भारत-साइप्रस संबंधों में नई ऊर्जा
23 वर्षों के अंतराल के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने साइप्रस की यात्रा की, जो एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कूटनीतिक प्रयास है। पूर्वी भूमध्यसागर में भारत की भागीदारी को बढ़ाने का यह संकेत है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध पहले से मौजूद हैं और यह यात्रा शिपिंग, शिक्षा और रक्षा सहयोग को और मजबूती दे सकती है।
SCO बैठक: भारत ने संयुक्त बयान पर नहीं किया हस्ताक्षर
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जिससे बैठक बिना सर्वसम्मति के समाप्त हुई। SCO में निर्णय सर्वसम्मति से होते हैं और भारत के रुख से यह स्पष्ट हुआ कि वह अपने रणनीतिक हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा, खासकर चीन–पाकिस्तान गठजोड़ या सीमा पार आतंकवाद के संदर्भ में।
SCO में भारत की वैचारिक भूमिका
भारत के रक्षा मंत्री ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के सिद्धांत को दोहराया, जो भारत की प्राचीन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से प्रेरित है। यह विचार दुनिया को एक परिवार के रूप में देखने का संदेश देता है। उन्होंने बताया कि SCO विश्व GDP का 30% और जनसंख्या का 40% प्रतिनिधित्व करता है।
SCO में भारत की रणनीति
भारत SCO को क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक एकीकरण का मंच मानता है।
सुरक्षा के क्षेत्र में रिजनल एंटी–टेररिज्म स्ट्रक्चर (RATS) के माध्यम से आतंकवाद विरोधी समन्वय संभव है।
नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत SCO युवा वैज्ञानिक सम्मेलन और स्टार्टअप कार्य समूह जैसे प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित करता है।
व्यापारिक संपर्क के लिए भारत इंटरनेशनल नॉर्थ–साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को बढ़ावा देता है, जो चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को संतुलित कर सकता है।
दुर्लभ खनिज तत्व (REEs) और चीन
चीन विश्व में 90% REEs का प्रसंस्करण करता है और हाल ही में इस पर निर्यात प्रतिबंध लगाया है। इससे भारत जैसे देशों को संकट का सामना करना पड़ रहा है।
REEs क्या हैं? ये 17 ऐसे तत्व हैं जो रक्षा, एयरोस्पेस, ऊर्जा और मोबाइल जैसे हाई–टेक उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं।
भारत के पास 7 मिलियन मीट्रिक टन REEs हैं (दुनिया में 5वें स्थान पर), परंतु प्रसंस्करण की क्षमता सीमित है।
भारत की तैयारी: राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन
भारत ने 2025 में राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) शुरू किया ताकि देश में इन खनिजों की खोज को बढ़ावा दिया जा सके और आयात पर निर्भरता घटाई जा सके। इसका उद्देश्य रणनीतिक खनिजों की आपूर्ति को सुरक्षित बनाना है।
SCO की संरचना और महत्व
SCO की स्थापना 2001 में शंघाई फाइव से हुई थी। वर्तमान में इसमें 10 सदस्य देश शामिल हैं – जैसे भारत, चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान। इसका उद्देश्य विश्वास, समानता, पारस्परिक लाभ और सहमति के सिद्धांतों पर आधारित है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा | 23 वर्षों बाद, भूमध्यसागर में रणनीतिक साझेदारी |
SCO की स्थापना | 2001 |
SCO सदस्य देश | 10 (भारत, चीन, रूस, ईरान, पाकिस्तान आदि) |
SCO का वैश्विक GDP योगदान | 30% |
SCO की वैश्विक जनसंख्या हिस्सेदारी | 40% |
भारत का REE रैंक | 5वां सबसे बड़ा भंडार |
प्रमुख भारतीय मिशन | राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (2025) |
नवाचार प्रयास | SCO युवा वैज्ञानिक सम्मेलन, स्टार्टअप समूह |
INSTC | व्यापार संपर्क को बढ़ावा देने वाला मार्ग |
SCO के मूल्य | विश्वास, समानता, परामर्श, लाभ |