भाषा और नेता को समर्पित उत्सव
3 जून को तमिलनाडु सरकार ने से सेम्मोझी महोत्सव का आयोजन किया, जो पूर्व मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया गया। यह महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भाषाई गर्व और उस नेता को श्रद्धांजलि है जिन्होंने दशकों तक तमिल भाषा को संजोया।
करूणानिधि, एक राजनेता के साथ-साथ लेखक, नाटककार और कवि भी थे। उनकी कोशिशों से तमिल को 2004 में भारत की शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला। इसलिए, उनकी जयंती पर यह उत्सव एक भाषा और विरासत दोनों का उत्सव बन जाता है।
महोत्सव की प्रमुख बातें
‘सेम्मोझी’ का अर्थ तमिल में ‘शास्त्रीय भाषा’ होता है। यह महोत्सव साहित्यिक चर्चाओं, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, संगीत, नृत्य और भाषणों से भरा हुआ होता है जो तमिल भाषा के गौरव और इतिहास को उजागर करता है।
इस वर्ष स्कूल और कॉलेज के छात्रों ने प्रस्तुतियाँ दीं, जिसमें तमिल का साहित्य, सिनेमा और राजनीतिक आंदोलनों में योगदान दर्शाया गया। यह उत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि शैक्षिक अभियान भी बन गया, विशेष रूप से युवाओं के लिए।
उत्सव के पीछे का व्यक्तित्व
एम. करूणानिधि, जिन्हें ‘कलाईग्नर’ (कलाकार) भी कहा जाता है, तमिल राजनीति के सबसे प्रभावशाली नेता रहे। वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पांच बार बने और डीएमके पार्टी के प्रमुख रहे। उन्होंने सामाजिक न्याय, आरक्षण नीति, और राज्यीय स्वायत्तता को बढ़ावा दिया।
उनके कार्यकाल में राज्य ने कई कल्याणकारी योजनाओं और तमिल पहचान की रक्षा में उल्लेखनीय पहल देखी। उनकी भाषा और संस्कृति के प्रति भावनात्मक प्रतिबद्धता ने उन्हें जनमानस का स्नेह दिलाया।
संस्कृति से जुड़ा उत्सव
जहाँ भारत के कई त्योहार धर्म या फसल से जुड़े होते हैं, वहीं से सेम्मोझी महोत्सव एक भाषा और पहचान का उत्सव है। यह याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद नहीं, बल्कि विरासत, गौरव और सामुदायिक शक्ति का प्रतीक होती है।
संस्कृत की तरह, तमिल को भी भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो इसकी प्राचीनता, समृद्ध साहित्य और सांस्कृतिक परंपरा के कारण दी गई है।
Static Usthadian Current Affairs Table (हिंदी में)
विषय | विवरण |
सेम्मोझी महोत्सव | 3 जून को तमिलनाडु में मनाया जाता है |
अवसर | एम. करूणानिधि की जयंती |
एम. करूणानिधि | पूर्व मुख्यमंत्री, डीएमके नेता, तमिल विद्वान |
सेम्मोझी अर्थ | शास्त्रीय भाषा |
तमिल को दर्जा | 2004 में शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया |
भारत की शास्त्रीय भाषाएं | तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया |
महोत्सव गतिविधियां | साहित्यिक चर्चा, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ |
प्रकार | भाषा-केंद्रित राज्य उत्सव |
आयोजक | तमिलनाडु सरकार |
विरासत पर ध्यान | तमिल पहचान और भाषाई गर्व पर केंद्रित |