पटना की ट्रैफिक समस्या के लिए नई जीवनरेखा
पटना वॉटर मेट्रो परियोजना को 28 जून 2025 को केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने घोषित किया। इसमें गंगा नदी पर इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड नौकाओं के जरिए तेज और पर्यावरण अनुकूल सार्वजनिक परिवहन की शुरुआत की जाएगी। यह परियोजना कोच्चि वॉटर मेट्रो की सफलता से प्रेरित है, जिसने 2023 में भारत का पहला जल-आधारित मेट्रो नेटवर्क बनकर 40 लाख से अधिक यात्रियों को सेवाएं दीं।
पटना को क्यों चाहिए वॉटर मेट्रो
पटना में वाहन घनत्व अधिक है और सड़क विस्तार की संभावना सीमित है, विशेषकर पूर्व-पश्चिम दिशा में गंगा के समानांतर क्षेत्र में। भौगोलिक बाधाएं और बढ़ती जनसंख्या के चलते पारंपरिक यातायात साधनों की सीमाएं स्पष्ट हो गई हैं।
Static GK तथ्य: पटना, राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (Allahabad to Haldia) पर स्थित है, जिससे यह अंतर्देशीय जल परिवहन के लिए उपयुक्त स्थान बनता है।
परियोजना की योजना और विकास
भारत अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड (KMRL) को प्रायोगिक अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया है। प्राथमिक सर्वेक्षणों में घाटों पर यात्री मांग, जलगहराई, और टर्मिनल बिंदुओं का विश्लेषण किया गया है।
फेज़–वार कार्यान्वयन में फ्लोटिंग टर्मिनल, रूट डिज़ाइन, और यात्री पहुंच सुविधाओं की योजना शामिल है।
क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियां
तटीय कटाव, गाद जमाव और जल स्तर में मौसमी परिवर्तन नौका संचालन के लिए चुनौती हैं। वर्तमान में पटना में जो फेरी सेवाएं हैं, वे अनियमित और असुरक्षित हैं। उन्हें आधुनिक बनाना कई एजेंसियों के समन्वय, नियामक ढांचे और सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता रखता है।
Static GK टिप: IWAI की स्थापना 1986 में Inland Waterways Authority of India Act के तहत हुई थी।
पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ
इलेक्ट्रिक फेरी के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और पटना की वायु प्रदूषण की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही, अधिक लोग जलमार्ग अपनाएंगे तो सड़क यातायात पर दबाव घटेगा। यह परियोजना पर्यटन, रोजगार और नदी किनारे के विकास को भी गति दे सकती है।
मौजूदा परिवहन नेटवर्क से एकीकरण
पटना वॉटर मेट्रो को आगामी पटना रेल मेट्रो से जोड़ा जाएगा। प्रमुख घाटों के पास मल्टी–मोडल हब बनाए जाएंगे ताकि यात्री रेल, सड़क और जल मार्ग के बीच आसानी से स्थानांतरित हो सकें।
Static GK तथ्य: पटना, दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक है, जो गंगा नदी के किनारे स्थित प्राचीन पाटलिपुत्र का आधुनिक रूप है।
राष्ट्रीय नीति का समर्थन
यह परियोजना जल मार्ग विकास परियोजना (Jal Marg Vikas Project) के साथ मेल खाती है, जो राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के आधारभूत ढांचे को सुधारने की केंद्र सरकार की पहल है। वॉटर मेट्रो को राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति का समर्थन प्राप्त है, जो सतत शहरी गतिशीलता को बढ़ावा देती है।
Static Usthadian Current Affairs Table (Hindi)
विषय | विवरण |
परियोजना घोषणा | 28 जून 2025 – सर्बानंद सोनोवाल |
क्रियान्वयन एजेंसी | कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड (KMRL) |
सर्वेक्षण प्राधिकरण | भारत अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) |
प्रयुक्त नदी | गंगा (राष्ट्रीय जलमार्ग-1) |
मॉडल परियोजना | कोच्चि वॉटर मेट्रो |
पर्यावरणीय प्रभाव | इलेक्ट्रिक फेरी से उत्सर्जन में कमी |
प्रमुख चुनौती | गाद जमाव, अनियमित सेवाएं |
राष्ट्रीय योजना से संबंध | जल मार्ग विकास परियोजना के अंतर्गत |
यात्री आंकड़े संदर्भ | कोच्चि वॉटर मेट्रो – 40 लाख यात्री |
एकीकरण योजना | पटना रेल मेट्रो से जोड़ा जाएगा |