जानी-पहचानी जगहों में नई बीमारी
तमिलनाडु में स्क्रब टाइफस मामलों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, खासकर चेन्नई, वेल्लोर, कांचीपुरम, तिरुपत्तूर, चेंगलपट्टू और रानीपेट जैसे जिलों में। राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की है, क्योंकि हरित क्षेत्रों के पास रहने या काम करने वाले लोगों में लक्षण सामने आ रहे हैं। यह अब सिर्फ ग्रामीण इलाकों की बीमारी नहीं, बल्कि शहरी स्वास्थ्य समस्या बन रही है।
स्क्रब टाइफस क्या है?
स्क्रब टाइफस एक जीवाणु संक्रमण है, जो Orientia tsutsugamushi के कारण होता है। यह तब फैलता है जब व्यक्ति को चिगर्स (विशेष प्रकार के माइट की लार्वा अवस्था) काटते हैं। ये घासदार या झाड़ीदार क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जिससे खेती, जंगल या अर्ध–शहरी बागों में काम करने वाले लोग अधिक प्रभावित होते हैं। यह बीमारी 1930 में जापान में पहली बार पहचानी गई थी, और यह त्सुत्सुगामुशी त्रिकोण नामक क्षेत्र का हिस्सा है—जो भारत, दक्षिण–पूर्व एशिया, चीन और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया को कवर करता है।
तमिलनाडु में यह अब क्यों फैल रहा है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि गर्म और नम मौसम चिगर्स के विकास के लिए अनुकूल होता है। साथ ही शहरी विस्तार, वनों की कटाई और खेती के विस्तार के कारण मनुष्य इन माइट्स के निवास स्थान के करीब आ गए हैं। मानसून और बाढ़ के बाद की स्थिति इस प्रकार के प्रकोप को और तेज़ कर देती है।
शुरुआती लक्षण कैसे पहचानें?
शुरुआत में स्क्रब टाइफस फ्लू जैसा लगता है—उच्च बुखार, सर्दी, शरीर दर्द और थकान। एक विशेष लक्षण है काले पपड़ी जैसे घाव (eschar), जो काटने की जगह पर बन सकता है। हालांकि यह सभी में नहीं होता, लेकिन जब होता है तो डॉक्टरों को निदान में मदद करता है।
यदि इलाज न हो, तो यह संक्रमण फेफड़ों की सूजन, मस्तिष्क की सूजन, हृदय संबंधी समस्याएं या बहु–अंग विफलता का कारण बन सकता है। बिहार में स्क्रब टाइफस तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) का प्रमुख कारण बन चुका है।
निदान और उपचार
इस बीमारी का निदान ELISA या PCR जैसे रक्त परीक्षणों द्वारा होता है। अच्छी बात यह है कि यह डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक हो जाता है, खासकर यदि जल्दी पहचान हो जाए। लेकिन देरी होने पर अस्पताल में भर्ती, IV फ्लूइड और ICU देखभाल की आवश्यकता पड़ सकती है—जो ग्रामीण या भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में कठिन है।
कौन सबसे अधिक जोखिम में है?
- किसान और दिहाड़ी मज़दूर
• खेती के पास खेलने वाले बच्चे
• गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग नागरिक
• पहाड़ी या वन क्षेत्रों में रहने वाले लोग
जो लोग वनस्पति से नियमित संपर्क में रहते हैं, उन्हें मानसून और उसके बाद के महीनों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
स्क्रब टाइफस से कैसे बचाव करें?
अब तक कोई वैक्सीन नहीं है, इसलिए रोकथाम ही सबसे अच्छा उपाय है:
• बाहर जाते समय पूरी बांह के कपड़े और फुल पैंट पहनें
• DEET युक्त मच्छर निरोधक उपयोग करें
• घास पर बैठने या लेटने से बचें
• बाहर से लौटने के बाद तुरंत स्नान करें और कपड़े बदलें
• बिस्तर की चादरें और कपड़े नियमित रूप से धोएं
संक्रमण संभावित क्षेत्रों में, सामुदायिक स्तर पर घर के आस–पास की घास काटना और कीटनाशक का छिड़काव भी किया जाता है।
STATIC GK SNAPSHOT – प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जानकारी सारांश
विषय | तथ्य |
रोग का नाम | स्क्रब टाइफस |
कारक जीवाणु | ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी |
वाहक | चिगर्स (माइट्स की लार्वा अवस्था) |
पहली बार पहचाना गया | जापान, 1930 |
स्थानिक क्षेत्र | त्सुत्सुगामुशी त्रिकोण |
विशेष निदान संकेत | काटने की जगह पर काला घाव (eschar) |
उपचार | डॉक्सीसाइक्लिन, एजिथ्रोमाइसिन |
उच्च जोखिम वाले राज्य | तमिलनाडु, बिहार, हिमाचल प्रदेश |
AES का प्रमुख कारण | बिहार |
तमिलनाडु के प्रभावित जिले | चेन्नई, वेल्लोर, कांचीपुरम, तिरुपत्तूर, चेंगलपट्टू |