भारत की अर्थव्यवस्था के लिए क्यों है यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र, भारत की अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन, निर्यात प्रवाह, और जीडीपी में लगभग 30% योगदान के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने “Institute for Competitiveness” के साथ मिलकर 2 मई 2025 को “Enhancing Competitiveness of MSMEs in India” रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब एमएसएमई क्षेत्र क्रेडिट पहुंच, कौशल अंतराल और प्रौद्योगिकी उपयोग में चुनौतियों का सामना कर रहा है।
रिपोर्ट के प्रमुख लक्ष्य
यह रिपोर्ट एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता को बाधित करने वाले ढाँचागत मुद्दों की पहचान करके समाधान प्रस्तुत करती है। क्रेडिट की कमी, व्यावसायिक प्रशिक्षण की न्यूनता, बाज़ार संपर्क में बाधा, और तकनीकी प्रगति की धीमी गति जैसे मुद्दों को संबोधित कर, यह रिपोर्ट भारतीय एमएसएमई को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ाती है। रिपोर्ट, एमएसएमई क्षेत्र को आर्थिक परिवर्तन का इंजन मानती है।
क्रेडिट गैप और वित्तीय समावेशन पर फोकस
हालांकि 2020 से 2024 के बीच, सूक्ष्म और लघु उद्यमों में औपचारिक क्रेडिट पहुँच 14% से 20% और मध्यम उद्यमों में 4% से 9% तक बढ़ी है, फिर भी केवल 19% एमएसएमई क्रेडिट मांग ही पूरी होती है। रिपोर्ट में सुझाव है कि क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) को और लचीला व समावेशी बनाया जाए, खासकर कम सेवा वाले क्षेत्रों की सूक्ष्म इकाइयों के लिए।
कौशल विकास और श्रम उत्पादकता
रिपोर्ट में यह दर्शाया गया है कि एमएसएमई कर्मियों में औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण की भारी कमी है, जो उत्पादकता और नवाचार में बाधा बनती है। इसमें तकनीकी प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं विकास क्षमता, और नवाचार संस्कृति को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है। मानव पूंजी में निवेश करके, भारत एक ऐसा एमएसएमई तंत्र बना सकता है जो राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने योग्य हो।
प्रौद्योगिकी पहुँच और बाज़ार एकीकरण
कई एमएसएमई अभी भी कमजोर डिजिटल बुनियादी ढांचे, उच्च लागत, और जागरूकता की कमी जैसी बाधाओं के कारण तकनीकी उन्नयन में पिछड़ रहे हैं। रिपोर्ट राज्य–स्तरीय तकनीकी सहायता, डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण, विशेषकर पूर्वोत्तर भारत और पूर्वी राज्यों में बढ़ाने की सिफारिश करती है। इसके अलावा, लॉजिस्टिक भागीदारी, डायरेक्ट–टू–मार्केट प्लेटफॉर्म, और डिजिटल मार्केटिंग प्रशिक्षण के माध्यम से निर्यात और ऑनलाइन उपस्थिति बढ़ाने की रणनीति प्रस्तावित की गई है।
Static GK परीक्षा-संक्षेप सारणी
विषय | विवरण |
रिपोर्ट शीर्षक | Enhancing Competitiveness of MSMEs in India |
जारी करने वाला संस्थान | नीति आयोग एवं Institute for Competitiveness (IFC) |
प्रकाशन तिथि | 2 मई 2025 |
प्रमुख फोकस क्षेत्र | क्रेडिट, कौशल विकास, तकनीक, बाज़ार पहुँच, नीति सुधार |
क्रेडिट सुधार सिफारिश | CGTMSE का पुनर्गठन |
कौशल पर बल | व्यावसायिक प्रशिक्षण, R&D, नवाचार क्षमता |
तकनीकी प्रस्ताव | डिजिटल उपकरणों, इंटरनेट, अधोसंरचना में सुधार |
बाज़ार पहुँच रणनीति | डिजिटल मार्केटिंग, लॉजिस्टिक्स सहयोग, वैश्विक संपर्क |
नीति मॉडल | क्लस्टर आधारित, राज्य स्तर पर अनुकूल नीति |