नदीय इलाकों में युद्ध क्षमता की परख
मई 2025 में, भारतीय सेना ने पश्चिम बंगाल के तीस्ता फील्ड फायरिंग रेंज में ‘एक्सरसाइज तीस्ता प्रहार’ शुरू की। यह अभ्यास सेना की दुर्गम नदीय भूभाग में युद्ध और सहायता अभियानों की क्षमता को परखने के लिए आयोजित किया गया। यह केवल एक सैन्य अभ्यास नहीं था, बल्कि भारत की बढ़ती सैन्य परिपक्वता और विभिन्न शाखाओं के एकीकृत संचालन का प्रदर्शन भी था।
सभी सैन्य इकाइयों की समन्वित भागीदारी
तीस्ता प्रहार को खास बनाने वाला पहलू था इसकी अंतर–शाखीय भागीदारी। पैदल सेना, बख्तरबंद टुकड़ियाँ, तोपखाना, मशीनीकृत पैदल सेना, आर्मी एविएशन, इंजीनियर और सिग्नल इकाइयाँ—सभी ने संयुक्त रूप से भाग लिया। वास्तविक युद्ध जैसे हालात में सभी इकाइयों की एकीकृत क्षमता को परखा गया, ताकि हर परिस्थिति में संयुक्त संचालन (Jointness) सुनिश्चित किया जा सके।
गतिशीलता, तकनीक और आधुनिक युद्धनीति
इस अभ्यास में बलों को जल्द मूवमेंट और रणनीतिक गति पर प्रशिक्षित किया गया, खासकर नदी, ढलानों और घने जंगलों वाले इलाकों में। इसमें ड्रोन सर्विलांस, एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन, और स्मार्ट हथियार प्रणालियाँ भी शामिल थीं। इससे पता चलता है कि भारतीय सेना अब केवल पारंपरिक बल नहीं, बल्कि डिजिटल क्षमता और सूचनात्मक गति के साथ आगे बढ़ रही है।
सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में रणनीतिक कदम
इस अभ्यास के जरिए सेना ने नई तकनीक आधारित हथियारों और संचार उपकरणों की भी परीक्षा की। अत्याधुनिक बंदूकें, डिजिटल ट्रांसपोर्ट सिस्टम और फील्ड कम्युनिकेशन सिस्टम इस परीक्षण का हिस्सा थे। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी सैनिकों ने तेज निर्णय लेने और सटीक क्रियान्वयन की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
अंतर-शाखीय तालमेल को मज़बूत बनाना
यह अभ्यास हाल ही में हुए सेना–वायुसेना संयुक्त अभियानों के बाद आया है, जो यह संकेत देता है कि भारत अब एकीकृत रक्षा बल की ओर तेजी से बढ़ रहा है। आज की बदलती युद्ध प्रणाली जिसमें साइबर हमले और हाइब्रिड युद्ध भी शामिल हैं, के लिए ऐसी रणनीतियाँ अनिवार्य हो गई हैं। तीस्ता प्रहार की सफलता ने भारत की इस तैयारी को मजबूती से दर्शाया है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
अभ्यास का नाम | एक्सरसाइज तीस्ता प्रहार |
आयोजित करने वाली इकाई | भारतीय थलसेना |
स्थान | तीस्ता फील्ड फायरिंग रेंज, पश्चिम बंगाल |
तिथि | मई 2025 |
मुख्य ध्यान | नदीय भूभाग, संयुक्तता, तकनीकी युद्ध |
भाग लेने वाली इकाइयाँ | पैदल सेना, बख्तरबंद, तोपखाना, इंजीनियर, एविएशन |
आधुनिकीकरण पहल | अगली पीढ़ी के हथियार, डिजिटल संचार |
संयुक्त अभियान का सन्दर्भ | सेना-वायुसेना एकीकरण रणनीति का हिस्सा |
रणनीतिक महत्व | हाइब्रिड युद्ध तैयारी, अभियान समन्वय |