संपदा से समृद्ध, पर विकास से वंचित
बलूचिस्तान, क्षेत्रफल के अनुसार पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है—गैस, सोना, कोयला, तांबा जैसे खजानों का घर। फिर भी यह देश के सबसे गरीब इलाकों में से एक है। यह विरोधाभास चौंकाने वाला है: बलूचिस्तान की गैस से पाकिस्तान रोशन होता है, लेकिन खुद इसके गांव बिजली और साफ पानी के लिए तरसते हैं। बलूच लोगों को लगता है कि उन्हें इस्तेमाल किया गया, लेकिन स्वीकार नहीं किया गया।
एक ऐसा इतिहास जो अभी भी टीसता है
1948 में कलात राज्य के पाकिस्तान में विलय के साथ बलूच असंतोष की नींव रखी गई। कलात के शासक स्वतंत्र रहना चाहते थे, लेकिन दबाव में आकर समझौता करना पड़ा। बलूच समुदाय के लिए यह विलय एकजुटता नहीं बल्कि कब्जा था। 1948, 1958, 1962, 1973 और फिर 2004 से चल रही सशस्त्र विद्रोह की लहरें इसी गहरे असंतोष का संकेत हैं।
संसाधनों का दोहन, लाभ से वंचन
1952 में सुई गैस की खोज बलूचिस्तान के लिए वरदान बन सकती थी, लेकिन यह शोषण का प्रतीक बन गई। पाकिस्तान की अधिकांश गैस ज़रूरतें बलूचिस्तान से पूरी होती हैं, पर वहाँ के घर अब भी अंधेरे में हैं। सीपीईसी (चीन–पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) और ग्वादर पोर्ट जैसे बड़े प्रोजेक्टों ने विकास का वादा किया, पर स्थानीय लोगों को विस्थापित किया गया, मुआवज़ा नहीं मिला और फ़ायदा बाहरी लोगों ने उठाया।
राजनीति, पर आवाज़ नहीं
बलूचिस्तान में चुनावों में धांधली, कठपुतली सरकारें और बार–बार विधानसभा भंग किए जाने से यह धारणा बन गई है कि बलूच नेतृत्व इस्लामाबाद में अस्वीकार्य है। इससे विश्वास में गिरावट और राजनीतिक अलगाव की भावना बढ़ी है।
डर, गुमशुदगी और चुप्पी
जब बलूच जनता अपनी बात उठाती है, तो उन्हें अक्सर संवाद की जगह दमन का सामना करना पड़ता है। मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा लापता किए गए नागरिक, यातनाएं और बिना मुकदमे के हत्याएं आम हैं। “मिसिंग पर्सन्स” बलूचिस्तान के हर घर और कॉलेज का दर्द बन चुका है—पोस्टर, प्रदर्शन और पीड़ा यहाँ की दिनचर्या है।
एक पहचान जो मिटाई जा रही है
बलूच भाषा, इतिहास और संस्कृति इस समुदाय की आत्मा हैं, पर उनका मानना है कि यह सब पंजाबी और उर्दू आधारित एकरूपी पहचान थोपकर नष्ट किया जा रहा है। सांस्कृतिक मंचों की कमी और शिक्षा में भेदभाव से उन्हें अपने ही देश में पराया महसूस होता है।
वह संघर्ष जो अब भी जारी है
हालांकि बलूच स्वतंत्रता आंदोलन विभाजित है, फिर भी वह सक्रिय है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और बलूच रिपब्लिकन आर्मी (BRA) जैसे समूह राज्य की संपत्तियों पर हमले करते हैं। प्रवासन में नेता जैसे मेहरान मारी और ब्रहमदाग़ बुग्ती अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटा रहे हैं। विदेशी फंडिंग के आरोप लगे हैं, लेकिन जड़ में मुद्दा वही है—एक ऐसा समुदाय जो खुद को अनसुना और अस्वतंत्र महसूस करता है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
क्षेत्र | बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत |
प्रमुख संसाधन | गैस, कोयला, सोना, तांबा |
ऐतिहासिक घटना | 1948 में कलात का पाकिस्तान में विलय |
प्रमुख विद्रोह के वर्ष | 1948, 1958, 1962, 1973, 2004–वर्तमान |
प्रमुख आंदोलन | बीएलए, बीआरए, बलूच राष्ट्रवादी आंदोलन |
बड़े प्रोजेक्ट | सुई गैस फील्ड, सीपीईसी, ग्वादर पोर्ट |
क्षेत्रीय असंतोष | आर्थिक शोषण, स्वायत्तता की कमी |
मानवाधिकार चिंता | गुमशुदगी, फर्जी मुठभेड़ |
सांस्कृतिक मुद्दे | बलूच पहचान का हाशियाकरण |
प्रमुख निर्वासित नेता | मेहरान मारी, ब्रहमदाग़ बुग्ती |