नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव क्यों हो रहा है?
भारत में अब मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों (ECs) की नियुक्ति के लिए एक नई प्रणाली लागू की जा रही है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की कोशिश की जा रही है। अब तक, इन पदों पर नियुक्ति पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में थी। लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्त (सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2023 के लागू होने से नई प्रक्रिया अपनाई जाएगी — ठीक उस समय जब वर्तमान CEC राजीव कुमार 18 फरवरी 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
अब वरिष्ठतम चुनाव आयुक्त को स्वतः पदोन्नति नहीं मिलेगी। इसके बजाय, एक खोज समिति और चयन समिति उपयुक्त नामों को शॉर्टलिस्ट कर अंतिम चयन करेगी। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता बढ़ने की संभावना है, पर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कार्यपालिका का प्रभाव और बढ़ सकता है।
नई प्रणाली कैसे काम करती है?
2023 के नए कानून के अनुसार, नियुक्ति प्रक्रिया की शुरुआत विधि मंत्री की अध्यक्षता वाली खोज समिति से होगी, जो पाँच नामों को शॉर्टलिस्ट करेगी। ये नाम सिविल सेवकों, कानूनी विशेषज्ञों या किसी अन्य योग्य व्यक्ति के हो सकते हैं — केवल वर्तमान EC तक सीमित नहीं हैं।
इसके बाद, चयन समिति अंतिम निर्णय लेगी, जिसमें होंगे:
- प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
- एक केंद्रीय मंत्री (प्रधानमंत्री द्वारा नामित)
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
पहले केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की जाती थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में सिफारिश की थी कि चयन समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल किया जाए — जिससे निष्पक्षता बनी रहे। लेकिन इस सुझाव को अंतिम कानून में शामिल नहीं किया गया, जिससे न्यायिक संतुलन पर सवाल उठे हैं।
क्यों बढ़ रहा है विवाद?
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 के अपने फैसले में यह सवाल उठाया था कि सिर्फ कार्यपालिका को नियुक्ति का अधिकार क्यों होना चाहिए। न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए चयन में विभिन्न दृष्टिकोण होने चाहिए।
विपक्ष के नेता को शामिल करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन मुख्य न्यायाधीश को बाहर रखना कई विशेषज्ञों और पूर्व CEC ओ.पी. रावत जैसे अधिकारियों को चिंतित कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह नया कानून सरकार को “अनुकूल चेहरे” नियुक्त करने की छूट दे सकता है, जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह पैदा हो सकता है।
वर्ष 2025 में क्या दांव पर है?
राजीव कुमार की सेवानिवृत्ति (18 फरवरी 2025) के साथ यह नया कानून पहली बार व्यवहार में लागू होगा। क्या सरकार वरिष्ठतम EC ज्ञानेश कुमार को पदोन्नति देगी? या फिर बाहरी उम्मीदवार को चुनेगी?
जो भी फैसला होगा, वह भविष्य के लिए एक मिसाल बनेगा। यदि नियुक्ति में पक्षपात या राजनीतिक प्रभाव दिखा, तो आयोग की साख पर चोट लग सकती है। लेकिन अगर प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी रही, तो यह चुनावी प्रशासन में एक नई शुरुआत बन सकती है।
स्थैतिक जीके स्नैपशॉट – परीक्षा हेतु
विषय | विवरण |
नए कानून का नाम | मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्त (सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2023 |
वर्तमान CEC | राजीव कुमार (सेवानिवृत्ति: 18 फरवरी 2025) |
चयन समिति में कौन-कौन | प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री (नामित), लोकसभा में विपक्ष के नेता |
खोज समिति के अध्यक्ष | विधि मंत्री |
सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश | मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने की (अस्वीकृत) |
पहले नियुक्ति कैसे होती थी | प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा |
नए उम्मीदवार कौन हो सकते हैं | EC सहित बाहर से भी योग्य व्यक्ति |