अध्ययन निष्कर्षों ने उजागर की विषैली सच्चाई
पंजाबी विश्वविद्यालय और थापर विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से किए गए संयुक्त अध्ययन में, घग्गर नदी की जल निकासी नालियों में भारी धातु प्रदूषण के गंभीर प्रमाण पाए गए। अक्टूबर 2017 से जुलाई 2018 के बीच किए गए इस अध्ययन ने प्रदूषण के उच्च स्तर और कैंसर के मामलों में वृद्धि के बीच संबंध स्थापित किया, विशेष रूप से सिरहिंद चोए, बड़ी नदी और ढाकनशू ड्रेन के पास।
विषैली धातुओं की उच्च सांद्रता
जल के नमूनों में कैडमियम, सीसा और निकल की अत्यधिक मात्रा पाई गई, जो सभी WHO द्वारा मानव कार्सिनोजेन (कैंसरकारक) के रूप में सूचीबद्ध हैं। इनकी सांद्रता CPCB के सुरक्षा मानकों से ऊपर पाई गई, विशेष रूप से मानसून के मौसम में। इसका कारण कृषि अपवाह और उपचारहीन नगर व औद्योगिक कचरे का अनियंत्रित प्रवाह बताया गया।
स्वास्थ्य जोखिम और कैंसर प्रभाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कैडमियम, सीसा और निकल मानव कैंसरकारक हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि सीसे का खतरा सूचकांक 1 से ऊपर था, जो गैर–कैंसरजनक स्वास्थ्य जोखिम को दर्शाता है। दूषित पानी का पेयजल, खाना पकाने और घरेलू उपयोग के रूप में उपयोग होने से लंबे समय में अंग विफलता और कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सबसे अधिक प्रभावित समूह: बच्चे और संवेदनशील आबादी
अध्ययन में बच्चों को सबसे अधिक जोखिमग्रस्त समूह के रूप में पहचाना गया, क्योंकि उनके शरीर में धातुओं के अवशोषण की दर अधिक होती है। सभी तीन धातुओं के लिए कार्सिनोजेनिक जोखिम स्तर अमेरिका की स्वास्थ्य सुरक्षा सीमाओं से अधिक थे, जिससे ग्रामीण और अर्ध–शहरी क्षेत्रों के लिए सुरक्षा उपायों की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
पर्यावरणीय और भूजल क्षरण
बिना नियंत्रण के यह प्रदूषण न केवल भूजल की गुणवत्ता को बिगाड़ रहा है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को भी नुकसान पहुंचा रहा है। नियमित निगरानी की कमी और पर्यावरण कानूनों के कमजोर कार्यान्वयन ने इस संकट को और भी गहरा बना दिया है। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय क्षति और व्यापक स्वास्थ्य आपातकाल में बदल सकता है।
नीति और विनियमन में सुधार की आवश्यकता
अध्ययन ने सरकार से आग्रह किया कि वह तत्काल निम्नलिखित कदम उठाए:
- मौसमी आधार पर भारी धातु की निगरानी
- उत्सर्जन नियंत्रण कानूनों का सख्त प्रवर्तन
- जनजागरूकता अभियानों का संचालन
- जल उपचार संयंत्रों का निर्माण
- प्रदूषण ट्रैकिंग के लिए रीयल–टाइम सिस्टम की स्थापना
STATIC GK SNAPSHOT
विवरण | तथ्य |
अध्ययन द्वारा संचालित | पंजाबी विश्वविद्यालय और थापर विश्वविद्यालय |
सहयोगी संस्था | भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) |
अध्ययन अवधि | अक्टूबर 2017 – जुलाई 2018 |
फोकस क्षेत्र | घग्गर नदी की ड्रेनेज नालियाँ, पंजाब |
प्रमुख प्रदूषक तत्व | कैडमियम, सीसा, निकल |
WHO वर्गीकरण | सभी को मानव कार्सिनोजेन के रूप में मान्यता प्राप्त |
उच्च जोखिम वाले क्षेत्र | सिरहिंद चोए, बड़ी नदी, ढाकनशू ड्रेन |
संवेदनशील समूह | बच्चे |
अनुशंसित कार्रवाई | बेहतर जल गुणवत्ता निगरानी, सख्त निर्वहन मानदंडों का पालन |