शहरों में एरोसोल प्रवृत्तियों में विरोधाभास
IIT भुवनेश्वर द्वारा 2003 से 2020 तक किए गए एक अध्ययन से भारत के शहरों में विपरीत एरोसोल पैटर्न सामने आए हैं। कुछ शहरों में शहरी सीमा के भीतर प्रदूषण अधिक पाया गया, जबकि अन्य में इसके उलट स्थिति देखी गई। यह खोज भारत में शहरी वायु प्रदूषण की समझ को नया दृष्टिकोण प्रदान करती है।
शहरी एरोसोल प्रदूषण द्वीप
दक्षिण और दक्षिण-पूर्व भारत के शहरों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहर के भीतर अधिक एरोसोल स्तर पाए गए हैं। यह शहर प्रदूषण गुंबद के रूप में कार्य करते हैं, जहाँ स्थानीय उत्सर्जन प्रमुख होता है। बाहरी स्रोतों से जैसे धूल या धुएँ का कम प्रभाव रहता है, जिससे ये क्षेत्र संकेंद्रित प्रदूषण द्वीप बनते हैं।
Static GK Fact: एरोसोल वायुमंडल में निलंबित ठोस या तरल कण होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य और जलवायु दोनों को प्रभावित करते हैं।
शहरी एरोसोल स्वच्छ द्वीप
इसके विपरीत, उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत के लगभग 43% शहरों में शहर की सीमा के भीतर एरोसोल स्तर बाहरी क्षेत्रों की तुलना में कम पाए गए हैं। विशेषकर इंडो–गैंगेटिक प्लेन के शहरों में यह प्रभाव देखा गया, जहाँ थार मरुस्थल की धूल और कृषि अपशिष्ट जलने से उत्पन्न धुआँ पहुंचता है। ये शहर एक बफर क्षेत्र के रूप में कार्य करते हैं और भीतर की हवा अपेक्षाकृत स्वच्छ रहती है।
पवन स्थिरता एरोसोल प्रवाह को धीमा करती है
स्वच्छ द्वीप प्रभाव का मुख्य कारण शहरी पवन स्थिरता (Urban Wind Stilling) है। ऊँची इमारतें और घनी संरचनाएं सतही हवाओं को धीमा कर देती हैं, जिससे वायुमंडलीय ठहराव उत्पन्न होता है। इसका परिणाम होता है कि बाहरी एरोसोल शहरी केंद्रों तक नहीं पहुँच पाते और बाहर ही जम जाते हैं।
Static GK Tip: इंडो-गैंगेटिक प्लेन भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है, जो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल तक फैला है।
ऋतुओं के अनुसार एरोसोल प्रभाव में बदलाव
स्वच्छ द्वीप प्रभाव सबसे अधिक पूर्व–मानसून में देखा जाता है, जब धूल भरी आंधियाँ और फसल अवशेष जलाना चरम पर होता है। मानसून में बारिश और बादल एरोसोल को कम कर देते हैं, जिससे उपग्रह आंकड़े कम विश्वसनीय हो जाते हैं। पोस्ट–मानसून और सर्दियों में धूल कम और आर्द्रता अधिक होने के कारण यह प्रभाव कम दिखाई देता है।
शहरी वायु गुणवत्ता नीति के लिए सबक
यह अध्ययन दिखाता है कि शहरी प्रदूषण केवल स्थानीय स्रोतों से नहीं होता। उत्तर भारत में बाहरी स्रोत जैसे रेगिस्तानी धूल और ग्रामीण आग प्रमुख कारण हैं, जबकि दक्षिण भारत में मुख्य कारण शहरी उत्सर्जन हैं। यह विश्लेषण शहर–विशेष रणनीति के साथ जलवायु–लचीली नीति के निर्माण में मदद कर सकता है।
वैश्विक समानताएं और भविष्य की दिशा
शंघाई और अटलांटा जैसे शहरों में भी शहरी स्वच्छ द्वीप प्रभाव देखा गया है, हालांकि उनके कारण भिन्न हैं। भारत का उदाहरण दर्शाता है कि भौगोलिक स्थिति, शहरी विस्तार, और सूक्ष्म जलवायु प्रदूषण पैटर्न को कैसे प्रभावित करते हैं। जैसे-जैसे शहर बढ़ते हैं और जलवायु परिवर्तन होता है, और अधिक शोध की आवश्यकता होगी।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
अध्ययन अवधि | 2003 से 2020 |
अनुसंधान संस्थान | IIT भुवनेश्वर |
UAPI शहर | दक्षिण और दक्षिण-पूर्व भारत |
UACI शहर | उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत (IGP क्षेत्र) |
स्वच्छ द्वीप हिस्सेदारी | 43% शहर |
प्रमुख मौसम | पूर्व-मानसून (धूल और धुआँ अधिकतम) |
मुख्य पवन प्रभाव | शहरी पवन स्थिरता प्रभाव |
बाहरी प्रदूषण स्रोत | थार रेगिस्तान की धूल, बायोमास जलना |
वैश्विक उदाहरण | शंघाई, अटलांटा |
GK टिप | एरोसोल जलवायु, मौसम और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं |