उत्सव के माध्यम से इतिहास को सम्मान
पांगसाऊ पास अंतरराष्ट्रीय महोत्सव (PPIF) पूर्वोत्तर भारत का एक विशिष्ट और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध आयोजन बनकर उभरा है। अरुणाचल प्रदेश के नामपोंग में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह महोत्सव 2025 में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के साथ मेल खा रहा है। उत्सव में जहां जीवंत संगीत, जनजातीय नृत्य और हस्तशिल्प प्रदर्शित होते हैं, वहीं यह ऐतिहासिक स्टिलवेल रोड को भी श्रद्धांजलि देता है, जो कभी मित्र देशों के युद्ध प्रयासों में महत्वपूर्ण थी।
सामरिक महत्व का द्वार
3,727 फीट की ऊंचाई पर स्थित पांगसाऊ पास भारत और म्यांमार के बीच एक प्राकृतिक गलियारे के रूप में कार्य करता है, जो अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले को म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र से जोड़ता है। ऐतिहासिक रूप से “हेल पास” के नाम से कुख्यात यह मार्ग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन को जापानी आक्रमण से बचाने हेतु बनाए गए लेडो (स्टिलवेल) रोड का एक प्रमुख हिस्सा था।
पहाड़ियों में युद्ध की गूंज
यह सड़क असम के लेडो से शुरू होकर सघन पटकै पहाड़ियों से होकर पांगसाऊ पास को पार करते हुए चीन के कुनमिंग तक जाती है। आज यह क्षेत्र जैरामपुर युद्ध कब्रिस्तान जैसे स्मारकों से सुशोभित है, जहां 1,000 से अधिक मित्र देशों के सैनिकों की कब्रें हैं। इसके अतिरिक्त, एक संरक्षित द्वितीय विश्व युद्ध का टैंक भी यहां रखा गया है—जो अतीत के बलिदान की मूक लेकिन शक्तिशाली याद दिलाता है।
सीमापार सांस्कृतिक समन्वय
साल 2007 में शुरू हुआ यह महोत्सव भारत-म्यांमार मित्रता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है। इसमें तांगसा युद्ध नृत्य, बांस नृत्य और बिहू जैसे पारंपरिक जनजातीय प्रस्तुतियाँ होती हैं, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती हैं। म्यांमार से आए कलाकारों की भागीदारी इस महोत्सव को सीमापार सौहार्द का उत्सव बना देती है।
अतीत को संजोते हुए भविष्य का निर्माण
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू इस क्षेत्र को विरासत पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए कई योजनाएँ ला रहे हैं। इनमें युद्धकालीन संरचनाओं को संरक्षित करना, युद्ध स्मृति चिन्हों की मरम्मत और सड़क नेटवर्क का विकास शामिल है। ये प्रयास पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएंगे।
खुली सीमाओं का प्रतीक
इस महोत्सव की सबसे खास विशेषताओं में से एक है म्यांमार में अस्थायी वीज़ा-मुक्त प्रवेश की सुविधा। यह सद्भावना का एक ऐसा उदाहरण है जो सीमापार समुदायों को जोड़ता है और जन-संपर्क को प्रोत्साहित करता है। 2025 में 150 से अधिक म्यांमार प्रतिनिधियों ने इस उत्सव में भाग लिया, जिससे यह आयोजन क्षेत्रीय सहयोग और सौम्य कूटनीति का प्रतीक बन गया।
Static GK Snapshot
विशेषता | विवरण |
महोत्सव स्थल | नामपोंग, चांगलांग जिला, अरुणाचल प्रदेश |
पांगसाऊ पास की ऊँचाई | 3,727 फीट (1,136 मीटर) |
ऐतिहासिक सड़क | स्टिलवेल रोड (लेडो-कुनमिंग मार्ग) |
महोत्सव की शुरुआत | 2007 |
प्रमुख स्मारक | जैरामपुर युद्ध कब्रिस्तान |
भौगोलिक क्षेत्र | पटकै पहाड़ियाँ |
समीपस्थ म्यांमार गाँव | पांगसाऊ (सगाइंग क्षेत्र) |