नवजात जांच से बदलती स्वास्थ्य स्थिति
सिकल सेल रोग (SCD) से लड़ने के लिए भारत ने हाल के वर्षों में कई ठोस कदम उठाए हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां यह बीमारी सबसे अधिक पाई जाती है। वर्ष 2019 से 2024 के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने देश के सात प्रमुख केंद्रों में 63,000 से अधिक नवजातों की जांच की। परिणामों से पता चला कि 11.4% बच्चे वाहक थे और 0.9% को सिकल सेल रोग था। इससे यह स्पष्ट होता है कि जल्दी पहचान और उपचार जीवन बचा सकता है।
शीघ्र निदान क्यों जरूरी है?
सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक बीमारी है जो जन्म के समय से ही होती है। यदि इसका समय रहते पता न चले, तो यह बच्चों में गंभीर एनीमिया, संक्रमण, और यहां तक कि स्ट्रोक जैसी जटिलताएं पैदा कर सकती है। जन्म के तुरंत बाद स्क्रीनिंग से चिकित्सक शीघ्र उपचार शुरू कर सकते हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि जल्दी हस्तक्षेप से मृत्यु दर 20–30% से घटकर 5% से कम हो गई।
पहचान के बाद भी जारी रहा उपचार
जिन नवजातों में रोग की पुष्टि हुई, उन्हें केवल चिन्हित ही नहीं किया गया, बल्कि उन्हें समग्र देखभाल भी दी गई। डॉक्टरों ने पेनिसिलिन, फोलिक एसिड, और हाइड्रॉक्सी यूरिया थेरेपी दी, जिससे रोग की गंभीरता कम हुई और अस्पताल में भर्ती होने की घटनाएं भी घट गईं।
परिवारों को ज्ञान से सशक्त बनाना
इस कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा था आनुवंशिक परामर्श (Genetic Counselling)। जब माता-पिता यह समझते हैं कि सिकल सेल रोग क्या है, तो वे भविष्य के लिए बेहतर तैयारी कर पाते हैं। काउंसलर्स ने उन्हें यह बताया कि आगे की गर्भधारण में क्या खतरे हो सकते हैं, कौन-से लक्षण देखने चाहिए, और रोग प्रबंधन कैसे किया जाए — विशेषकर आदिवासी समुदायों में जहां जागरूकता अब भी सीमित है।
क्षेत्रीय असमानताएं और आगे की राह
अध्ययन से यह भी सामने आया कि एससीडी की दर राज्यों में अलग–अलग है। कुछ आदिवासी क्षेत्रों में वाहक दर काफी ऊंची थी, जबकि अन्य में कम। यह जानकारी स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा तय करने में सहायक बनती है। हालांकि, बुनियादी ढांचे और जागरूकता की कमी अब भी चुनौती बनी हुई है।
भविष्य की दिशा
यह अध्ययन सफलता की शुरुआत भर है। भारत को ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्क्रीनिंग का दायरा बढ़ाना होगा। यदि जनस्वास्थ्य, शिक्षा और उपचार तक पहुंच में निवेश जारी रखा जाए, तो भारत सिकल सेल रोग का बोझ काफी हद तक कम कर सकता है।
Static GK Snapshot (हिंदी में)
विषय | विवरण |
अध्ययन किसने किया | भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) |
अध्ययन वर्ष | 2019 से 2024 |
जांचे गए नवजात | 63,000 से अधिक |
वाहक दर | 11.4% |
रोग दर | 0.9% |
उच्च प्रचलन वाले राज्य | महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश |
दिए गए उपचार | पेनिसिलिन, फोलिक एसिड, हाइड्रॉक्सी यूरिया |
मृत्यु दर में गिरावट | 20–30% से घटकर 5% से कम |
शुरू की गई योजना | राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (2023) |
स्क्रीनिंग का महत्व | बच्चों में गंभीर जटिलताओं की रोकथाम |