विज्ञान और साहित्य का अद्भुत संगम
नेल्लै सु. मुथु, जो अंतरिक्ष विज्ञान और तमिल साहित्य दोनों के क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम थे, 16 जून 2025 को तिरुवनंतपुरम में निधन हो गया। वे 74 वर्ष के थे। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया और तमिल भाषा में विज्ञान लेखन को लोकप्रिय बनाया। उनकी शैली ऐसी थी कि वे उल्काओं और उपग्रहों को कविता और कहानियों में बदल देते थे।
वे 10 मई 1951 को तिरुनेलवेली, तमिलनाडु में जन्मे थे—एक ऐसा क्षेत्र जो वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
इसरो में उनका योगदान
मुथु ने अपना अधिकांश वैज्ञानिक जीवन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में बिताया। वे वहां पर डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुके थे। उन्होंने भारत के शुरुआती रॉकेट और प्रक्षेपण परियोजनाओं में सहयोग देकर देश के अंतरिक्ष मिशन को मजबूती प्रदान की।
उनका यह वैज्ञानिक अनुभव उनके साहित्यिक कार्यों में स्पष्ट झलकता था, जिससे तकनीकी प्रामाणिकता और भावनात्मक गहराई दोनों मिलती थीं।
170 से अधिक पुस्तकों के लेखक
मुथु ने 170 से अधिक किताबें लिखीं, जिनमें से 100 से ज्यादा विज्ञान पर आधारित थीं। उनकी प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं:
- विन्वेली 2057 (Sky 2057): गणित, खगोल, भौतिकी व रसायन विज्ञान पर आधारित पुस्तक; सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार (2000)
- अरिवुट्टुम विज्ञान: बच्चों के लिए विज्ञान खेल; सर्वश्रेष्ठ बाल पुस्तक (2004)
- आइंस्टीनुम अंदवेलीयुम: आइंस्टीन की जीवनी और ब्रह्मांड विज्ञान का मिश्रण; सर्वश्रेष्ठ जीवनी (2005)
तमिल संस्कृति के प्रति समर्पण
मुथु ने केवल विज्ञान नहीं, बल्कि तमिल इतिहास, मिथकों और संस्कृति को भी अपनी कहानियों में बुना। उनकी प्रसिद्ध रचना “सेव्वायिल उल्वेट्क्कैयुम नल वाप्पुम“ में यूनानी मिथकों और मंगल ग्रह को जोड़ा गया है, जो उनकी संस्कृति आधारित वैज्ञानिक दृष्टि को दर्शाता है।
वे अखबार में नियमित रूप से विज्ञान लेख लिखते थे, जिससे वे हजारों पाठकों तक पहुंचते थे।
सम्मानों की लंबी सूची
उनके योगदान के लिए उन्हें कविममणि पुरस्कार (वर्ल्ड तमिल पोएट्स एसोसिएशन, मलेशिया) और तमिलनाडु सरकार के तमिल विकास विभाग से कई पुरस्कार मिले। इससे यह सिद्ध होता है कि वे देश और विदेश में समान रूप से सम्मानित थे।
प्रेरणा देने वाली विरासत
सेवानिवृत्ति के बाद वे मदुरै और तिरुवनंतपुरम में रहते हुए भी लेखन कार्य जारी रखे। उनका मुख्य उद्देश्य था ग्रामीण बच्चों को मातृभाषा में विज्ञान से जोड़ना। उन्होंने अपने जीवन से यह सिद्ध कर दिया कि विज्ञान और संस्कृति साथ-साथ चल सकते हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
निधन की तिथि | 16 जून 2025 |
स्थान | तिरुवनंतपुरम, केरल |
पेशा | ISRO वैज्ञानिक, तमिल लेखक |
जन्म स्थान | तिरुनेलवेली, तमिलनाडु |
प्रमुख ISRO भूमिका | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक |
सहकर्मी | डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम |
कुल पुस्तकें | 170+ (100+ विज्ञान विषयों पर) |
प्रमुख पुस्तकें | विन्वेली 2057, आइंस्टीनुम अंदवेलीयुम, अरिवुट्टुम विज्ञान |
प्राप्त पुरस्कार | कविममणि, तमिल विकास विभाग पुरस्कार |
कॉलम लेखन | (Dinamani) |
सेवानिवृत्ति के बाद स्थान | मदुरै और तिरुवनंतपुरम |