बंद खदानों की ओर बढ़ता भारत का ऊर्जा दृष्टिकोण
भारत अब बंद पड़ी कोयला खदानों को सौर ऊर्जा के एक संभावित स्रोत के रूप में देख रहा है। जो ज़मीन कभी जीवाश्म ईंधन के लिए खोदी गई थी, वह अब सौर पार्कों में बदले जाने की योजना में है। यह पहल ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के साथ-साथ रोज़गार सृजन के लिए भी अहम है।
निष्क्रिय खदानें, स्वच्छ ऊर्जा की आशा
देशभर में ऐसी 63 बंद खदानें हैं, जो लगभग 500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई हैं। यदि इनका उपयोग सही ढंग से हो, तो लगभग 27.11 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है — जो भारत की मौजूदा सौर ऊर्जा क्षमता का 37% है। तेलंगाना, ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ इस दिशा में सबसे आगे हैं, क्योंकि इनके पास सबसे अधिक खदान क्षेत्र उपलब्ध है।
वैश्विक स्तर पर कोयले से दूरी
दुनिया में करीब 3,800 कोयला खदानें सक्रिय हैं, लेकिन 33 देश कोयले को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का वादा कर चुके हैं। इससे सौर ऊर्जा के लिए नई ज़मीनें उपलब्ध होंगी। इस बदलाव की दिशा में ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और अमेरिका जैसे देश भी अग्रसर हैं।
पर्यावरणीय खतरे और खदानें
बंद कोयला खदानें मीथेन गैस का रिसाव करती हैं, जो कार्बन डाइऑक्साइड से कई गुना अधिक हानिकारक ग्रीनहाउस गैस है। इसके अलावा, खाली खदानें यदि बिना देखरेख छोड़ दी जाएँ तो भूस्खलन और दुर्घटनाओं का खतरा भी रहता है। इसलिए इनका पुनः उपयोग करना पर्यावरणीय रूप से भी आवश्यक है।
वैश्विक स्तर पर सौर संभावना
भारत अकेला देश नहीं है जो इस परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है। 28 देशों में ऐसी सतही कोयला खदानें चिन्हित की गई हैं जो 288 GW तक सौर ऊर्जा पैदा कर सकती हैं। अच्छी बात यह है कि इन स्थानों के पास बिजली की लाइनों का नेटवर्क पहले से मौजूद है, जिससे नई अधोसंरचना की लागत कम होगी।
सौर रोजगार बनाम कोयला नौकरी
सौर परियोजनाओं से न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग 2.6 लाख स्थायी नौकरियाँ और 3.17 लाख अस्थायी निर्माण कार्य के मौके इस संक्रमण से पैदा हो सकते हैं — जो कोयला उद्योग में संभावित नौकरी हानि से कहीं अधिक है।
आसान संक्रमण में बाधाएँ
हालांकि यह परिवर्तन आशाजनक है, परंतु कई चुनौतियाँ भी हैं। स्थानीय समुदायों को स्वास्थ्य, भूमि अधिकार और पुनर्वास को लेकर चिंता है। कई खदान क्षेत्रों में स्वामित्व दस्तावेज स्पष्ट नहीं हैं, जिससे परियोजनाओं में बाधा आती है। इन समस्याओं का समाधान नीतिगत और सामाजिक स्तर पर किया जाना चाहिए।
Static GK Snapshot (हिंदी में)
विषय | विवरण |
भारत में बंद खदानों की संख्या | 63 स्थल |
कुल क्षेत्रफल | 500+ वर्ग किमी |
संभावित सौर क्षमता | 27.11 GW (भारत की वर्तमान क्षमता का 37%) |
प्रमुख राज्य | तेलंगाना, ओडिशा, एमपी, छत्तीसगढ़ |
वैश्विक खदानें (सौर उपयुक्त) | 28 देश |
कुल वैश्विक क्षमता | 288 GW |
प्रमुख पर्यावरणीय जोखिम | मीथेन रिसाव |
सक्रिय वैश्विक खदानें | लगभग 3,800 |
कोयला छोड़ने वाले देश | 33 |
स्थायी सौर नौकरियाँ | 2,59,700 |
अस्थायी निर्माण नौकरियाँ | 3,17,500 |
प्रमुख चुनौतियाँ | भूमि अधिकार, समुदाय की चिंताएँ, नीतिगत खामियाँ |