कपास की खेती फिर से जोर पकड़ रही है
पंजाब में वर्ष 2025 में कपास की खेती ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जिसमें कुल 2.98 लाख एकड़ भूमि पर कपास बोया गया है। 2024 में यह आंकड़ा 2.49 लाख एकड़ था, जिससे लगभग 20% की वृद्धि यानी 49,000 एकड़ की बढ़ोतरी हुई है। यह बदलाव फसल विविधीकरण नीति के तहत हुआ है, जो किसानों को पानी-बहुल धान से दूर करने का प्रयास है।
फाजिल्का, मानसा, बठिंडा और श्री मुक्तसर साहिब जैसे जिले जहां पहले कपास की भरपूर खेती होती थी, अब दोबारा इस पर लौट रहे हैं। कीट हमलों और लागत बढ़ने से कपास की खेती पिछड़ गई थी, लेकिन अब सरकार के प्रयासों से यह क्षेत्र पुनर्जीवित हो रहा है।
बीज सब्सिडी ने बढ़ाया रुझान
कपास बीजों पर 33% की सब्सिडी ने किसानों को फिर से कपास की ओर आकर्षित किया है। इससे खेती की लागत में कमी आई है और किसान ज्यादा आत्मविश्वास से इस दिशा में कदम उठा रहे हैं। ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली से इस योजना को पारदर्शी और सुलभ बनाया गया है, जिसमें अब तक 49,000 से अधिक किसान शामिल हो चुके हैं। पंजीकरण की अंतिम तिथि 15 जून 2025 है।
डिजिटल तकनीक से खेती को नया रूप
प्रमुख कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिलों में 100% किसानों का पंजीकरण सुनिश्चित करें। इससे बीज वितरण, सब्सिडी प्रबंधन और निगरानी प्रणाली अधिक सटीक और प्रभावी हो रही है। यह बिचौलियों की भूमिका को खत्म करता है और सरकारी लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाता है।
धान से हटकर कपास की ओर क्यों?
पंजाब में पारंपरिक रूप से धान की खेती हावी रही है, लेकिन इससे भूजल स्तर तेजी से घटा है। वहीं कपास की खेती में अपेक्षाकृत कम पानी लगता है, जिससे यह पर्यावरण के लिहाज से अधिक टिकाऊ विकल्प बन गया है। यह पहल पूर्व-हरित क्रांति काल की कपास-प्रधान अर्थव्यवस्था को फिर से स्थापित करने का संकेत भी देती है।
सरकार के प्रयास रंग ला रहे हैं
फसल विविधीकरण, बीज सब्सिडी, और डिजिटल पहल जैसे कदम पंजाब को स्थायी कृषि की दिशा में ले जा रहे हैं। अब कपास जोखिम वाली फसल नहीं, बल्कि योजना-बद्ध खेती का हिस्सा बन चुकी है।
Static Usthadian Current Affairs Table
सारांश | विवरण |
कुल कपास क्षेत्र (2025) | 2.98 लाख एकड़ |
कुल कपास क्षेत्र (2024) | 2.49 लाख एकड़ |
वृद्धि | 49,000 एकड़ (लगभग 20%) |
प्रमुख उत्पादक जिले | फाजिल्का, मानसा, बठिंडा, श्री मुक्तसर साहिब |
सरकारी सब्सिडी | कपास बीजों पर 33% |
पंजीकरण की अंतिम तिथि | 15 जून 2025 |
अब तक पंजीकृत किसान | 49,000+ |
फसल विविधीकरण लक्ष्य | धान पर निर्भरता कम करना |
कृषि में डिजिटल बदलाव | कपास खेती हेतु ऑनलाइन पंजीकरण |
ऐतिहासिक रैंकिंग | भारत – विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक |