ग्रामीण जड़ों और शहरी हकीकतों के बीच फंसा कानून
जैसे-जैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 राजनीतिक और कानूनी बहस के केंद्र में आ गया है। जहां यह कानून पहले छोटे किसानों की सुरक्षा के लिए बना था, आज इसे शहरीकृत गांवों में आर्थिक स्वतंत्रता की बाधा माना जा रहा है। 357 में से 308 गांव शहरीकृत हो चुके हैं, ऐसे में 2025 में इस कानून की प्रासंगिकता पर भूमि मालिकों, विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं।
बहस का केंद्र: धारा 33 और 81
- धारा 33: यदि किसी भूमि मालिक के पास 8 एकड़ से कम ज़मीन रह जाए तो उसे भूमि बेचने से रोकता है — जिससे ज़रूरतमंद छोटे किसानों को अपनी ज़मीन का उपयोग आर्थिक रूप से करना मुश्किल हो जाता है।
• धारा 81: अगर कोई भूमि कृषि के अलावा अन्य कार्य (जैसे घर, दुकान, क्लिनिक) के लिए इस्तेमाल हो तो ग्राम सभा ज़मीन जब्त कर सकती है, जब तक कि वह विशेष रूप से छूट प्राप्त न हो (जैसे मुर्गी पालन, मत्स्य पालन)।
उदाहरण: बाहरी दिल्ली में एक महिला अपनी ज़मीन पर छोटा क्लिनिक खोलना चाहती है, तो उसकी ज़मीन जब्त की जा सकती है। वहीं कोई किसान अगर आपात स्थिति में अपनी ज़मीन का हिस्सा बेचना चाहता है, तो उसे धारा 33 रोक देती है।
शहरीकृत फिर भी ग्रामीण नियमों के अधीन
हालाँकि शहरीकृत गाँवों को दिल्ली नगर निगम अधिनियम (1957) और दिल्ली विकास अधिनियम (1957) के तहत अधिसूचित किया गया है, फिर भी कई क्षेत्रों में 1954 का ग्रामीण कानून लागू है। इससे एक कानूनी भ्रम उत्पन्न होता है — कुछ भूमि मालिकों को पूर्ण अधिकार मिलते हैं जबकि उनके पड़ोसी अब भी प्रतिबंधित हैं।
इस असंगत बदलाव के कारण भूमि उपयोग योजना, रियल एस्टेट विकास और किसानों की नई आय स्रोतों तक पहुंच बाधित हो रही है।
विशेषज्ञों की राय: निरसन नहीं, संशोधन हो
अधिकांश नीति विशेषज्ञ और विधिवेत्ता इस अधिनियम को पूरी तरह समाप्त करने के बजाय संशोधन की सलाह देते हैं:
- धारा 81 के उल्लंघन को अपराध से हटाकर जुर्माना–आधारित दंड बनाना
• शहरी क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड का अद्यतन
• अधिसूचित गांवों में व्यावसायिक उपयोग की अनुमति
• किसानों को खेती से सेवा, किराया, या एग्रीबिज़नेस की ओर स्थानांतरित करने में सहायता
यह दृष्टिकोण भूमि अधिकारों और नियोजित विकास के बीच संतुलन बनाएगा।
राजनीतिक ध्रुवीकरण: कौन क्या कह रहा है?
- आम आदमी पार्टी (AAP) — केंद्र सरकार पर आरोप लगाती है कि वह धारा 33 और 81 को निरस्त करने में देरी कर रही है
• भारतीय जनता पार्टी (BJP) — कहती है कि AAP के पास कोई ठोस नीति या ज़मीन उपयोग योजना नहीं है
• दोनों दल किसानों के अधिकारों की बात करते हैं, लेकिन कानूनी सुधार अब भी अधर में हैं
यह मुद्दा अब चुनावी विमर्श का प्रमुख विषय बन चुका है, जो भूमि अधिकार, शासन और आर्थिक आत्मनिर्भरता के सवालों को उजागर करता है।
STATIC GK SNAPSHOT परीक्षा के लिए
विषय | तथ्य |
अधिनियम का नाम | दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम |
अधिनियम पारित | 1954 |
धारा 33 | 8 एकड़ से कम भूमि बचने पर बिक्री प्रतिबंध |
धारा 81 | गैर-कृषि उपयोग पर ग्राम सभा ज़मीन जब्त कर सकती है |
प्रेरणा स्रोत | विनोबा भावे का भूदान आंदोलन |
2025 तक शहरीकृत गांव | 308 में से 357 |
शहरी शासकीय अधिनियम | दिल्ली नगर निगम अधिनियम (1957), दिल्ली विकास अधिनियम (1957) |
ग्रामीण प्राधिकरण | ग्राम सभा |
कानूनी संघर्ष | ग्रामीण भूमि कानून बनाम शहरी प्रशासन व्यवस्था |