जुलाई 18, 2025 12:08 पूर्वाह्न

त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक पारित: भारत का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय

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Tribhuvan Sahkari University Bill Passed: India’s First National Cooperative University

सहकारी शिक्षा में ऐतिहासिक उपलब्धि

लोकसभा ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पारित कर दिया है, जिससे भारत का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया है। यह विश्वविद्यालय गुजरात के आनंद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (IRMA) में स्थापित किया जाएगा और देशभर के सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों को संबद्ध करेगा। इसमें डिग्री, डिप्लोमा और पीएचडी स्तर के पाठ्यक्रम होंगे और हर साल लगभग 8 लाख लोगों को प्रमाणन देने का लक्ष्य रखा गया है।

सहकारी आंदोलन की विरासत को सम्मान

यह विश्वविद्यालय अमूल के संस्थापक और सहकारी आंदोलन के पुरोधा त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है। पटेल ने दुग्ध किसानों को सशक्त कर अमूल को एक वैश्विक ब्रांड में बदल दिया। उन्होंने ग्रामीण उत्पादकों को उत्पादन और लाभ का मालिक बनाकर स्थानीय सहकारिता की ताकत को दर्शाया। विश्वविद्यालय उनके आदर्शों और मॉडल को देशभर के अन्य सहकारी क्षेत्रों में लागू करने का प्रयास करेगा।

ग्रामीण युवाओं को कौशल और अवसर

यह विश्वविद्यालय सहकारी प्रबंधन को औपचारिक और मानकीकृत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब तक यह क्षेत्र अप्रशिक्षित भर्तियों और अनुभव आधारित नेतृत्व पर निर्भर था। अब औपचारिक योग्यता और कौशल निर्माण से यह न केवल रोजगार सृजन का माध्यम बनेगा, बल्कि पारदर्शिता और दक्षता को भी बढ़ाएगा, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

सरकारी निवेश और भावी परियोजनाएं

सरकार ने डेयरी सहकारी क्षेत्र में ₹10,000 करोड़ के निवेश की घोषणा की है। यह निवेश चारा, पशु चिकित्सा सेवा और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा। इसके अलावा सरकार सहकार टैक्सी नाम से राइडशेयरिंग सहकारी मॉडल और सहकारी बीमा कंपनी शुरू करने की भी योजना बना रही है, जिससे सहकारी ढांचे के भीतर नई आय और सेवा संभावनाएं बन सकें।

क्षेत्रीय चिंता और चुनौतियाँ

हालाँकि विधेयक को व्यापक समर्थन मिला, लेकिन कुछ विपक्षी दलों ने गुजरात को स्थान चयन पर आपत्ति जताई। आलोचकों का मानना था कि महाराष्ट्र या केरल जैसे राज्यों, जहाँ मजबूत सहकारी आंदोलन है, उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी। इसके अलावा नौकरशाही प्रक्रियाओं की जटिलता को लेकर भी विश्वविद्यालय की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए गए।

दीर्घकालिक सहकारी विकास की दिशा

यह विश्वविद्यालय देशभर के 284 सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों को एक एकीकृत अकादमिक एवं प्रशासनिक ढांचे में लाएगा। यह विशेषीकृत पाठ्यक्रम और सहकारी अध्ययन में उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित करेगा। इसका लक्ष्य है सहकार से समृद्धि की केंद्र सरकार की दृष्टि को साकार करना, जिसमें डेयरी, मत्स्य पालन और सहकारी बैंकिंग जैसे ग्रामीण क्षेत्रों को प्रशिक्षित नेतृत्व और पेशेवर समर्थन के माध्यम से सशक्त किया जाएगा।

स्थैतिक सामान्य ज्ञान सारांश (STATIC GK SNAPSHOT – हिंदी में)

विषय विवरण
विश्वविद्यालय का नाम त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय
विधेयक पारित हुआ लोकसभा, 2025
स्थान IRMA, आनंद, गुजरात
नामकरण का आधार त्रिभुवनदास पटेल (अमूल के संस्थापक)
वार्षिक प्रमाणन क्षमता 8 लाख व्यक्ति
प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रम डिग्री, डिप्लोमा, पीएचडी (सहकारी प्रबंधन में)
सरकारी निवेश ₹10,000 करोड़ (डेयरी सहकारी क्षेत्र में)
प्रमुख पहलें सहकार टैक्सी, सहकारी बीमा कंपनी
राष्ट्रीय दृष्टिकोण ‘सहकार से समृद्धि’
संबंधित क्षेत्र डेयरी, मत्स्य पालन, सहकारी बैंकिंग

 

Tribhuvan Sahkari University Bill Passed: India’s First National Cooperative University
  1. त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक 2025 लोकसभा में पारित हुआ, जिससे भारत का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा।
  2. विश्वविद्यालय का स्थान IRMA, आनंद, गुजरात में होगा, जो सहकारी शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र है।
  3. इसका नाम अमूल के संस्थापक त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने भारत के सहकारी आंदोलन की नींव रखी।
  4. यह विश्वविद्यालय भारत भर के 284 सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों से संबद्ध होगा।
  5. इसमें सहकारी प्रबंधन में डिग्री, डिप्लोमा, और पीएचडी पाठ्यक्रम उपलब्ध होंगे।
  6. इसका लक्ष्य हर वर्ष 8 लाख व्यक्तियों को प्रमाणित करना है।
  7. यह पहल डेयरी, मत्स्य, ग्रामीण बैंकिंग जैसे सहकारी क्षेत्रों में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देगी।
  8. यह सहकारिताओं में अनौपचारिक भर्ती की समस्या को औपचारिक प्रशिक्षण द्वारा संबोधित करेगी।
  9. विश्वविद्यालय राष्ट्रीयसहकार से समृद्धिदृष्टिकोण के अनुरूप स्थापित किया जा रहा है।
  10. सरकार द्वारा ₹10,000 करोड़ का निवेश दुग्ध क्षेत्र में इस सहकारी मॉडल को समर्थन देने हेतु किया जाएगा।
  11. सहकार टैक्सी (सवारी-साझा सहकारी संस्थाएँ) और सहकारी बीमा कंपनियाँ जैसी नई पहलें भी शुरू होंगी।
  12. इस योजना का उद्देश्य पारदर्शिता और कौशल आधारित नेतृत्व को सहकारिताओं में लाना है।
  13. विश्वविद्यालय को गुजरात में स्थापित करने के निर्णय पर विपक्षी दलों ने आलोचना की।
  14. महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों को विकल्प के रूप में प्रस्तावित किया गया, क्योंकि वहाँ सहकारिता की मजबूत नींव है।
  15. आलोचकों ने नौकरशाही बाधाओं के कारण विश्वविद्यालय की पहुंच पर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई।
  16. विश्वविद्यालय में सहकारी अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence) स्थापित किए जाएंगे।
  17. यह भारत के सहकारी शिक्षा मानकीकरण प्रयास का हिस्सा है।
  18. यह कदम ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देगा और आर्थिक अवसर सृजित करेगा।
  19. यह स्थानीय स्वामित्व, उत्पादन और लाभ साझा करने की अवधारणा को समर्थन देगा।
  20. यह भारत की सहकारी अर्थव्यवस्था को शिक्षा के माध्यम से औपचारिक रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Q1. त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय कहाँ स्थापित किया जाएगा?


Q2. विश्वविद्यालय का नाम किसके नाम पर रखा गया है?


Q3. प्रस्तावित विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रशिक्षण क्षमता कितनी होगी?


Q4. सहकारी पहल से जुड़ा केंद्र सरकार का प्रमुख नारा क्या है?


Q5. शिक्षा के अलावा सहकारी ढांचे के तहत कौन सी प्रमुख पहल की योजना है?


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