परिचय
16 जुलाई 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PM-DDKY) को मंजूरी दी।
यह योजना छह वर्षों (2025–26 से 2030–31) के लिए है, जिसमें प्रति वर्ष ₹24,000 करोड़ का आवंटन होगा।
इसका उद्देश्य 100 कृषि दृष्टि से पिछड़े जिलों की उत्पादकता और किसानों के कल्याण को बढ़ाना है।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, और लगभग 58% जनसंख्या कृषि में कार्यरत है।
उद्देश्य
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाना, सिंचाई का विस्तार करना, भंडारण क्षमता में वृद्धि करना और ऋण प्रवाह में सुधार करना है।
इसके अतिरिक्त, यह फसल विविधीकरण, ग्रामीण रोजगार और खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देती है।
यह सभी लक्ष्य किसानों की आय को दोगुना करने और ग्रामीण विकास की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुकूल हैं।
पृष्ठभूमि
PM-DDKY की आधारशिला आकांक्षी जिलों कार्यक्रम पर रखी गई है, जो विकास के विभिन्न क्षेत्रों में पिछड़े जिलों पर केंद्रित है।
कई क्षेत्रों में अभी भी फसल गहनता कम है, तकनीकी पहुंच सीमित है और वित्तीय समावेशन कमजोर है।
नई योजना इन कमियों को केंद्र–राज्य समन्वय के माध्यम से दूर करती है।
स्थैतिक जीके टिप: भारत में 1960–70 के दशक की हरित क्रांति ने आधुनिक तकनीकों से खाद्यान्न उत्पादन को नाटकीय रूप से बढ़ाया।
कवरेज और चयन
इन 100 जिलों का चयन उत्पादकता, फसल गहनता और ऋण प्रवाह जैसे मापदंडों के आधार पर किया गया है।
हर राज्य को कम से कम एक जिला मिलेगा, और अतिरिक्त जिलों का निर्धारण शुद्ध खेती क्षेत्र और भूमि स्वामित्व के आधार पर होगा।
इससे देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में संतुलित वितरण सुनिश्चित किया गया है।
संस्थागत संरचना
योजना का कार्यान्वयन 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं के समन्वय से किया जाएगा।
प्रमुख भूमिकाओं में शामिल हैं:
- जिला कृषि और संबद्ध गतिविधियों की योजना, जिसे जिला कलेक्टर के तहत DDKY समिति द्वारा तैयार किया जाएगा।
- 117 प्रदर्शन संकेतकों के साथ एक डैशबोर्ड से निगरानी, जिसकी मासिक समीक्षा होगी।
- नीति आयोग रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत में 77 कृषि विश्वविद्यालय हैं, जो अनुसंधान और विस्तार कार्य में लगे हैं।
हर जिला तकनीकी साझेदार (जैसे कृषि विश्वविद्यालय या R&D संस्थान) के साथ मिलकर काम करेगा।
वित्त पोषण और कार्यान्वयन
योजना के तहत हर वर्ष ₹24,000 करोड़ का व्यय होगा, जिससे कुल छह वर्षों में ₹1.44 लाख करोड़ खर्च किए जाएंगे।
इस बजट का उपयोग अवसंरचना परियोजनाओं, किसान प्रशिक्षण, सिंचाई प्रणालियों, भंडारण सुविधाओं और ऋण प्रणाली पर किया जाएगा।
यह योजना सार्वजनिक–निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करती है ताकि आधुनिक तकनीक और कुशल सेवा सुनिश्चित हो सके।
अपेक्षित प्रभाव
इस योजना से लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
यह क्षेत्रीय कृषि असमानताओं को कम करने में मदद करेगी।
मूल्य वर्धित कृषि को प्रोत्साहित कर, यह किसानों की आय बढ़ाने और आत्मनिर्भरता को बल देती है।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा गेहूं और चावल उत्पादक देश है।
निगरानी और मूल्यांकन
जिलों की प्रगति की निगरानी 117 संकेतकों के माध्यम से रियल टाइम डैशबोर्ड पर की जाएगी।
राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर नियमित समीक्षा से उत्तरदायित्व सुनिश्चित होगा।
नीति आयोग की देखरेख से रणनीति में आवश्यक बदलाव समय पर किए जाएंगे।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना एक समग्र कृषि परिवर्तन की दिशा में अहम कदम है।
इसमें मजबूत संस्थागत ढांचा, ठोस वित्तपोषण और नीतिगत अभिसरण के साथ, यह योजना ग्रामीण स्थिरता, किसान समृद्धि और खाद्य सुरक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्यों का समर्थन करती है।
Static Usthadian Current Affairs Table
तथ्य | विवरण |
योजना का नाम | प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना |
अनुमोदन तिथि | 16 जुलाई 2025 |
अवधि | 2025–26 से 2030–31 |
वार्षिक बजट | ₹24,000 करोड़ |
कुल बजट (6 वर्ष) | ₹1.44 लाख करोड़ |
लक्षित जिले | 100 कृषि दृष्टि से पिछड़े जिले |
लाभार्थी | लगभग 1.7 करोड़ किसान |
निगरानी प्रणाली | 117 संकेतकों वाला डैशबोर्ड, नीति आयोग निगरानी |
योजना का कवरेज | सिंचाई, भंडारण, ऋण, विविधीकरण |
संस्थागत ढांचा | DDKY समिति, तकनीकी साझेदार, बहु-मंत्रालय समन्वय |