जुलाई 18, 2025 9:41 पूर्वाह्न

बिरसा मुंडा पुण्यतिथि 2025: 125 वर्षों की अमर विरासत

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Birsa Munda Punyatithi 2025 marks 125 years of legacy

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जनजातीय प्रतीक को स्मरण

हर साल 9 जून को भारत बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देता है — उस महान आदिवासी नेता को जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ अदम्य साहस से संघर्ष किया2025 में यह दिन उनकी 125वीं पुण्यतिथि के रूप में मनाया गया। झारखंड और आसपास के क्षेत्रों में आदिवासी संस्कृति की रक्षा और सम्मान की लड़ाई में उनका योगदान ऐतिहासिक रहा है।

जन्म से ही नेतृत्व का भाव

15 नवंबर 1875 को उलिहातू (झारखंड) में जन्मे बिरसा मुंडा, मुंडा जनजाति से थे। भले ही उन्होंने बहुत कम औपचारिक शिक्षा पाई, पर अन्याय के खिलाफ उनका बोध बहुत तेज था। उन्होंने देखा कि ब्रिटिश अधिकारी, जमींदार और मिशनरी किस तरह आदिवासी जीवनशैली को कुचल रहे थे। यही अन्याय उनके भीतर विद्रोह की चिंगारी बना।

भूमि और संस्कृति की रक्षा का संकल्प

बिरसा मुंडा ने देखा कि आदिवासियों की भूमि छीनी जा रही थी और उनके विश्वास मिटाए जा रहे थे। उन्होंने सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक स्तर पर जनजागृति शुरू की। उन्होंने स्थानीय परंपराओं को पुनर्जीवित करने और विदेशी हस्तक्षेप का विरोध करने की अपील की। उनकी बातें जंगलों और गांवों तक फैल गईं और लोगों के दिलों में परिवर्तन की लहर पैदा हुई।

उलगुलान केवल विद्रोह नहीं था

उलगुलान का अर्थ है महाविप्लव। यह आंदोलन 1890 के दशक के अंत में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में शुरू हुआ। यह केवल सत्ता के खिलाफ विद्रोह नहीं था, बल्कि आत्मसम्मान, आत्मशासन और सांस्कृतिक अधिकारों की मांग थी। बिरसा ने सत्ता नहीं मांगी, बल्कि केवल यह कहा कि जंगल, नदी और ज़मीन आदिवासियों की है — यह सीधा लेकिन सशक्त संदेश था।

ब्रिटिश प्रतिक्रिया और असमय मृत्यु

बिरसा मुंडा की बढ़ती लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार घबरा गई। उन्हें विद्रोह का केंद्र मानकर 1900 में गिरफ्तार कर रांची जेल में बंद कर दिया गया। वहां 9 जून 1900 को केवल 25 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का कारण अस्पष्ट रहा, पर उनकी शहादत भारत के आदिवासी और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए प्रेरणा बन गई

उनके योगदान की विरासत

बिरसा मुंडा की मृत्यु के बाद भी उनके प्रयास रंग लाए। 1908 में पारित छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम ने आदिवासी भूमि अधिकारों को कानूनी सुरक्षा दी। आज उनकी जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाती है और उनकी पुण्यतिथि भारतीय इतिहास में आदिवासी संघर्ष की स्मृति के रूप में।

हर वर्ष की श्रद्धांजलि

9 जून को झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर स्कूलों, समुदायों और सरकारी संस्थाओं द्वारा स्मरण सभाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उनकी गाथाएं गीतों, मूर्तियों और पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से जीवित रहती हैं। यह दिन केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि आदिवासी पहचान और इतिहास को मजबूती देने का प्रतीक है।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
मृत्यु तिथि 9 जून 1900
स्मृति दिवस बिरसा मुंडा पुण्यतिथि
जन्म स्थान उलिहातू, झारखंड
नेतृत्व किया आंदोलन उलगुलान (महाविप्लव)
संबंधित अधिनियम छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908
प्रमुख राज्य झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़
जनजाति मुंडा जनजाति
मृत्यु के समय आयु 25 वर्ष
मृत्यु स्थल रांची जेल
स्मृति दिवस (जयंती) जनजातीय गौरव दिवस

 

Birsa Munda Punyatithi 2025 marks 125 years of legacy
  1. बिरसा मुंडा पुण्यतिथि हर साल 9 जून को मनाई जाती है ताकि इस आदिवासी नेता के बलिदान को श्रद्धांजलि दी जा सके।
  2. वर्ष 2025 में भारत बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि मना रहा है, जो आदिवासी प्रतिरोध के प्रमुख नेता थे।
  3. बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को उलिहातू (वर्तमान झारखंड) में हुआ था।
  4. वे मुंडा जनजाति से थे, जो पूर्वी भारत की एक प्रमुख आदिवासी समुदाय है।
  5. उन्होंने उलगुलान आंदोलन‘ (महाविप्लव) का नेतृत्व किया, जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ था।
  6. उनका संघर्ष भूमि अधिकारों, आदिवासी गरिमा और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए था।
  7. उनके संघर्ष के परिणामस्वरूप छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 पारित हुआ, जिसने आदिवासी भूमि की रक्षा सुनिश्चित की।
  8. बिरसा का निधन मात्र 25 वर्ष की आयु में 9 जून 1900 को रांची जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में हुआ।
  9. उनका आंदोलन राजनीतिक और आध्यात्मिक दोनों था, जिसमें मूल आदिवासी परंपराओं की ओर लौटने का आह्वान था।
  10. उन्होंने ब्रिटिश अफसरों, मिशनरियों और ज़मींदारों का विरोध किया जो आदिवासी जीवन में हस्तक्षेप कर रहे थे।
  11. जनजातीय गौरव दिवस उनकी जयंती (15 नवंबर) को आदिवासी गौरव के सम्मान में मनाया जाता है।
  12. उनके प्रयासों ने औपनिवेशिक भारत में आदिवासी राजनीतिक चेतना की नींव रखी।
  13. झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य उनकी पुण्यतिथि को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मनाते हैं।
  14. उन्हें पाठ्यपुस्तकों, गीतों और मूर्तियों में आदिवासी क्षेत्रों में स्मरण किया जाता है।
  15. उनकी विरासत आदिवासी पहचान, स्वायत्तता और सामाजिक न्याय की मांग को सशक्त करती है।
  16. बिरसा का मानना था कि जंगल, नदियाँ और ज़मीन आदिवासी समुदायों की प्राकृतिक संपत्ति हैं।
  17. उनकी गिरफ्तारी और मृत्यु ने बड़े स्तर पर आदिवासी असंतोष को जन्म दिया और राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया।
  18. ब्रिटिश सरकार ने उनके स्वराज्य के विचार को औपनिवेशिक शासन के लिए गंभीर खतरा माना।
  19. बिरसा मुंडा का नाम भारत के महानतम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों में गिना जाता है।
  20. उनका दृष्टिकोण और बलिदान आज भी भारत में आदिवासी अधिकार आंदोलनों को प्रेरणा देता है।

Q1. बिरसा मुंडा की विरासत को सम्मान देने के लिए 9 जून को क्या मनाया जाता है?


Q2. 1890 के दशक के अंत में बिरसा मुंडा द्वारा नेतृत्व किए गए जनजातीय आंदोलन का नाम क्या था?


Q3. बिरसा मुंडा के संघर्ष से प्रेरित होकर पारित किए गए 1908 के कानून का नाम क्या है, जो जनजातीय भूमि अधिकारों की रक्षा करता है?


Q4. बिरसा मुंडा को कहां कैद किया गया था और उनकी मृत्यु कहां हुई थी, जब वे 25 वर्ष के थे?


Q5. भारत में मनाए जाने वाले जनजातीय गौरव दिवस का महत्व क्या है?


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