स्थानीय नेतृत्व और राष्ट्रीय शासन के बीच सेतु का निर्माण
जनवरी 2025 में, लोकसभा अध्यक्ष ने पंचायत से संसद 2.0 का उद्घाटन किया — यह एक राष्ट्रीय पहल है जिसका उद्देश्य चुनी गई आदिवासी महिला प्रतिनिधियों को नेतृत्व कौशल, कानूनी जानकारी और संसदीय प्रक्रियाओं से परिचित कराना है। इस कार्यक्रम में 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 502 अनुसूचित जनजाति (ST) की महिला प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिससे यह पहल लोकतंत्र को अधिक समावेशी और प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बन गई।
पंचायत से संसद क्या है?
पंचायत से संसद का अर्थ है “ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक”। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है:
- महिला नेताओं को संवैधानिक सिद्धांतों और शासन प्रणाली की जानकारी देना
• सांसदों और संसदीय संस्थाओं से संवाद का अवसर प्रदान करना
• ST महिलाओं को उच्च स्तर के चुनावों में भाग लेने के लिए तैयार करना
अब अपने दूसरे संस्करण में, यह 2.0 संस्करण विशेष रूप से ST महिलाओं पर केंद्रित है, जो लैंगिक असमानता और भौगोलिक अलगाव की दोहरी चुनौती का सामना करती हैं।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियाँ: नेतृत्व की दिशा में प्रशिक्षण
दिल्ली में आयोजित इस सप्ताहव्यापी कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने भाग लिया:
- संसद भवन के भ्रमण में
• नकली संसद बहस और विधेयक अभ्यास में
• संविधान, पेशा अधिनियम, सूचना का अधिकार (RTI), और 73वें संशोधन पर कार्यशालाओं में
• जन वक्तृत्व कला, डिजिटल उपकरणों और शासन साक्षरता पर प्रशिक्षण में
• सांसदों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकों में
इसका उद्देश्य था कि प्रतिभागी आत्मविश्वास, जागरूकता और राज्य व राष्ट्रीय स्तर के शासन में भागीदारी की क्षमता प्राप्त करें।
आदिवासी महिलाओं पर विशेष ध्यान क्यों?
अनुसूचित जनजातियाँ भारत की कुल जनसंख्या का 8.6% हैं, लेकिन उनका राष्ट्रीय नीति निर्माण में बहुत कम प्रतिनिधित्व है। पंचायतों में चुने जाने के बावजूद, कई आदिवासी महिलाएं:
- पितृसत्तात्मक प्रतिरोध का सामना करती हैं
• प्रशिक्षण और नेटवर्क तक पहुंच से वंचित हैं
• कानूनी और नीतिगत औजारों से अनभिज्ञ रहती हैं
यह पहल इस खाई को भरने का कार्य करती है, जिससे उन्हें प्रशिक्षण, परामर्श और सशक्तिकरण प्राप्त होता है।
स्थैतिक जीके स्नैपशॉट – परीक्षा हेतु
विषय | विवरण |
कार्यक्रम का नाम | पंचायत से संसद 2.0 |
प्रारंभकर्ता | लोकसभा अध्यक्ष |
प्रतिभागी | 502 अनुसूचित जनजाति (ST) महिला प्रतिनिधि |
कवरेज | 22 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश |
पंचायती राज की स्थापना | 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 |
पेशा अधिनियम | 1996 (अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय अधिकारों की रक्षा) |
फोकस क्षेत्र | संविधान साक्षरता, संसदीय परिचय, नेतृत्व विकास |
उद्देश्य | ST समूहों की महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को सशक्त बनाना |