हिरासत उत्पीड़न पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश
पाँचवें तमिलनाडु पुलिस आयोग ने पुलिस हिरासत में उत्पीड़न और मौतों पर गहरी चिंता जताई है और दुर्व्यवहार के सभी मामलों में कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। आयोग ने कहा कि शब्दों से मारने, झूठे केस दर्ज करने, पक्षपातपूर्ण जांच और कानूनों के चयनात्मक इस्तेमाल जैसे मामलों में भीतरूनी जांच और दंडात्मक कार्रवाई अनिवार्य होनी चाहिए।
मानवतावादी पुलिसिंग पर ज़ोर
आयोग ने हिरासत में रखे गए व्यक्तियों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दी है। खासकर महिलाएं, बच्चे, बीमार व्यक्ति और नशे की हालत में लाए गए लोगों को पुलिस थानों में हिरासत में न लेने की सिफारिश की गई है, क्योंकि ये वर्ग अधिक संवेदनशील और शोषण के खतरे में होते हैं।
Static GK जानकारी: 2014 के Arnesh Kumar बनाम बिहार राज्य केस में सुप्रीम कोर्ट ने CrPC की धारा 41A के तहत अनावश्यक गिरफ्तारी से बचने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट दिशानिर्देशों का पालन अनिवार्य
आयोग ने Arnesh Kumar गाइडलाइन्स को सख्ती से लागू करने की सिफारिश की है, जिससे बिना ज़रूरत की गिरफ्तारी को रोका जा सके। पुलिस को अब उन मामलों में गिरफ्तारी का कारण दर्ज करना आवश्यक होगा जो 7 साल से कम सज़ा वाले अपराध हों।
यह कदम अनियंत्रित पुलिस शक्ति पर लगाम लगाएगा और हिरासत में मौतों को कम करेगा।
चिकित्सकीय जांच अब अनिवार्य
आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि हर हिरासत में लिए गए व्यक्ति की अनिवार्य चिकित्सकीय जांच होनी चाहिए। यदि रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या सामने आए तो उसे अस्पताल में भर्ती कराना या हिरासत से इनकार करना आवश्यक होगा।
यह पारदर्शिता बढ़ाता है और शारीरिक यातना को हतोत्साहित करता है।
हिरासत निगरानी में सुधार
प्रत्येक हिरासत में लिए गए व्यक्ति पर पर्याप्त पुलिस स्टाफ की निगरानी होनी चाहिए — यह भी एक प्रमुख सिफारिश रही। इससे थानों में बिना निगरानी के उत्पीड़न की घटनाओं को रोका जा सकता है।
Static GK टिप: तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) राज्य में हिरासत में मृत्यु और मानवाधिकार उल्लंघन पर निगरानी रखने वाली मुख्य संस्था है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
आयोग का नाम | पाँचवां तमिलनाडु पुलिस आयोग |
प्रमुख मुद्दा | हिरासत उत्पीड़न और थानों में मौतें |
सुप्रीम कोर्ट केस | Arnesh Kumar बनाम बिहार राज्य (2014) |
सुधार का फोकस | पुलिस जवाबदेही, मानवीय हिरासत |
संवेदनशील समूह | महिलाएं, बच्चे, बीमार और नशे में व्यक्ति |
चिकित्सकीय प्रक्रिया | हर हिरासती व्यक्ति की अनिवार्य जांच |
सुधार तंत्र | आंतरिक जांच और शीघ्र अनुशासनात्मक कार्रवाई |
निगरानी व्यवस्था | पर्याप्त स्टाफ द्वारा हिरासत निगरानी |
राज्य मानवाधिकार संस्था | तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) |
कानूनी संदर्भ | CrPC की धारा 41A – गैर-ज़रूरी गिरफ्तारी रोकने का प्रावधान |