सहकारी शिक्षा में ऐतिहासिक उपलब्धि
लोकसभा ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पारित कर दिया है, जिससे भारत का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया है। यह विश्वविद्यालय गुजरात के आनंद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (IRMA) में स्थापित किया जाएगा और देशभर के सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों को संबद्ध करेगा। इसमें डिग्री, डिप्लोमा और पीएचडी स्तर के पाठ्यक्रम होंगे और हर साल लगभग 8 लाख लोगों को प्रमाणन देने का लक्ष्य रखा गया है।
सहकारी आंदोलन की विरासत को सम्मान
यह विश्वविद्यालय अमूल के संस्थापक और सहकारी आंदोलन के पुरोधा त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है। पटेल ने दुग्ध किसानों को सशक्त कर अमूल को एक वैश्विक ब्रांड में बदल दिया। उन्होंने ग्रामीण उत्पादकों को उत्पादन और लाभ का मालिक बनाकर स्थानीय सहकारिता की ताकत को दर्शाया। विश्वविद्यालय उनके आदर्शों और मॉडल को देशभर के अन्य सहकारी क्षेत्रों में लागू करने का प्रयास करेगा।
ग्रामीण युवाओं को कौशल और अवसर
यह विश्वविद्यालय सहकारी प्रबंधन को औपचारिक और मानकीकृत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब तक यह क्षेत्र अप्रशिक्षित भर्तियों और अनुभव आधारित नेतृत्व पर निर्भर था। अब औपचारिक योग्यता और कौशल निर्माण से यह न केवल रोजगार सृजन का माध्यम बनेगा, बल्कि पारदर्शिता और दक्षता को भी बढ़ाएगा, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
सरकारी निवेश और भावी परियोजनाएं
सरकार ने डेयरी सहकारी क्षेत्र में ₹10,000 करोड़ के निवेश की घोषणा की है। यह निवेश चारा, पशु चिकित्सा सेवा और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा। इसके अलावा सरकार ‘सहकार टैक्सी‘ नाम से राइड–शेयरिंग सहकारी मॉडल और सहकारी बीमा कंपनी शुरू करने की भी योजना बना रही है, जिससे सहकारी ढांचे के भीतर नई आय और सेवा संभावनाएं बन सकें।
क्षेत्रीय चिंता और चुनौतियाँ
हालाँकि विधेयक को व्यापक समर्थन मिला, लेकिन कुछ विपक्षी दलों ने गुजरात को स्थान चयन पर आपत्ति जताई। आलोचकों का मानना था कि महाराष्ट्र या केरल जैसे राज्यों, जहाँ मजबूत सहकारी आंदोलन है, उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी। इसके अलावा नौकरशाही प्रक्रियाओं की जटिलता को लेकर भी विश्वविद्यालय की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए गए।
दीर्घकालिक सहकारी विकास की दिशा
यह विश्वविद्यालय देशभर के 284 सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों को एक एकीकृत अकादमिक एवं प्रशासनिक ढांचे में लाएगा। यह विशेषीकृत पाठ्यक्रम और सहकारी अध्ययन में उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित करेगा। इसका लक्ष्य है ‘सहकार से समृद्धि’ की केंद्र सरकार की दृष्टि को साकार करना, जिसमें डेयरी, मत्स्य पालन और सहकारी बैंकिंग जैसे ग्रामीण क्षेत्रों को प्रशिक्षित नेतृत्व और पेशेवर समर्थन के माध्यम से सशक्त किया जाएगा।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान सारांश (STATIC GK SNAPSHOT – हिंदी में)
विषय | विवरण |
विश्वविद्यालय का नाम | त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय |
विधेयक पारित हुआ | लोकसभा, 2025 |
स्थान | IRMA, आनंद, गुजरात |
नामकरण का आधार | त्रिभुवनदास पटेल (अमूल के संस्थापक) |
वार्षिक प्रमाणन क्षमता | 8 लाख व्यक्ति |
प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रम | डिग्री, डिप्लोमा, पीएचडी (सहकारी प्रबंधन में) |
सरकारी निवेश | ₹10,000 करोड़ (डेयरी सहकारी क्षेत्र में) |
प्रमुख पहलें | सहकार टैक्सी, सहकारी बीमा कंपनी |
राष्ट्रीय दृष्टिकोण | ‘सहकार से समृद्धि’ |
संबंधित क्षेत्र | डेयरी, मत्स्य पालन, सहकारी बैंकिंग |