्बी रोधी निगरानी के लिए सोनोबॉय तकनीक का संयुक्त उत्पादन

चालू घटनाक्रम संबंधित प्रमुख शब्द: भारत–अमेरिका रक्षा सहयोग, सोनोबॉय सह-उत्पादन, पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW), जलमग्न क्षेत्र जागरूकता (UDA), मेक इन इंडिया रक्षा, हिंद महासागर सुरक्षा, समुद्री निगरानी तकनीक

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सोनोबॉय क्या हैं और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

सोनोबॉय छोटे, तैरने वाले उपकरण होते हैं जिन्हें विमानों या जहाजों से समुद्र में छोड़ा जाता है। एक बार जल में पहुंचने के बाद ये उपकरण पनडुब्बियों की गतिविधियों, टॉरपीडो और अन्य पानी के भीतर हलचलों को सुन सकते हैं और उनकी जानकारी रेडियो सिग्नल के माध्यम से वास्तविक समय में पास के संचालन केंद्रों तक भेजते हैं।

ये पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) के लिए आवश्यक हैं और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) जैसे विवादित समुद्री क्षेत्रों में सामरिक सतर्कता बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारत-अमेरिका सहयोग: सामरिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

2024 में, भारत और अमेरिका ने एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत सोनोबॉय का सहउत्पादन भारत में ही किया जाएगा। यह पहली बार है कि भारत इस तकनीक का उत्पादन स्वयं करेगा, जिससे निम्नलिखित लाभ होंगे:

  • उन्नत जलमग्न निगरानी तकनीक का भारत को हस्तांतरण
    स्वदेशी उत्पादन क्षमता का विकास
    हिंदप्रशांत क्षेत्र में समुद्री शक्ति को मजबूती

यह समझौता खरीदारविक्रेता संबंध से आगे बढ़कर संयुक्त विकासकर्ता संबंध की ओर संकेत करता है — जो भारत की मेक इन इंडियाऔरआत्मनिर्भर भारत नीतियों को मजबूती देता है।

भारतीय नौसेना को इससे कैसे लाभ होगा?

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती नौसेना गतिविधियों को देखते हुए, भारत के लिए Undersea Domain Awareness (UDA) बहुत जरूरी है। सोनोबॉय निम्नलिखित में मदद करेंगे:

  • विदेशी पनडुब्बियों का भारतीय जलक्षेत्र में प्रवेश से पहले पता लगाना
    गुप्त निगरानी के माध्यम से संदिग्ध गतिविधियों को ट्रैक करना
    नौसेना संसाधनों पर भार कम करना
    तटीय सुरक्षा, खुफिया जानकारी, और समुद्री मानचित्रण में सहायता

यह सहयोग भारत को अपने सामरिक समुद्री मार्गों, बंदरगाहों और विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की सुरक्षा करने में अधिक सक्षम बनाएगा।

रक्षा से आगे: नागरिक और पर्यावरणीय उपयोग

सोनोबॉय का उपयोग सिर्फ रक्षा तक सीमित नहीं है। इसका उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में भी होता है:

  • समुद्री जैव विविधता निगरानी (जैसे व्हेल प्रवास ट्रैक करना)
    जलवायु परिवर्तन पर समुद्र संबंधी अध्ययन
    भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी – आपदा प्रबंधन में मदद
    समुद्री धाराओं और तापमान का मानचित्रण

भारत में इनके सह-निर्माण से वैज्ञानिक अनुसंधान और पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक सस्ती तकनीकें उपलब्ध हो सकेंगी।

स्थैतिक जीके स्नैपशॉट – परीक्षा हेतु

विषय तथ्य
सोनोबॉय जलमग्न ध्वनिक उपकरण – पनडुब्बी की निगरानी हेतु
मुख्य उपयोग पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW), जलमग्न क्षेत्र निगरानी
भारत–अमेरिका समझौता 2024 – सह-उत्पादन समझौते पर हस्ताक्षर
सहायक नीतियाँ मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत
रणनीतिक क्षेत्र हिंद महासागर क्षेत्र (IOR)
नागरिक उपयोग समुद्र विज्ञान, जलवायु अध्ययन, समुद्री जीवन निगरानी
UDA का पूर्ण रूप Undersea Domain Awareness (जलमग्न क्षेत्र जागरूकता)
भारत की भूमिका हिंद-प्रशांत में नेट सुरक्षा प्रदाता (Net Security Provider)
India-U.S. Collaborate on Sonobuoy Technology for Undersea Surveillance
  1. भारत और अमेरिका सौनोबॉय (Sonobuoy) तकनीक को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए सहयोग कर रहे हैं, जिससे दोनों देशों की समुद्री सुरक्षा को बल मिलेगा।
  2. सौनोबॉय एक छोटा, तैरने वाला उपकरण है जिसका उपयोग पनडुब्बियों और टॉरपीडो जैसी जल के भीतर गतिविधियों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  3. यह साझेदारी रक्षा प्रौद्योगिकी के आयात से सहउत्पादन की ओर बदलाव लाने का लक्ष्य रखती है।
  4. सौनोबॉय पनडुब्बी रोधी युद्ध और महासागरीय अनुसंधान के लिए अत्यंत आवश्यक उपकरण है।
  5. यह नया सहयोग मेक इन इंडियाऔरआत्मनिर्भर भारत अभियानों को समर्थन देता है।
  6. सौनोबॉय सौदा भारतअमेरिका के बीच मजबूत हो रहे रक्षा संबंधों को और सुदृढ़ करता है
  7. भारत अब पनडुब्बियों को अपनी समुद्री सीमाओं में प्रवेश करने से पहले ही पहचानने में सक्षम होगा।
  8. यह उपकरण बिना बड़े युद्धपोत तैनात किए समुद्री गतिविधियों की निगरानी की सुविधा देता है।
  9. सौनोबॉय समुद्र की सतह के नीचे की मैपिंग और नेविगेशन में अहम भूमिका निभाता है।
  10. भारतीय नौसेना इनका उपयोग कर भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है।
  11. सौनोबॉय विदेशी पनडुब्बियों को रीयलटाइम में ट्रैक करने का एक विश्वसनीय समाधान प्रदान करता है।
  12. इसका सह-उत्पादन भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है।
  13. भारत और अमेरिका के बीच इस संयुक्त उत्पादन से तकनीकी विशेषज्ञता का आदानप्रदान भी होता है।
  14. यह समझौता भारत की समुद्र के भीतर की निगरानी क्षमताओं (Underwater Domain Awareness) को बढ़ाता है और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को सशक्त करता है।
  15. भारतीय नौसेना के लिए सौनोबॉय एकफोर्स मल्टीप्लायर की भूमिका निभाते हैं, जिससे समुद्री सुरक्षा को मजबूती मिलती है।
  16. सौनोबॉय का उपयोग नागरिक क्षेत्रों में भी होता है, जैसे कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी और जंगली जीवों का पता लगाना
  17. यह सह-उत्पादन पहल भारत में रक्षा निर्माण क्षेत्र में कुशल रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी।
  18. यह साझेदारी भारत की भविष्य उन्मुख रक्षा प्रौद्योगिकी के सहविकासक बनने की क्षमता को दर्शाती है।
  19. इस सहयोग से भारत की वैश्विक समुद्री सुरक्षा नीति में भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण बनती है।
  20. सौनोबॉय भारत जैसे देशों को महासागर कीगुप्त आवाज़ोंको सटीकता से सुनने और तदनुसार कार्य करने की क्षमता देते हैं

Q1. सोनोबॉय का मुख्य उपयोग किसके लिए किया जाता है?


Q2. भारत किस क्षेत्र में बढ़ती हुई जलमग्न सुरक्षा चिंताओं का सामना कर रहा है, जिसे सोनोबॉय सहायता करते हैं?


Q3. भारत-अमेरिका सहयोग का उद्देश्य सोनोबॉय के लिए क्या प्राप्त करना है?


Q4. सैन्य अभियानों में सोनोबॉय का मुख्य उद्देश्य क्या है?


Q5. भारत की वह पहल कौन सी है जिसका उद्देश्य विदेशी रक्षा आयातों पर निर्भरता कम करना है?


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